राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच की मांग उठाई
अविकल उत्तराखंड
देहरादून।
उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस ने राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह को आज दिए ज्ञापन में उत्तराखण्ड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, सहकारिता विभाग, शिक्षा विभाग सहित सभी विभागों की भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं की जांच सीबीआई अथवा माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की देख-रेख में कराये जाने की मांग की।
इसके अलावा महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से आंगनबाडी केन्द्रों में खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने वाले महिला स्वयं सहायता समूहों को टी.एच.आर. (टेक होम राशन) का भुगतान कराये जाने की मांग की।
गुरुवार को करन माहरा के नेतृत्व में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने महामहिम राज्यपाल ले. जनरल गुरमित सिंह को सौंपे ज्ञापन में कहा कि उत्तराखण्ड की डबल इंजन सरकार भ्रष्टाचार रोकने में पूरी तरह से विफल साबित हुई हैै। राज्य सरकार द्वारा नौजवानों को रोजगार मुहैया कराना तो दूर जिन सरकारी पदों पर अभी तक भर्तियां की भी गई हैं उनमें भारी भ्रष्टाचार एवं भाई भतीजावाद को अंजाम दिया गया है।
कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से वीपीडीओ एवं अन्य पदों के लिए हुई भर्ती परीक्षा में 15-15 लाख रूपये लेकर पेपर लीक कर नौकरियां बेचने का मामला राज्य के सरकारी विभागों की भर्तियों में भारी भ्रष्टाचार का जीता-जागता प्रमाण है।
भाजपा नेताओं के संरक्षण में हुए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले में लगातार हो रही गिरफ्तारियों से साबित हो गया है कि भाजपा सरकार के साढे पांच वर्ष के कार्यकाल में राज्य में भ्रष्टाचार किस हद तक फलता-फूलता रहा है। राज्य के सहकारिता विभाग में विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार एवं अनियमितता तथा भाई-भतीजावाद की पहले ही पोल खुल चुकी है। सहकारी बैंकों में 61 पदों पर हुई भर्तियों में बैंक अध्यक्ष, सचिव तथा अधिकारियों पर मिली भगत कर अपने रिस्तेदारों, चहेतों को रेवडी बांटने के आरोपों से ऐसा प्रतीत होता है कि सहकारिता विभाग में भर्ती घोटाले को राज्य सरकार की छत्रछाया में अंजाम दिया गया है।
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग में स्नातक परीक्षा में हुए घोटाले तथा सहकारिता विभाग की भर्तियों में हुए घोटालों के खुलासे तथा सचिवालय रक्षक के 33 पदों तथा न्यायिक कनिष्ठ सहायक के 288 पदों पर हुई भर्ती की जांच के आदेशों से स्पष्ट हो गया है कि इससे पूर्व फॉरेस्ट गार्ड भर्ती, ग्राम पंचायत सचिव, ग्राम विकास अधिकारी, एलटी भर्ती सहित कई विभागों की लिपिकीय व चालकों की भर्ती में भी भारी घोटाला हुआ है तथा ये सभी भर्तियां संदेह के घेरे में है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग परीक्षा में हुए घोटाले के खुलासे के बाद सबसे पहले जिस व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है वो उसी कंपनी से जुड़ा है जिस कम्पनी द्वारा इसी वर्ष विधानसभा चुनावों से पहले विधानसभा सचिवालय के लिए सीधी भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधानसभा सचिवालय के लिए हुई सीधी भर्ती के परीक्षा परिणाम पर रोक लगाना भर्ती घोटाले की ओर स्पष्ट इशारा करता है।
कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती घोटाले में अब तक जितने भी घोटालेबाज पुलिस की गिरफ्त में आए हैं वे सिर्फ मोहरे मात्र हैं। राज्य में हुए सभी भर्ती घोटालों की उच्च स्तरीय जांच से ही असली घोटालेबाजों तक पहुंचा जा सकता है जो कि राज्य हित में अत्यंत आवश्यक है। कंाग्रेस पार्टी लगातार मांग करती आ रही है कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, सहकारिता विभाग, शिक्षा विभाग सहित अन्य विभागों में हुए भर्ती घोटालों की उच्च स्तरीय जांच करायी जानी चाहिए जिससे इन घोटालों में सत्ता प्रतिष्ठान, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, सचिवालय, विधानसभा मे बैठे बड़े चेहरे बेनकाब हो सकें।
उन्होंने मांग की कि विगत पांच वर्ष के अन्तराल में उत्तराखण्ड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, सहकारिता विभाग, शिक्षा विभाग सहित राज्य के सभी विभागों में हुई भर्तियों की जांच सीबीआई अथवा मा0 उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की देखरेख में कराई जाय।
महामहिम राज्यपाल को सौंपे एक अन्य ज्ञापन में कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में संचालित लगभग 10 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा वर्ष 2013 से राज्य के महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के अधीन आंगनबाडी केन्द्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं एवं छः माह से तीन वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को पौष्टिक आहार वितरण कराने का कार्य किया जा रहा है। इस योजना से प्रदेशभर के लगभग 9 लाख लोग लाभान्वित हो रहे है तथा टी.एच.आर. योजना से 2 लाख महिलायें जुडी हुई हैं।
महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा आढतियों के माध्यम से खाद्य सामग्री एकत्र कर विभिन्न आंगनबाडी केन्द्रों को उपलब्ध कराई जा रही है जिस पर विभिन्न प्रक्रियाओं के बाद एक स्वयं सहायता समूह को लगभग 10 लाख रूपये प्रतिमाह व्यय करना पड रहा है। परन्तु राज्य के महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा विगत एक वर्ष से इन स्वयं सहायता समूहों का भुगतान रोक दिया गया है जिसके कारण प्रत्येक स्वयं सहायता समूह पर आढतियों का लगभग 1 करोड़ रूपये का कर्ज हो चुका है। राज्य के महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा समय पर भुगतान न करने के कारण महिला स्वयं सहायता समूहों को खाद्यय सामग्री उपलब्ध कराने वाले आढतियों द्वारा अपने धन की उगाही के लिए लगातार मानसिक रूप से प्रताडित किया जा रहा है।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा की जा रही मानसिक प्रताडना के खिलाफ महिला स्वयं सहायता समूह दिनांक 22 अगस्त, 2022 से सुद्धोंवाला स्थित निदेशालय में आन्दोलनरत हैं।
कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने महामहिम राज्यपाल से मांग की कि टी.एच.आर. योजना से जुडे महिला स्वयं सहायता समूहों की एक वर्ष की बकाया धनराशि निर्गत करने के राज्य सरकार को निर्देश दिये जांय।
कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के अलावा प्रीतम सिंह, गणेश गोदियाल, विजय सारस्वत, विधायक फुरकान अहमद, सूर्यकान्त धस्माना, पी0के0 अग्रवाल, मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी, पूर्व विधायक राजकुमार, महामंत्री गोदावरी थापली, अमरजीत सिंह, कार्यकारी महानगर अध्यक्ष जसविन्दर सिंह गोगी, विरेन्द्र पोखरियाल, महामंत्री राजेन्द्र शाह, मानवेन्द्र सिंह, मीडिया पैनलिस्ट राजेश चमोली जिलाध्यक्ष संजय किशोर शामिल थे।
विधानसभा की भर्तियों में है बड़ा झोल – करन माहरा
उत्तराखंड के काबीना मंत्री एवं पूर्व विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में हुई 129 भर्तियों में बड़ा झोल हुआ है यह कहना है उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करण मेहरा का।
माहरा ने कहा कि राज्य गठन हुए 22 साल हो चुके हैं लेकिन जिस अवधारणा के साथ उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उसको भाजपा राज में हर स्तर पर तार-तार किया जा रहा है ।राज्य के युवाओं के साथ छलावा करते हुए जिस तरह से विधानसभा में बड़े-बड़े नेताओं के चहेतों को रेवड़ी की तरह नौकरियां बांटी गई है उससे तो यही प्रतीत होता है कि राज्य में अंधेर नगरी चौपट राजा वाली स्थिति हो रही है।
करन माहरा ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है लेकिन वहां की विधानसभा में भी मात्र 543 कर्मचारी अधिकारी कार्यरत हैं लेकिन 70 विधानसभाओं वाले छोटे से राज्य उत्तराखंड ने नौकरियां बांटने के मामले में उत्तर प्रदेश को भी पछाड़ दिया है ।
माहरा ने बताया कि 85 हजार करोड़ के कर्ज में डूबे राज्य उत्तराखंड की विधानसभा में कर्मचारियों की संख्या 560 पार कर गई है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिन लोगों को नौकरियां मिली हैं उनकी पृष्ठभूमि पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। महारा ने कहा कि जिस तरह से नेताओं ने अपने करीबियों को नौकरी दिलवाने के लिए पैरवी की है वह सरासर उत्तराखंड के युवाओं के साथ पक्षपात ही नहीं बल्कि उनके भविष्य के साथ कुठाराघात है। माहरा ने कहा कि यह सच बात है कि उत्तराखंड में बेरोजगारी आज विकराल रूप ले चुकी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सिर्फ पहुंच वाले और बड़े लोगों के सगे संबंधियों को ही मौका दिया जाए।
महारा ने कहा कि अवसर सबके लिए एक समान होने चाहिए और कोई भी भर्ती हो वह मेरिट के आधार पर होनी चाहिए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पैसा लेकर नौकरी देने की जिस तरह की बातें सूत्रों से निकल कर आ रही हैं यदि उसमें सत्यता है तो यह राज्य के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और घातक है।
करण मेहरा ने सिलसिलेवार गिनाते हुए कहा की जिन 129 लोगों को विधानसभा में रखा गया है उनमें से ज्यादातर लोगों की सफेदपोशों के साथ निकटता सर्वविदित है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के पी आर ओ,कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पी आर ओ,संगठन महामंत्री अजेय कुमार के पी आर ओ व सीएम के दो OSD की पत्नियां शामिल हैं
प्रदेश अध्यक्ष ने पुरजोर शब्दों में इस तरह की कार्यप्रणाली और परिपाटी की निंदा करते हुए कहा कि यह राज्य के लिए बहुत ही अधिक चिंतनीय और घातक है क्योंकि यही परिपाटी युवाओं में हो रहे आक्रोश और अवसाद को जन्म दे रही है। माहरा ने कहा की उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य के भविष्य के लिए इस तरह की बंदरबांट अच्छे संकेत नहीं है।
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