…आ बैल मुझे मार,, मृत्युंजय मिश्रा को फिर बनाया रजिस्ट्रार

वित्तीय गड़बड़ी में जेल गए मिश्रा पर कौन मेहरबान

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादुन। आ बैल मुझे मार.. वित्तीय गड़बड़ी में लंबे समय तक जेल में रहने के बाद छूटे अधिकारी पर भाजपा सरकार ने काफी दरियादिली दिख दी। आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा को एक बार फिर आयुर्वेद विवि का रजिस्ट्रार बना दिया गया। यह आदेश सचिव चंद्रेश कुमार की ओर से 28 दिसंबर को किया गया। 27 दिसंबर को मिश्रा को सस्पेंड कर दिया गया था।

विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत की सहमति केबाद ही यह फैसला शासन ने लिया या फिर अधिकारियों ने ही गुपचुप तरीके से नियुक्ति दे दी। यह सवाल भी मुंह बाए खड़ा है। इस मुद्दे पर सरकार की काफी किरकिरी हो रही है। मिश्रा यंक निलंबन को रद्द करते हुए सवेतन कुलसचिव पद पर बहाली दे दी गयी। यही नहीं निलंबन अवधि का वेतन दिए जाने के भी आदेश दे दिए गए हैं। चुनाबी बेला में यह निर्णय धामी सरकार के गले की हड्डी बनने जा रहा है।

विवि में गड़बड़ी के चलते मृत्युंजय मिश्रा को 3 दिसंबर 2018 को गिरफ्तार किया गया था। कुछ ही महीने पहले 16 अगस्त 2021 को मिश्रा हाईकोर्ट से जमानत पर छूटे । उनके खिलाफ विजिलेंस जांच चल रही है। आय से अधिक संपत्ति व आयुर्वेद विवि में वित्तीय गड़बड़ी के चलते मिश्रा की गिरफयारी की गई थी।

सचिव चंद्रेश यादव के पत्र का मूल सार

उत्तराखण्ड शासन

आयुष एवं आयुष शिक्षा अनुभाग संख्या – 23/XL-1/2021-19/2020 TC-III

देहरादून दिनांक 28 दिसम्बर, 2021

कार्यालय आदेश

डॉ० मृत्युंजय कुमार मिश्रा के उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला में कुल सचिव के पद पर रहते हुए इनके विरूद्ध सतर्कता अधिष्ठान के माध्यम से खुली जॉच संस्थित होने एवं अनुशासनिक कार्यवाही प्रस्तावित होने तथा कुल सचिव पद पर बने रहने से उनके विरूद्ध, नियम विरूद्ध नियुक्ति वित्तीय अनियमिताओं / घोटालों से सम्बंधित जाँचे एवं सतर्कता जाँच प्रभावित होने के दृष्टिगत कार्यालय ज्ञाप संख्या-1688/XXXX/2018-19/2010 T.C.-3, दिनांक | 27.10.2018 के द्वारा कुल सचिव के पद से निलम्बित करते हुए सचिव, आयुष एवं आयुष शिक्षा, उत्तराखण्ड शासन के कार्यालय से सम्बद्ध किया गया।

2 डॉ० मृत्युंजय कुमार मिश्रा के विरूद्ध सतर्कता जॉच संस्थित होने के कारण सतर्कता विभाग द्वारा डॉ० मिश्रा को दिनांक 03.12.2018 को गिरफ्तार करते हुए उन्हें जिला कारागार देहरादून में निरूद्ध किया गया। मा० सर्वोच्च न्यायालय में दायर एस. एल.पी. संख्या 6511, मृत्युंजय कुमार मिश्रा

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बनाम राज्य में मा० न्यायालय द्वारा दिनांक 16.08.2021 को सुनवाई में कतिपय शर्तों के अधीन

| डॉ० मिश्रा को जमानत पर रिहा किये जाने हेतु आदेश पारित किये गये।

4 सरकारी कर्मचारियों का निलम्बन तथा निलम्बन से सम्बंधित प्रकरणों से सम्बंन्धित कार्मिक विभाग उत्तराखण्ड शासन के शासनादेश संख्या-1626, दिनांक 23.01.2003 के प्रस्तर 9 में उल्लेख है कि “किसी निलम्बित सरकारी सेवक के बहाली के आदेश उसी स्तर से प्राप्त किये जांय जिस स्तर से निलम्बन आदेश पारित किये गये हों, भले ही यह आदेश न्यायालय के निर्देशों के अन्तर्गत क्यों न हों”

5 उक्त क्रम में शासन स्तर पर सम्यक विचारोपरान्य यह निर्णय लिया गया कि डॉ० मिश्रा के विरूद्ध सतर्कता जाँच दिनांक 25.07.2018 से गतिमान होने के क्रम में विभागीय स्तर पर जॉच अधिकारी नियुक्त करना तथा विभागीय अनुशासनिक जॉच करवाना औचित्यपूर्ण न पाये जाने के दृष्टिगत निलम्बन के सम्बंध में पुनरीक्षण करने पर यह निर्णय लिया गया कि डॉ० मिश्रा का निलम्बन इस प्रतिबंध के साथ समाप्त कर दिया जाय कि “सतर्कता विभाग की जॉच रिपोर्ट प्रशासनिक विभाग को प्राप्त होने पर गुण दोष के आधार पर यथोचित कार्यवाही की जाएगी।”

6 अतः डॉ० मृत्युंजय कुमार मिश्रा का निलम्बन तत्काल प्रभाव से वापस कर उन्हें सवेतन बहाल करते हुए कुल सचिव, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला, देहरादून के पद पर तैनात किया जाता है। डॉ० मृत्युंजय कुमार मिश्रा को निलम्बन अवधि का वेतन भुगतान नियमानुसार किया जायेगा।

उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू माना जायेगा।

(चन्द्रेश कुमार )

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