बोल चैतू,सफरनामा- कर्मभूमि की खटाक से सॉफ्ट डिजिटल के आंगन में

अविकल थपलियाल

कोटद्वार का बचपन। छापेखाने में साप्ताहिक कर्मभूमि की छपाई। गोल चक्का व बेलन घूमते हुए। काली स्याही। दो पाटों के बीच कागज के लगते ही खटाक की आवाज के साथ खबर प्रिंट। तेजी से चलती मशीन के बीच में कागज को डालना और 2-3सेकंड के अंतराल में खटाक की आवाज के साथ ही छपे कागज को उठा लेना। मशीन पर दो लोग अखबार छापने की इस मुहिम में मुस्तैदी के साथ जुटे रहते थे। जरा सी गलती हुई और हाथ दोनो चक्कों के बीच में पिसने का पूरा खतरा बना रहता था। बिष्ट जी व गुलाब सिंह जी उल्टे अक्षरों से कम्पोसिंग प्लेट बनाते थे। समाचारों का प्रूफ निकाल लिया जाता। प्रधान संपादक भैरव दत्त धूलिया व शरदचन्द्र धूलिया बारी-बारी से प्रूफ पढ़ते। कंपोज़िंग की गलतियों को लाल-नीले घेरों से पाबन्द कर दिया जाता। फिर प्रेसकर्मी उल्टे अक्षरों के कंपोज़िंग खानों से एक-एक सही अक्षर निकाल कर प्रूफ की गलतियां ठीक करते। और खबरों के फ्रेम में फिक्स करते।

लकड़ी के कई छोटे-छोटे खानों में उल्टे अक्षर रखे होते थे। कंपोज़ीटर को यह पता होता था कि किस खाने में कौन सा अक्षर है, मात्रा है , पूर्ण विराम है, कोमा है या बिंदु है। बिना देखे इन छोटे -छोटे बॉक्स से अक्षर उठाना बाएं हाथ का खेल होता था। और मेरे लिए विशेष कौतूहल का मुद्दा। अख़बार छपने के बाद खबरों के आयताकार फ्रेम को तोड़ एक-एक अक्षर फिर उस अक्षर के फ्रेम में डालना भी किसी कला से कम नही  था।

हर पेज के फ्रेम तैयार होने के बाद मशीन हर पेज की छपाई के साथ खट्ट-खट्ट आवाज करती। शाम 4बजे के आस पास कर्मभूमि प्रेस की मशीन चलने और अखबार छपने की आवाज आज भी दिलो दिमाग में गूंजती रहती है। कर्मभूमि छपने के बाद अखबार को फोल्ड करने में मैं भी कई बार आलथी पालथी मार कर बैठा हूँ। स्वंय धूलिया जी व उनकी तीनो लड़कियां सोनू, टिंगा व बिट्टू इस कार्य में हाथ बंटाती थी। कर्मभूमि को फोल्ड करने के बाद नीले थोथे युक्त लुगदी से डाक टिकट चिपकाए जाते। और फिर पास के डाकघर में प्रतियां जमा कर दी जाती। कर्मभूमि की अधिकतर प्रतियां प्रवासी उत्तराखंडी मंगवाते थे। उस दौर में यही साप्ताहिक पत्र ही पहाड़ की खोज खबर के एकमात्र स्त्रोत होते थे। अक्सर कर्मभूमि कार्यालय में उत्तर प्रदेश लोक सम्पर्क विभाग से भी छपने योग्य सामग्री नियमित आती थी। कर्मभूमि के आखिरी पन्ने पर स्टेशन रोड के प्रसिद्ध भरत भूमि होटल का विज्ञापन नियमित तौर पर छपता था। उस समय जिलाधिकारी भी नियमित अंतराल में प्रेस कांफ्रेंस कर विकास योजनाओं की जानकारी देते थे।

अखबार को फोल्ड करते समय साप्ताहिक कर्मभूमि की काली स्याही हथेलियों को काला कर देती थी। उस काली स्याही की गंध ही मेरे पत्रकारिता कॅरियर की पहली इबारत बन गयी। रजिस्टर में कर्मभूमि के ग्राहकों का नाम, पता अपडेट करते-करते एक छोटा सा लेख लिख दिया। सम्भवतः यह 1985 की बात होगी। इस लेख के छपने के बाद स्वर्गीय शरदचन्द्र धूलिया जी ने कहा, …ले छप गया तेरा पर्यावरण का दुखड़ा। यही शीर्षक भी था छोटे से लेख का- पर्यावरण का दुखड़ा। रनिंग फोंट में मेरा नाम छपा था। बाद के वर्षों में तमाम बाइलाइन खबर छपने के बाद पहली बार नाम छपने का वो रोमांच आज भी अजब अहसास देता है। कमोबेश इसी दौरान वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र भाई के दैनिक जयंत में अधूरी रामरी-पुलिंदा खस्ताहाल मार्ग पर भी लिखा। शीर्षक था -अधिकारियों की मिलीभगत, घाड़ की यह सड़क। बड़े भाई व पत्रकार बृजमोहन जदली भी पुलिन्दा मार्ग की दुर्दशा पर लगातार लिखते रहे।

इसके साथ ही साप्ताहिक सत्यपथ, गढ़ गौरव, बिजनौर टाइम्स, दिल्ली-गढ़वाल टाइम्स, नैनीताल समाचार आदि स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में छपने लगा। उत्तराखंड आंदोलन के दौरान भाई नागेंद्र उनियाल जी ने दैनिक जयंत में भी लिखना जारी रहा। इस बीच, 1990 के बाद अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक नवभारत टाइम्स में भी कुछ रिपोर्ट्स छपी। बड़े भाई व वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश जुगरान जी का लगातार मार्ग निर्देशन मिल रहा था। आकाशवाणी नजीबाबाद में कैजुअल एनाउंसर में भी मौका मिला लेकिन अंततः कदम कलम की तरफ ही बढ़ चले।
राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र में हिंदुस्तान के पटना, लखनऊ व देहरादून संस्करण में लगभग डेढ़ दशक नौकरी के बाद कुछ इलेक्ट्रॉनिक चैनल की कार्यप्रणाली से भी रूबरू होने का मौका मिला। कुछ समय देहरादून के अमर उजाला के साथ भी बीता।

कोटद्वार से शुरू यात्रा बिहार, उत्तर प्रदेश से होते हुए देहरादून आकर ठिठक गयी। देहरादून से बाहर नोएडा, चंडीगढ़, हैदराबाद आदि इलाकों में पत्रकारिता का न्योता मिला लेकिन कमर दर्द व पारिवारिक मजबूरी ने देहरादून से बाहर निकलने ही नही दिया। 2001 में लखनऊ हिंदुस्तान संस्करण से देहरादून ट्रांसफर के बाद यहीं सत्ता के गलियारे व सड़कों पर सफर चल रहा है। पटना से वाया लखनऊ होते हुए देहरादून तक के सफर में कई बेहतरीन संपादक, वरिष्ठ व नए साथी मिले और कुछ बेहद शातिर व कुटिल भी।

इस सफर की नई कड़ी में अविकल उत्तराखण्ड न्यूज़ पोर्टल के साथ एक बार फिर हाजिर हूँ। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक के साथ-साथ डिजिटल व

सोशल मीडिया के जरिये अपनी बात भी कही जाएगी और आपकी भी सुनी जाएगी। अविकल उत्तराखंड के मंच में मुद्दों के साथ बेजुबान पशुओं की भी बात होगी। युवा भी होंगे और बालीबुड का तड़का भी होगा। सेलेब्रिटी से बात भी होगी। चैतू के बोल भी होंगे। राजनीति के गलियारों में नौकरशाही के कार्यों पर भी नजर रहेगी। आपके आशीर्वाद व मजबूत सहयोग के साथ प्रवेश करते है अविकल उत्तराखंड में। तो करिये क्लिक…www. avikaluttarakhand. com

        Avikal Thapliyal


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54 thoughts on “बोल चैतू,सफरनामा- कर्मभूमि की खटाक से सॉफ्ट डिजिटल के आंगन में

  1. बहुत उम्दा लिखा है। पुराने प्रिंटिंग प्रेस दौर से डिजिटल तक। बेहतरीन। शब्दों और स्तरीय की लड़ी यूं ही सजाते रहो। जमाने और जंग को इससे रोशन करो। तुम्हारी लेखनी के बारे में तो कहना ही क्या…. बधाई….

  2. भाई मजा आ गया. कुछ शुरुआती यादें हमारी भी हैं.

  3. आप के न्यूज़ पोर्टल बहुत सारी उम्मीदें हैं शुभकामनाओं के साथ

  4. विस्तार पूर्वक किन्तु संक्षेप में स्वपत्रकारिताजीवन की गाथा…अत्यन्त उत्सुक्तामयी, नव पत्रकारों को प्रेरणा देने वाली गाथा।
    सुन्दरम
    👍👌💐

  5. कलम आपके इशारे पर क्या खूब थिरकती है, ऐसे ही लिखते रहें,शुभकामनाएं,

  6. बेहतरीन ! कर्मभूमि से जड़ी कुछ अपनी यादें भी ताजा हो गयीं ।
    आगे के सफर के लिए शुभकामनाएं ।

  7. बेहतरीन ! कर्मभूमि से जड़ी कुछ अपनी यादें भी ताजा हो गयीं ।
    आगे के सफर के लिए शुभकामनाएं ।

  8. बहुत बहुत शुभकामनाएं बस यही निवेदन है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के स्थापित करने का माध्यम न बन जाना क्योंकि उत्तराखंड में 90% ऑनलाइन पोर्टल केवल इनकी ही संतुष्टि के लिए अवतरित हुए हैं निष्पक्ष आवाज कहीं खो सी गई है।

  9. Congratulations for this wonderful new attempt.I wish you all the success.
    Regards.
    Dr. R P Chamoli

  10. Ladka likhta badhiya hai!
    (Batarz Shadi.com Ad)

    Bunch of finest wishes!

  11. पहले वाली छपाई कितनी महनत कश होती थी तभी उससे सभी को आत्मिक लगाव होता था।खबरें देर से आती थी फिर भी इंतजार रहता था।
    आज के डिजिटल के मुकाबले छपी हुई पुरानी यादे आज नहीं भूले।

  12. Congratulations!!! Your dedication towards work is really inspiring; wish you many years of success for your goals and dreams.

  13. बेहतरीन नाम चयन के लिए बधाई। मुझे गर्व है कि मैंने आप जैसे जुझारू साथी के साथ काम करने मौका मिल चुका है। प्रभु बद्री विशाल से प्रार्थना है कि वे अविकल उत्तराखंड के जरिये मेरे भाई को कामयाबी दें। बहुत शुभकामनाएं

  14. बेहतरीन नाम चयन के लिए बधाई। मुझे गर्व है कि मुझे आप जैसे जुझारू साथी के साथ काम करने मौका मिल चुका है। प्रभु बद्री विशाल से प्रार्थना है कि वे अविकल उत्तराखंड के जरिये मेरे भाई को कामयाबी दें। बहुत शुभकामनाएं

  15. Hi
    Avikal
    Good start and all the best for new normal
    Hope you will capture more on issues related to our villages
    Regards
    Sujeet

  16. Animal, you are having rich knowledge and vast experience.All the best for yr move forward…….

  17. Animal, you are having rich knowledge and vast experience.All the best for yr move forward…….congrats

  18. अविकल भी डिजिटल हो गए। बहुत बधाई। आपका जलवा मेनस्ट्रीम प्रिंट मीडिया ने बखूबी देखा है। नए जमाने के इस प्लेटफार्म पर भी आप वही छाप छोड़ेंगे, पूरी उम्मीद है। पोर्टल को बहुत बारीकी से गढ़ा है आपने। नाम चयन से लेकर कैचलाइन, सब्जेक्ट… सभी चीजों पर आपने जो मेहनत की है वह इसकी गवाही दे रहा। पुनः बधाई ।

  19. बहुत ही बढ़िया शुरुआत बहुत ही अच्छा लेख डिजिटल पत्रकारिता की शुरुआत के लिए बहुत-बहुत बधाई

  20. Dear Avikal,

    Very well written article on your journey from Karambhumi to Uttarakhand News Portal. I still recall about Karambhumi as my father was its regular subscriber at hometown so we all (family members) used to read it. I personally visited Karambhumi Press near Govt. Girls Inter college, Kotdwar & eye-witnessed its printing during our school/college days. Times have changed and the technology has taken over the old conventional methods of printing.

    I wish you all the best on your new venture Avikal Uttarakhand. We will love to read it from time to time.

    Congratulations!

    Regards,

    Anand Kumar Mandhian

  21. Heartfelt congratulations!!!!! I really acknowledge the effort ,dedication and skill necessary for the achievement and I have nothing but admiration and respect for anyone who can put pen to paper and succeed.

  22. Heartfelt congratulations!!!!! I really acknowledge the effort ,dedication and skill necessary for the achievement .👏👏👏👏

  23. Amazing canvas of words that successfully paints the journey of a young and creative mind. While paying rich tributes to the mentors who shaped the persona of a young mind to a seasoned Journalist whose Journey takes us on the roller coaster ride of the evolution of news print media from the days of Metal Type printing to the present day virtual world.
    An excellent piece that evokes mixed feelings and a a wide array of emotions in each of the readers .
    Nostalgia for most informative interesting creative yet simple to comprehend.
    A great endeavor and a good show. Congratulations Avikal for this big leap. Wishing you success in your efforts.

  24. The only paper with reliable news at time when there no other means of informations . We loved N trust it.
    Going degital is a matter of great delight. Congratulations and Good wishes for future success.

  25. नई पारी की अनंत शुभकामनाएं

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