स्मृति शेष-उर्मिल जी आज नक्कारा कुछ भी नहीं बोल रहा, बिलकुल खामोश

लखनऊ से जगदीश जोशी उर्मिल जी से पहली बार अब से करीब सैंतीस वर्ष पूर्व ‘स्वतंत्र भारत’ अखबार के दफ्तर में मिला। मैं सुबह की पारी में करीब नौ बजे … Continue reading स्मृति शेष-उर्मिल जी आज नक्कारा कुछ भी नहीं बोल रहा, बिलकुल खामोश