मानकों में शिथिलता की भाजपा जनप्रतिनिधियों की मांग पर केंद्र के कदम पर ठिठकी निगाहें.
सैन्य बाहुल्य उत्तराखण्ड में युवाओं का आक्रोश सुना रहा एक नयी कहानी.
NCC सी प्रमाणपत्र होल्डर था कमलेश गोस्वामी
इस बारे में केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट जी ने पत्र के माध्यम से बताया था कि उत्तराखंड में पर्वतीय मानकों के हिसाब से ही अग्निवीर योजना के तहत सेना में भर्ती की जा रही है। वह पत्र मैं आपको उपलब्ध करा दूंगा- नरेश बंसल, राज्यसभा सदस्य
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। अग्निवीर भर्ती के मानकों को लेकर उत्तराखण्ड भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने दिल्ली से लेकर देहरादून तक यह कहकर माहौल बना दिया था कि जल्द ही भर्ती के मानकों में शिथिलता बरती जाएगी। भाजपा के मंत्री व सांसद केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व अजय भट्ट को ज्ञापन देकर मीडिया की सुर्खियां बन रहे थे। युवाओं के आक्रोश को देखते हुए यह सब अगस्त के आखिरी सप्ताह में हो रहा था।
इनमें राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज समेत अन्य नेताओं ने जनता को भी यह विश्वास दिलाया कि जल्द ही अग्निवीर भर्ती के मानकों में पर्वतीय इलाके के हिसाब से छूट दी जाएगी। उत्तराखण्ड के भाजपा नेता अजय भट्ट के केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री होने की वजह से उम्मीद थी कि सुनवाई पर गम्भीरतापूर्वक फैसला लिया जाएगा। और पर्वतीय जिलों में सेना की भर्ती को लेकर नयी संशोधित अधिसूचना जारी की जाएगी।
अग्निवीर योजना के मानकों को लेकर विपक्ष के कड़े प्रहार के बीच भाजपा नेता अपने मकसद में कितने सफल रहे यह तो पता नहीं । लेकिन इस बीच, उत्तराखण्ड के बागेश्वर से आयी दर्दनाक खबर ने हिला कर रख दिया।

खबर यह है कि NCC के C प्रमाणपत्र वाले कपकोट, बागेश्वर निवासी युवक ने अग्निवीर भर्ती में असफल होने पर जहर गटक कर जान दे दी। बागेश्वर जिले के कपकोट तहसील के फरसाली गांव निवासी 21 वर्षीय कमलेश गोस्वामी पुत्र हरीश गोस्वामी ने मौत को गले लगाने से पहले सोशल मीडिया में वीडियो भी शेयर किया। जिसमें वह अग्निवीर भर्ती में असफल होने पर निराशा व्यक्त कर रहा था- हाथ में जहर की शीशी पकड़ी हुई थी-
मेरे पास इसके अलावा कोई विकल्प है। मैंने इतनी मेहनत की थी। पहले भी भर्ती में शामिल हुआ था लेकिन रेस से बाहर हो गया। एनसीसी सी सर्टिफिकेट होने के बाद भी नहीं चुना गया। फिर रिजेक्ट कर दिया गया है। मैं क्या करूं। अगली अग्निवीर भर्ती के लिए ट्राई मत करना।

जहर पीने की सूचना मिलते ही कमलेश गोस्वामी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाए। सोमवार की रात जिला अस्पताल में लगभग 11.30 बजे उसने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।
कमलेश तीन भाइयों में था सबसे छोटा था। और NCC प्रमाणपत्र होल्डर था। मौत से पहले बनाये वीडियो में वह इस बात का भी उल्लेख कर रहा था कि एनसीसी C प्रमाणपत्र के बावजूद उसको फेल कर दिया गया। फिजिकल में 100 नंबर आये थे।
सोमवार को भर्ती का परीक्षाफल आया। वह तब ट्रैकर से खेत जोत रहा था। घर आने पर मोबाइल पर रिजल्ट देखा और असफल होने पर जहर गटक लिया। कमलेश को बचाने की सभी कोशिशें असफल रही।
कमलेश का एक भाई प्राइवेट और एक भाई दुकान चलाता है। कमलेश के पिता जी दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं। वह अपने परिवार का सबसे छोटा था। कमलेश कोरोनाकाल से फौज में जाने की तैयारी कर रहा था।

गौरतलब है कि अग्निवीर भर्ती के मानकों को लेकर अभ्यर्थी पहले दिन से अपना विरोध दर्ज करते रहे हैं। और कई अभ्यर्थी असफल होने के बाद प्रमाण पत्र फाड़कर व अन्य साधनों के जरिये नाराजगी जताते देखे गए। कई युवा आखिरी अटेम्प्ट में असफल होने पर काफी निराश देखे गए।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा भी अग्निवीर भर्ती के मानकों को लेकर भाजपा सरकार पर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं।
इससे पहले, सैनिक बहुल उत्तराखण्ड में सेना में भर्ती में असफलता को लेकर युवाओं की आत्महत्या व निराशा जैसी खबरें शायद ही सुनी गई हो। लेकिन अग्निवीर भर्ती के मानकों को लेकर घर घर में निराशा, आक्रोश व नाराजगी के साफ स्वर सुने जा रहे हैं। 21 साल के युवा कमलेश गोस्वामी की आत्महत्या ने पर्वतीय इलाके के युवाओं के सेना में भर्ती के मानकों पर नये सिरे से गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं।
इस बारे में केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट जी ने पत्र के माध्यम से बताया था कि उत्तराखंड में पर्वतीय मानकों के हिसाब से ही अग्निवीर योजना के तहत सेना में भर्ती की जा रही है। वह पत्र मैं आपको उपलब्ध करा दूंगा- नरेश बंसल, राज्यसभा सदस्य

मानकों में बदलाव से पैदा हुई विसंगति
उत्तराखंड में पहले 163 सेमी की ऊंचाई पर भर्ती होती रही हैं, जबकि अग्निवीर भर्ती में 170 सेमी लंबाई पर चयन किया जा रहा है। उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्र के युवाओं के लिए 163 सेमी लंबाई का मानक है। पूर्व में 1600 मीटर की दौड़ के लिए 5.40 मिनट का समय निर्धारित था, लेकिन अब पांच मिनट में ही दौड़ समाप्त की जा रही है।
यह भी तथ्य सामने आये हैं कि अग्निवीर भर्ती योजना के तहत सेना में सफल अभ्यर्थियों का आंकड़ा पूर्व में हुई भर्तियों की संख्या से कम ही रहेगा।
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