बद्रीनाथ धाम की तस्वीर बदलने की बात कही जा रही है। मास्टर प्लान भी तैयार हो गया है। अब धाम से जुड़े तीर्थ पुरोहित व स्थानीय लोगों की राय ली जाएगी। संभावित मास्टर प्लान के तहत बद्रीनाथ का जो डिज़ाइन तैयार किया गया (जैसा चित्र में दिख रहा है)। एक नजर में बद्रीनाथ मन्दिर के प्राचीन, भव्य, अपनापन, सांस्कृतिक, ऐतिहासिकता व पारम्परिक छवि को नुकसान पहुंचाता दिख रहा है। दूर से ही मन्दिर के दर्शन से जो अलौकिक , आध्यात्मिक, धार्मिक व परम आशीर्वाद की अनुभूति होती है, ऐसा मुझे इस नए मास्टर प्लान में मन्दिर के चित्र को ज़ूम करके देखने पर भी नही हुई (हो सकता हो बाकी लोगों को बहुत भव्य लगे)। हालांकि, कहा जा रहा है कि नए प्लान के तहत पार्किंग, सौंदर्यीकरण, ठंड से बचाव व ठहरने के व्यापक इंतजाम किए जाएंगे।व्यापक मंथन के बाद फाइनल ड्राफ्ट प्रधानमंत्री जी को भेजा जाएगा। फिर भी मुझे निजी तौर पर लग रहा है कि पहले पुराने निर्माण के ध्वंस (सैकड़ों दुकान व मकान,धर्मशाला टूटेंगे )के बाद होने वाले नए निर्माण से बद्रीनाथ जी का विशाल भव्य स्वरूप कहीं मानवीय कृत्रिमता में खो न जाय , ठीक वैसे ही जैसे आज केदारनाथ मन्दिर की कलात्मकता, प्राचीन स्वरूप व अपनापन नए निर्माण के बाद कहीं खो गया सा लगता है। विश्वविख्यात धाम के सरंक्षण में मूल तत्व को बचाये रखना व पर्यावरण संरक्षण ही सबसे बड़ी चुनौती होगी।
(मेरे यह निजी विचार है। आप सहमत-असहमत हो सकते हैं।जय बद्री केदार। जय उत्तराखंड)
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