जीबी पंत पर्यावरण संस्थान शोध कार्यों के निष्कर्ष को मूर्त रूप देगा

नई दिल्ली में हुई गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल (अल्मोड़ा) की 23 वीं बैठक

अविकल उत्तराखंड

अल्मोड़ा/ नई दिल्ली। गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल (अल्मोड़ा) की राष्ट्रीय समिति की राज्य मंत्री  अश्विनी कुमार चौंबे की अध्यक्षता में 23 वीं बैठक सम्पन्न हुई।

संस्थान के निदेशक डा सुनील नौटियाल ने दिल्ली से लौटकर बताया कि बैठक में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हो रहे यारसा गम्बू (कीड़ा जड़ी) के अवैज्ञानिक दोहन पर चिन्ता जताई। एवं अपेक्षा की कि संस्थान इस दिशा में शोधकार्य के नतीजे से वैज्ञानिक दोहन के समाधान प्रस्तुत करे।

बैठक में केंद्रीय मंत्री व सांसद ने पर्वतीय क्षेत्रों में रेशेदार पौधों जैसे भीमल, अलसी, भांग आदि के रेसे से कपड़ा आदि बनाने की अपार सम्भावना जताई एवं इस संबंध में उनके द्वारा शुरू किये गये निट्रा (गाजियाबाद) के माध्यम से किये जा रहे प्रयासों में तेजी लाने की बात कही।

चीड़ वनों में प्रतिवर्ष आग की समस्या से निबटने हेतु संस्थान द्वारा पिरूल से बनाये जा रहे उत्पादों -धूम्ररहित कोयला, गत्ता, कागज से निर्मित फाईल कवर आदि को बढ़ावा देने पर भी विचार हुआ।

पिरूल के उपयोग हेतु चीड़ बाहुल्य क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर ही इनके उत्पाद बनाने व स्थानीय महिलाओं व ग्रामीणों को रोजगार मिलने पर जोर दिया गया। कहा गया कि इसके लिए वन विभाग के सहयोग से चीड़ की पत्तियों की थ्रेसिंग इकाइयाँ लगाई जाने पर भी एकराय बमी।

संस्थान के निदेशक डा0 नौटियाल ने बैठक में उठे मुद्दों पर किये जा रहे है शोध कार्य से सदस्यों को अवगत कराया और कहा कि संस्थान इन बहुमूल्य सुझावों पर यथा शक्ति अमल करेगा।

इस बैठक में भाजपा सांसद अजय टम्टा,पश्चिम बंगाल की वन मन्त्री बीरबाहा हसदा, सचिव पर्यावरण मन्त्रालय लीला नंदन, सयुक्त सचिव वाजपेयी, प्रो0 वी0के0 गौड़, पूर्व वन प्रमुख आर0बी0एस0 रावत, महानिदेशक भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद डा0 अरूण रावत, देहरादून, डा0 माओ, निदेशक भारतीय वनस्पति सर्वेंक्षण संस्थान कोलकत्ता आदि उपस्थित रहे।

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