रिटायरमेंट से ठीक एक दिन पहले कुलपति डॉ सुनील जोशी को पद से हटाने के हुए आदेश, देखें राज्यपाल का आदेश
हाईकोर्ट के आदेश को तामील करने में लग गए पूरे सात दिन
प्रो० अरुण कुमार त्रिपाठी बने कुलपति
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। आखिरकार एक सप्ताह बाद हाईकोर्ट के आदेश का पालन हो ही गया। आयुर्वेद विवि के कुलपति डॉ सुनील जोशी को हटाने पर राजभवन की मुहर लग गयी।
बुधवार को राज्यपाल ले जनरल गुरमीत सिंह ने कुलपति सुनील जोशी को हटाने के आदेश जारी कर दिए। गौरतलब है कि कुलपति 13 जुलाई को रिटायर होने वाले हैं। इससे पहले ही हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हें हटा दिया गया।
साथ ही प्रो० अरुण कुमार त्रिपाठी को आयुर्वेद विवि का कुलपति बनाया गया है।
“अविकल उत्तराखण्ड” ने 11 जुलाई को इस मुद्दे पर हो रही हीला हवाली को प्रमुखता से उजागर किया था। बीते 5 जुलाई को हाईकोर्ट ने डॉ सुनील जोशी को कुलपति पद से हटाने का आदेश दिया था।
शासन से 6 जुलाई को राजभवन भेजी गई फ़ाइल 11 जुलाई की शाम तक शासन में नहीं लौटी थी। 12 जुलाई को कुलपति को हटाने के लिए राज्यपाल की मुहर लग गयी।

मा० उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा रिट याचिका संख्या-567/2021 में दिनांक 05.07.2023 को पारित आदेश के क्रम में डा० सुनील कुमार जोशी को कुलपति उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून के पद से तत्काल प्रभाव से वियुक्त (Divested) किया जाता है।
एतद्द्वारा विश्वविद्यालय के शैक्षणिक एवं अन्य कार्यों के सुचारू संचालन के दृष्टिगत नये कुलपति की नियुक्ति होने तक के लिए अन्तरिम व्यवस्था हेतु उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय अधिनियम-2009 की धारा-11(7) के अन्तर्गत राज्य सरकार की संस्तुति के क्रम में प्रो० अरुण कुमार त्रिपाठी, काय चिकित्सा, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, गुरुकुल परिसर, हरिद्वार को उनके पद के कार्य दायित्वों के साथ-साथ कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से छः माह अथवा नियमित कुलपति की नियुक्ति होने तक जो भी पहले हो की अवधि के लिए उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, देहरादून का कुलपति नियुक्त किया जाता है।
लेज गुरमीत सिंह कुलाधिपति ।
आयुर्वेद विवि के कुलपति रहे डॉ सुनील जोशी विजिलेंस जांच का भी सामना कर रहे हैं। उनकी नियुक्ति को लेकर हरिद्वार के विनोद चौहान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए योग्यता को चैलेंज किया था।
याचिका में कहा था कि डॉ सुनील जोशी कुलपति पद के लिए आवश्यक योग्यता पूरी नहीं करते। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने 5 जुलाई को अपने आदेश में कुलपति को हटाने को कहा था।
आयुर्वेद विवि में हुई नियुक्तियों, निर्माण कार्य समेत अन्य मामलों को लेकर विजिलेंस जांच भी चल रही है।
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सात दिन बाद भी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं,राजभवन पर टिकी निगाहें

