उत्तराखण्ड कांग्रेस के लिए हिमाचल का चुनाव परिणाम किसी बड़े सबक से कम नहीं.
आज तो बहुत खुश है उत्तराखण्ड कांग्रेस..
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीती बाजी हारी थी
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। उत्तराखण्ड के विधानसभा चुनाव में जीती बाजी हारने वाली कांग्रेस आज बहुत खुश है। देहरादून से लेकर पूरे प्रदेश में कांग्रेसी जश्न मना रहे है। लम्बे समय बाद कांग्रेस के ठिकानों पर ढोल की थाप और डांस का संगम देखने को मिला। पटाखे फूटे और मुंह मीठा कराया गया। नारे लगे आ गयी कांग्रेस…छा गयी कांग्रेस..
पड़ोसी राज्य हिमाचल के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड की तरह भाजपा को इतिहास बनाने का मौका नहीं मिला। हिमाचल में हर पांच साल बाद सरकार बदलने का क्रम जारी रहा। जबकि उत्तराखण्ड में बेहतर पोजीशन में दिख रही कांग्रेस अंत में पस्त हो गयी।
हिमाचल के चुनाव परिणाम आते ही उत्तराखण्ड कांग्रेस नेताओं के बीच जारी महाभारत के चर्चे नये सिरे से शुरू हो गए है। आम कांग्रेस कार्यकर्ता का कहना है कि नेता नहीं उलझते तो आज हिमाचल की तरह ही उत्तराखण्ड में कांग्रेस सत्ता में होती।
अंदरूनी जंग में बुरी तरह उलझने की वजह से उत्तराखण्ड कांग्रेस ने भाजपा को इतिहास दोहराने का मौका दे दिया। कांग्रेस नेता हरीश रावत,प्रीतम सिंह व प्रभारी देवेंद्र यादव समेत अन्य नेताओं के बीच जंग अभी भी जारी है।
हाल ही में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व चकराता से कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने अंकिता भंडारी हत्याकांड, कानून व्यवस्था ,बेरोजगारी समेत तमाम मुद्दों को लेकर सफल सचिवालय घेराव किया।
कांग्रेस के करीब 14 विधायक प्रदर्शन में शामिल हुए। यह प्रीतम सिंह का पार्टी संगठन से इतर अपना कार्यक्रम था। पूर्व सीएम हरीश रावत के समानांतर कार्यक्रम चलते ही रहते हैं।
बाकी प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा संगठन से जुड़े कार्यक्रम चला रहे हैं। कुल मिलाकर विधानसभा की बड़ी हार के बाद भी उत्तराखण्ड कांग्रेस सम्भली नहीं है। बीते माह हरिद्वार पँचायत के चुनाव में पहली बार भाजपा का बहुमत हो गया। जबकि हरिद्वार से भाजपा के तीन ही विधायक जीते थे। इस जीत का श्रेय सीएम धामी की टीम के कुशल चुनावी प्रबन्धन को गया।
हालांकि, हिमाचल की जीत पर प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा ने कहा वैसे तो हिमाचल में हर पाँच साल में सरकार बदलने का रिवाज़ है, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने यही तो कैम्पेन किया था कि रिवाज़ बदल दो और फिर हमें सत्ता दो । मगर हिमाचल के लिए ये चुनाव रिवाज़ का नहीं ,भाजपा से रिवेंज का चुनाव था। उस डबल इंजन की सरकार से रिवेंज का जिसने देश की जनता को महंगाई और बेरोज़गारी की डबल जंजीरों में जकड़ दिया था।
लेकिन भाजपा की डबल इंजन की सरकार तो उत्तराखण्ड में भी थी। लेकिन यहां रिवेंज नहीं लिया मतदाताओं ने। बल्कि रिवाज बदल दोबारा भाजपा को सत्ता सौंप दी। जबकि मुद्दे वही थे उत्तराखण्ड में जिनके बूते आज हिमाचल में कांग्रेस जीती।
हिमाचल कांग्रेस ने उत्तराखण्ड कांग्रेस को जीत का सबक दिया। उत्तराखण्ड कांग्रेस के स्तम्भ अपनी महत्वाकांक्षा की वजह से भाजपा को जीत का लड्डू थमा ही चुके हैं। मौजूदा हालात देखते हुए प्रदेश कांग्रेस को निकाय और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कोई नया जमीनी फार्मूला तलाशना होगा।
हिमाचल की इस ऑक्सीजन से उत्तराखण्ड कांग्रेस दो चार दिन तो गुजार सकती है लेकिन आने वाले दिनों में उत्तराखण्ड कांग्रेस को अपनी ही ऑक्सीजन के बूते आगे बढ़ना होगा। वो भी तब मुमकिन है जब अपने नेता ऑक्सीजन पाइप को बीच में काटकर सप्लाई बाधित न करें….
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