HC order : यूजीसी चेयरमैन हाजिर हो
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व आर सी खुल्बे की खंडपीठ ने यूजीसी को उसकी चुप्पी पर आड़े हाथों लिया
अब गढ़वाल विश्वविद्यालय के इंग्लिश विभाग के भर्ती मामले पर यूजीसी की चुप्पी पर हाईकोर्ट का सख्त आदेश
दस दिन के अंदर शपथ पत्र नही दिया तो चेयरमैन यूजीसी पर अवमानना का केस
अविकल उत्तराखण्ड
नैनीताल/श्रीनगर। केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय में पिछले तीन साल से चल रहे ऑनलाइन शिक्षक भर्ती गड़बड़ी की जो कहानी उत्तराखंड हाई कोर्ट की दहलीज तक पहुंची। दो दिन पूर्व उनमें से एक सुमिता पंवार बनाम गढ़वाल विश्वविद्यालय वाले मामले में गढ़वाल विश्वविद्यालय को मुंह की खानी पड़ी। न्यायालय ने भर्ती प्रक्रिया को दोषपूर्ण करार दिए जाने के बाद विश्विद्यालय को समस्त पदों को पुनः विज्ञापित कर विधिसम्यक रूप से कार्यवाही करने का शपथ पत्र दाखिल करना पड़ा। कोर्ट ने आरक्षण के नियमों के पालन की सख्त हिदायत दी थी।
एक अन्य मामले घनश्याम पाल बनाम गढ़वाल विश्वविद्यालय (WPSB/204/2021) में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व आर सी खुल्बे की खंडपीठ ने यूजीसी को उसकी चुप्पी पर आड़े हाथों लिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि पिछली सुनवाई में यूजीसी के स्टैंडिंग काउंसिल को गढ़वाल विश्विद्यालय के इंग्लिश विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में उपजे विवाद से अवगत कराते हुए यूजीसी को शपथ पत्र प्रस्तुत करने को कहा था। यूजीसी की उक्त मामले में बताना था कि गढ़वाल विश्विद्यालय द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया संपूर्ण रूप से यूजीसी रेगुलेशन 2018 के अनुरूप है कि नही।
यूजीसी स्टैंडिंग कॉउंसलर ने अपना पक्ष दाखिल करते हुए कहा कि उन्होंने इस संबंध में यूजीसी को अवगत करा दिया था किंतु यूजीसी की तरफ से कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। स्टैंडिंग काउंसिल आगे कहा की यूजीसी की इस चुप्पी के कारण उन्होंने अपना इस्तीफ़ा भी प्रस्तुत कर दिया है।

न्यायालय ने कहा कि 27 सितम्बर 2022 के आदेश का यूजीसी द्वारा पालन ना होना यह दिखाता है कि यूजीसी न्यायालय के आदेश को कमतर सम्मान दे रहा है। कोर्ट ने यूजीसी को अंतिम अवसर के रूप में दस दिनों के भीतर 27 सितम्बर 2022 को पारित आदेश के अनुपालन में शपथ पत्र प्रस्तुत करने को आदेशित किया गया।
आदेश के अनुपालन न होने की दशा में चेयरमैन यूजीसी पर न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही प्रारंभ करने हेतु उन्हे भौतिक रूप से अगली सुनवाई की तारीख में प्रस्तुत होने का आदेश दिया गया।
इस आदेश को चेयरमैन यूजीसी को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजने के लिए रजिस्ट्रार जनरल को आदेशित किया गया। साथ ही इस आदेश को 27/09/22 के आदेश की प्रति के साथ सामान्य प्रकिया से भेजने के आदेश दिए गए। केस की अगली सुनवाई 23 नवंबर निश्चित की गई।
गढ़वाल विश्वविद्यालय की गलत नीतियों एवम गड़बड़ियों का खामियाजा अब यूजीसी को भी कोर्ट के सख्त आदेश के रूप में झेलना पड़ा है। अब यूजीसी ने आदेश का पालन नहीं किया तो चेयरमैन यूजीसी को न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा।
देखना यह होगा कि क्या यूजीसी दिनांक 27 सितम्बर के आदेश में कोर्ट द्वारा इंगित गढ़वाल विश्वविद्यालय की कारगुजारियो पर क्या रुख अपनाता है। गौरतलब है कि इस मामले में असंबद्ध विषय वाले अभ्यर्थी को शॉर्ट लिस्ट करना, विभागाध्यक्ष एवम संकायाद्यक्ष द्वारा दिए गए इंटरव्यू के अंकों को आधे करने, वीसी एवम अन्य कुछ सदस्यों द्वारा अंक न दिए जाने आदि अनियमितताओं को माननीय उच्च न्यायालय ने अपने 27 सितम्बर के आदेश में लिखा है और यूजीसी को इन्ही सब मामलों में शपथ पत्र प्रस्तुत करने को कहा था।
UGC chairman to appear in court if HC order is not followed

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हाईकोर्ट ने दी आरक्षण के नियमों के पालन की सख्त हिदायत

