केदारनाथ मंदिर के चबूतरे के पास में लगाया जाएगा पचास टन भारी ‘ऊँ’ का निशान, भक्तों के आकर्षण का रहेगा केंद्र 

अविकल उत्तराखंड/ रुदप्रयाग। केदारनाथ मंदिर में चबूतरे के पास पचास टन का ‘ऊँ’ का निशान लगाया जाएगा। इसका ट्रायल सोमवार को किया गया। लगभग दो सप्ताह में पूरी तरह फिट कर दिया जाएगा। केदारनाथ मंदिर गर्भगृह में सोने की परत चढ़ाए जाने, मंदिर के अंदर कलश व छत्र सोने का लगने के बाद अब धाम में पचास टन भारी ऊँ का निशान लगाया जाएगा, इसके लिए कार्य शुरू हो गया है।

पचास टन भारी यह निशान ट्रेक्टर के माध्यम से केदारनाथ धाम पहुंचाया गया। इसको एक दर्जन से अधिक टुकड़ों को जोड़कर बनाया गया है। लोक निर्माण विभाग ने सोमवार को इसका ट्रायल किया गया। यह केदारनाथ मंदिर से 200 मीटर दूरी पर चबूतरे में लगाया जाएगा। बताया जा रहा है कि इसे ताबा व पीतल मिलाकर बनाया गया है, वह जर्मनी से मंगवाया गया है। ऊँ का यह निशान भक्तों को आकर्षित करेगा। अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग जितेन्द्र झिंकवाण ने बताया कि ऊँ के निशान को लगाने के लिए ट्रायल लिया गया है। जो सफल रहा, अब लगभग दो से तीन सप्ताह में यह निशान लगा दिया जाएगा। यहा काफी आकर्षक है।

केदारनाथ आपदा के नौ वर्ष बाद भगवान के शिव आराध्य गुरू ईशानेश्वर को अपना आशियाना मिल सकेगा, अंतिम दौर का कार्य चल रहा है, और इसी महीने कार्य पूरा होने की उम्मीद है। आपदा के बाद से भगवान की मूर्तियों की खुले आसमान के नीचे ही पूजा अर्चना हो रही है। बाबा केदार की पूजा-अर्चना व भोग से पहले ईशानेश्वर महादेव की अराधना कर भोग लगाने की परम्परा है। सुख-समृद्धि और वैभव का प्रतीक भी माना जाता है। केदारनाथ धाम में स्थित ईशानेश्वर मंदिर प्राचीन मंदिर है। विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ धाम का मंदिर का निर्माण पाण्डवों ने किया था।

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