उच्चस्तरीय जांच का मामला,देखें ‘खेला’ की पूरी खबर
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने किस नियम से स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले चुके शिक्षक को परिसर निदेशक बनाया
..और हाल ही में परिसर निदेशक पद से हटाए गए हैं डॉ पैन्यूली
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विवि में भी अजब गजब होता रहता है। अपने हिसाब से नियमों से ‘खेला’ आम बात हो गयी है।
हाल ही में आयुर्वेद विवि के दून कैंपस से हटाए गए डॉ डीपी पैन्यूली ने 11 फरवरी 2019 को वीआरएस के लिए अर्जी दी थी । यह स्वैच्छिक रिटायरमेंट 18 सितम्बर 2019 को मंजूर भी हो गया।
लेकिन तत्कालीन चर्चित कुलसचिव डॉ. राजेश अधाना और डॉ. सुनील कुमार जोशी ने 2019 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्त लेने व कार्यमुक्त हो चुके शिक्षक डॉ. डी. पी.पैन्यूली को पद रिक्त हो जाने के कई माह के बाद पुनः उन्हें उनके मूल पद पर जॉइनिंग दे दी । यही नहीं, बाद में उसी मुख्य परिसर का परिसर निदेशक तक बना डाला।
ज्ञात हो अभी 2 दिन पूर्व विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर पद से हटाये जा चुके डॉ. पैन्यूली ने फरवरी 2019 में स्वैक्षिक सेवानिवृत्त का आवेदन तत्कालीन परिसर निदेशक डॉ. पंकज शर्मा को सौंपा जिसे उन्होंने 11 फरवरी 2019 को विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजा जिसके संदर्भ में तत्कालीन कुलसचिव सह अपर जिलाधिकारी रामजी शरण शर्मा ने उक्त त्यागपत्र को स्वीकार करने हेतु आवश्यक अन्य प्रक्रियाओं को पूर्ण करने हेतु आधिकारिक पत्र परिसर निदेशक डॉ. पंकज शर्मा और डॉ. पैन्यूली को दिनांक 01 अप्रैल 2019 प्रेषित किया जिसके आधार पर परिसर निदेशक ने 04 अप्रैल 2019 को उक्त शिक्षक की सेवानिवृत्त हेतु सभी आवश्यक निर्देशो का पालन करते हुए कुलसचिव को पुनः पत्र लिखा।
गौरतलब है कि वीआरएस पत्र के साथ डॉ. पैन्यूली का शपथ पत्र भी संलग्न था जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया था कि वह यह त्यागपत्र बिना किसी दबाव के अपनी इच्छा से दे रहे हैं और वह भविष्य में उक्त पद पर कोई भी दावा प्रस्तुत नहीं करेंगे।
तत्कालीन कुलसचिव व एडीएम राम जी शरण शर्मा ने तत्कालीन कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार के अनुमोदन के बाद डॉ पैन्यूली को 18 सितंबर 2019 को कार्यमुक्त कर दिया । इस कार्यमुक्त आदेश की प्रति उत्तराखंड शासन समेत समस्त संबंधित अधिकारियों और सेवानिवृत्त शिक्षक को भी भेजी गई।
इसके बाद कहानी में नया मोड़ आया। तत्कालीन कुलसचिव रामजी शरण शर्मा और कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार के जाते ही पूर्व विवादित कुलसचिव राजेश अधाना और कुलपति डॉ. सुनील जोशी ने डॉ. पैन्यूली को एक बार फिर मूल पद पर जोइनिंगन्दे दी। यह किस नियम के तहत किया गया, यह भो अबूझ पहेली बनी हुई है।
सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन परिसर निदेशक डॉ. पंकज शर्मा की नियमविरुद्ध उनके मूल पद पर पुनः योगदान कराने में अहम भूमिका रही। यही नहीं, परिसर निदेशक तक बना दिया । और हाल ही में डॉ. पैन्यूली को तत्काल प्रभाव से परिसर निदेशक पद से हटाते हुए प्रो सती को परिसर निदेशक बना दिया।
यह पूरा मामला गंभीर जांच का विषय बन गया है कि वीआरएस मंजूर होने के बाद शासन के किस नियम के तहत डॉ पैन्यूली को वापस कुर्सी देकर परिसर निदेशक तक बना डाला। अभी भी डॉ पैन्यूली परिसर में मूल पद पर योगदान दे रहे हैं।
Pls क्लिक -डॉ पैन्यूली को परिसर निदेशक पद से हटाया
प्रोफेसर राधाबल्लभ सती दून आयुर्वेद परिसर के निदेशक बने
Total Hits/users- 30,52,000
TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245