अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। ग्राफिक एरा अस्पताल ने जन्मजात हृदय रोगों पर एक कार्यशाला आयोजित की, जिसमें शिशुओं से लेकर वयस्कों तक हृदयविकार के साथ पैदा हुए रोगियों का निदान और उपचार किया गया। कार्यक्रम में डॉ के एल उमामहेश्वर (बाल हृदयरोग विशेषज्ञ), डॉ राज प्रताप सिंह (वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट) डॉ. हिमांशु राणा (हृदय रोग विशेषज्ञ), डॉ. पुलकित मल्होत्रा (कार्डियक सर्जन), डॉ. एस पी गौतम (कार्डियक एनेस्थेटिस्ट), डॉ. अतुल (कार्डियक एनेस्थेटिस्ट), डॉ. शांतनु शुभम (बाल रोग विशेषज्ञ), डॉ. ऋचा (बाल रोग विशेषज्ञ) और अन्य ने भाग लिया।
डॉ. अखिलेश पाण्डेय (निदेशक, कार्डियक साइंसेज) ने बताया कि जिन लोगों का जन्म दिल में छेद या हृदय की असामान्य संरचना या वाल्व की खराबी के साथ होता है, उन्हें जन्मजात हृदय विकार कहा जाता है। लक्षणों में त्वचा का नीला रंग (सायनोसिस), सांस फूलना, असामान्य धड़कन, बच्चे को पूरा दूध पीने में असमर्थता, बच्चे का वजन ना बढ़ना, छाती में संक्रमण और कभी-कभी मृत्यु शामिल हैं। यदि किसी बच्चे में उपरोक्त लक्षण हैं तो एक अच्छा इकोकार्डियोग्राफी परीक्षण किया जाना चाहिए। ये रोग हल्के रूपों से लेकर जीवन के लिए घातक भी सकते हैं। जीवन के लिए खतरा होने पर कई बार तत्काल सर्जरी की भी जरूरत हो सक ती है।
डॉ. राज प्रताप ने बताया कि जन्मजात हृदय विकार का इलाज पहले केवल ओपन हार्ट सर्जरी होता था, लेकिन आजकल डिवाइस क्लोजर से कई हृदय दोषों को बिना सर्जरी के ठीक किया जा सकता है, जिससे बड़ी सर्जरी और एनेस्थीसिया से बचा जा सकता है। इस कार्यशाला में डिवाइस क्लोजर पद्धति का उपयोग करके दिल में छेद वाले पांच रोगियों (ए एस डी, वी एस डी, पी डीए ) का सफलतापूर्वक इलाज किया गया और अगले दिन उन्हें छुट्टी दे दी गई। उन्हें किसी दवा की भी जरूरत नहीं होगी। इलाज के अलावा, डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने हृदय दोषों के लिए कार्डियोलॉजी और इमेजिंग के क्षेत्र में नवीनतम विकास को साझा किया।
डॉ. पुनीत त्यागी (निदेशक, ग्राफिक एरा अस्पताल) और प्रबंधन ने पूरी टीम को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी और कहा की ग्राफिक एरा अस्पताल सभी को उन्नत उपचार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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