स्मृति शेष-विश्व मोहन बडोला को रंगमंच में देख हतप्रभ रह गए थे रामनाथ गोयनका

विश्व मोहन बडोला ने आल इंडिया रेडियो में सबसे पहला गढ़वाली गाना वर्ष १९५७ में गाया था

एक शाम जब इंडियन एक्सप्रेस के एडिटर इन चीफ राम नाथ गोयनका नाटक देखने दिल्ली के थिएटर में आये तो वो मुझे  रंगमंच पर देखकर हतप्रभ रह गए और अगले दिन उन्होंने बताया की उनको बहुत सुखद आश्चर्य हुआ.

कैलिफोर्निया से डॉ विनीत ध्यानी आशा ध्यानी

Dr. Vineet Dhyani, PhD
Senior Vice President (Executive),
Evolko Systems, California, USA

…बहुत से लोगों को पता नहीं है  कि विश्वमोहन बडोला एक बेहतरीन गायक भी थे। उन्होंने काफी गढ़वाली गाने भी गाये।  आल इंडिया रेडियो में सबसे पहला गढ़वाली गाना वर्ष १९५७ उन्होंने ही गाया था। 

Vishav mohan badola

उन्होंने आल इंडिया रेडियो में ४०० से भी ज़्यादा नाटकों में भाग लिया था और उनकी आवाज़ को आल इंडिया रेडियो एवं दूरदर्शन के नाट्य रूपांतरों के लिये उच्च कोटि का दर्ज़ा प्राप्त था। उन्होंने पंद्रह अगस्त एवं छब्बीस जनवरी के अवसरों पर कई बार आल  इंडिया रेडियो तथा दूरदर्शन पर हिंदी में कमेंटरी भी की थी।

Vishav mohan badola

जाने माने रंगमंच कलाकार और बीते समय के पत्रकार विश्व मोहन बडोला का ८४ वर्ष की अवस्था में एक लम्बी बीमारी के चलते मुंबई में निधन हो गया। उनका जन्म ग्राम ठठोली ब्लॉक ढांगू जिला पौड़ी गढ़वाल में हुआ था।  बाद में उनका परिवार कोटद्वार गढ़वाल में चला आया जहाँ अभी भी उनका घर है।

Vishav mohan badola

वो कोटद्वार नियमित रूप से आते रहते थे उनका पहाड़ो  से बहुत लगाव था।  वो  भले ही दिल्ली मुंबई में बस गए थे  पर  उत्तराखंड उनके ह्रदय में बसता था। अपनी पत्रकारिता के दिनों के दौरान वो   नियमित रूप से हेमवती नंदन बहुगुणा  विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल में पत्रकरिता पर व्याख्यान देने के लिए आते रहे।

Vishav mohan badola

उनकी शुरू की शिक्षा दिल्ली में हुई और बाद में उन्होंने  किरोड़ी मल कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय से बी ए आनर्स में उपाधि प्राप्त की। इसके उपरांत उन्होंने पत्रकारिता आरम्भ की।  वो कई समाचार पत्रों में कार्यरत रहे जिसमे इंडियन एक्सप्रेस , द स्टेट्समैन , पेट्रियट, डेक्कन हेराल्ड, आनंद बज़्ज़ार पत्रिका एवं  द टाइम्स ऑफ़ इंडिया प्रमुख हैं।  उन्होंने डेक्कन हेराल्ड में चीफ ऑफ़ ब्यूरो एवं द टाइम्स ऑफ़ इंडिया लखनऊ में रेजिडेंट एडिटर के रूप में भी कार्य किया।  वो दक्षिण एशियायी मामलों के विशेषज्ञ थे और उन्होंने कई प्रधानमंत्रियों एंड राष्ट्रपतियों के साथ विश्व भर के दौरे किये। 

Vishav mohan badola

कॉलेज में अध्ययन के दौरान  उन्हें रंगमंच से भी लगाव हो गया जिसे उन्होंने अपनी पत्रकारिता के साथ साथ पूरी तन्मयता के साथ निभाया।  उन्होंने एक बार अपने इंडियन एक्सप्रेस में काम करने के दिनों का एक वाकया स्मरण करते हुए बताया कि एक शाम जब इंडियन एक्सप्रेस के एडिटर इन चीफ राम नाथ गोयनका नाटक देखने दिल्ली के थिएटर में आये तो वो मुझे  रंगमंच पर देखकर हतप्रभ रह गए और अगले दिन उन्होंने बताया की उनको बहुत सुखद आश्चर्य हुआ। 

Vishav mohan badola

रंगमंच में गहरी रुचि रखते हुए उन्होंने ओम शिवपुरी , राम गोपाल बजाज, ब्रिज मोहन शाह , बी वी कामथ  जैसे अनुभवी कलाकारों के साथ दिशांतर नाट्य समूह की स्थापना की।  दिशांतर ने कई नाटकों का प्रदर्शन किया जिसमे आषाढ़ का एक din, कंजूस  , खामोश  अदालत  जारी  है और  द्रौपदी प्रमुख हैं।

दिशांतर रंगमंच  समूह काफी मशहूर हुआ और उसका दौर तब खत्म हुआ जब समूह के संस्थापक एक एक करके मुंबई चले गए।  श्री बड़ोलाजी दिल्ली में ही रहे और उन्होंने प्रसिद्द अभिनेता राजिंदर नाथ के साथ अभियान समूह में सहयोग  करना  शुरू कर दिया। 

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अभियान रंगमंच समूह ने अलीबाबा, धर्मशाला और नाटक पोलुम्पुर का जैसे बहु-चर्चित  नाटकों का प्रदर्शन किया।  इसके बाद उन्होंने रुचिका रंगमंच समूह के साथ सहयोग  किया जिसके चर्चित नाटकों में कालिगुला , सिक्स चरक्टेर्स इन सर्च ऑफ़ ऑथर  एवं ांतिगोने  प्रमुख हैं।  बाद में उन्होंने मोहन उप्रेती  के साथ मिलकर  पर्वतीय   कला  केंद्र के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति, कला एवं लोकगीतों से भारत के लोगो को अवगत कराया ।

कोटद्वार

पर्वतीय कला केंद्र की प्रमुख प्रस्तुतियों में राजुला मालूशाही, महा भारत , इन्दर सभा एवं अष्टावक्र बहुत लोकप्रिय रही । पर्वतीय कला  केंद्र को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से श्रेष्ट रंगमंच समूह का दर्ज़ा भी प्राप्त था एवं कई अवसरों पर पर्वतीय कला केंद्र को संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारत के सांस्कृतिक प्रतिनिधि मंडल के साथ विदेशो में प्रस्तुति के लिए ले जाया गया।

उन्होंने कई TV नाटकों और धारावाहिकों   में भी काम किया।  भारत   टेलीविज़न  के सर्व्रथम  सोप  ओपेरा  हम  लोग  में उनकी यादगार  भूमिका  रही ।  इसके अलावा  उन्होंने कई TV धारावाहिकों  में काम किया जैसे अम्मा और फॅमिली  , ज़िन्दगी  की खूबसूरत  है,    राजधानी , जी प्रधान मंत्री , उपनिषद्  गंगा , एक चाबी है पड़ोस में, निशा  और उसके  कजिन्स।

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उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किया जिसमे प्रमुख हैं स्वदेश, जोधा अकबर, व्हाट्स योर  राशि , लगे रहो मुन्नाभाई , जल प्ररी  , टोटल  सयापा , प्रेम  रतन  धन  पायो  , जॉली  एल एल बी 2  ।

दिल्ली रंगमंच की उन्नति  में विशेष  योगदान एवं आल इंडिया रेडियो, दूरदर्शन , टेलीविज़न तथा फिल्मो में अनेको किरदारों को निभाने के लिए उन्हें  हमेशा  याद  रखा   जायेगा ।  अपने पीछे  वो पत्नी सुशीला बड़ोला, पुत्र  वरुण बड़ोला  और पुत्री अलका एवं कालिंदी बड़ोला को छोड़ गए हैं।

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