त्रिवेंद्र के विरोध की वजह से चार साल पहले उमेश कुमार के साथ पत्रकार शिव प्रसाद सेमवाल ने भी जेल भुगती थी। अब उमेश व सरकार के बीच समझौते की खबर से सेमवाल ने दिखाए तेवर. त्रिवेंद्र की सीबीआई जांच के लिए यूकेडी करेगी पीआईएल
Angered by the ‘compromise’, uttarakhand kranti dal will go to the High Court against Trivendra rawat corruption case
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच कराए जाने के मामले को लेकर संभावित समझौते की खबरों के बीच उत्तराखंड क्रांति दल ने ऐलान किया है कि त्रिवेंद्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई जांच के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी।
गौरतलब है कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र की SLP को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई हुई। इसके ब बाद एक प्रमुख राष्ट्रीय अखबार में उमेश कुमार व राज्य सरकार के बीच समझौते की खबर छपी। इससे नाराज उक्रांद ने कानूनी लड़ाई का मन बनाया है।
गौरतलब है कि 2018 में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत की सरकार गिराने सम्बन्धी साजिश से जुड़े मामले में उमेश कुमार के साथ पत्रकार शिव प्रसाद सेमवाल व राजेश शर्मा को भी जेल जाना पड़ा। कई सालों से उत्तराखण्ड में पत्रकारिता कर रहे शिव प्रसाद सेमवाल और राजेश शर्मा की गिरफ्तारी की मुख्य वजह के केंद्र में उमेश कुमार का साथ देना ही माना गया। इन दोनों की गिरफ्तारी को लेकर सभी को हैरानी हुई थी।
चूंकि शिव प्रसाद सेमवाल ने भी जेल भुगती। लिहाजा दिल्ली के अखबार में बुधवार की सुबह आई समझौते की खबर के बाद सेमवाल ने भी कमर कस ली। चुनाव से पहले उक्रांद में शामिल हुए पत्रकार शिवप्रसाद सेमवाल ने कथित समझौते ओर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए त्रिवेंद्र रावत के भ्र्ष्टाचार की सीबीआई जॉच को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने का फैसला किया।
समझौते को लेकर मीडिया में आ रही ख़बरों के बीच शिव प्रसाद सेमवाल और यूकेडी महिला मोर्चा की केंद्रीय उपाध्यक्ष उत्तराखंड बहुगुणा ने एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से यह ऐलान किया कि भ्रष्टाचारियों से समझौता किसी भी कीमत पर नही होगा।

सीबीआई जांच की मांग लेकर उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी और यूकेडी महिला प्रकोष्ठ की केंद्रीय उपाध्यक्ष उत्तरा पंत बहुगुणा ने यूकेडी मुख्यालय में एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से यह ऐलान किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई पूर्ववत जारी रहेगी और यदि सुप्रीम कोर्ट मे किसी भी कारण से हाईकोर्ट के आदेशों के अनुरूप सीबीआई जांच के आदेश नहीं होते है तो फिर पुख्ता तथ्यों और दस्तावेजों के साथ सीबीआई जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की जाएगी।
यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने इससे जुडे मामले मे सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी को लेकर उत्तराखंड शासन के यू-टर्न को लेकर भी आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह सरकार कानून से नहीं बल्कि राजनीतिक दबाव और सोशल मीडिया के कहने पर चल रही है।
यूकेडी महिला प्रकोष्ठ की केंद्रीय उपाध्यक्ष उत्तरा पंत बहुगुणा ने कहा कि उनकी लड़ाई व्यक्तिगत नहीं बल्कि भ्रष्टाचार की खिलाफ है और यदि कोई पाक साफ है तो उसे जांच से कोई गुरेज नहीं होना चाहिए।
गौर तलब है कि 27 अक्टूबर 2020 को हाई कोर्ट ने तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच कराने की आदेश दिए थे, जिसको लेकर तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
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अब उमेश कुमार की विधायकी से जुड़ी याचिका पर अब डे टू डे होगी सुनवाई

