सरकार ने 11 हजार करोड़ के अनुपूरक बजट के साथ कई विधेयक पारित किए

विशेषाधिकार हनन के मामले में मुख्य सचिव व चीफ इंजीनियर तलब

निजी विवि समेत कई विधेयक पास, जनहित के मुद्दों पर विपक्ष ने बोला हमला

संसदीय कार्यमंत्री हुए भावुक, सदन अनिश्चितकाल तक स्थगित

मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने उठाया मामला , भाजपा सदस्य भी बरसे

स्पीकर से मिले मुख्य सचिव, मुख्य अभियंता को भी बुलाया

मामला विशेषाधिकार हनन समिति को सौंपा

अविकल उत्तराखंड/एजेंसी

देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा के अल्प अवधि मानसून सत्र में प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को 11 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट पास कर दिया। इसके अलावा राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण सम्बन्धी विधेयक प्रवर समिति को भेज दिया। इसके अलावा निजी विवि समेत 13 विधेयक पास किये।

शुक्रवार की देर रात तक चले स्तर के बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चित काल तक स्थगित कर दिया।

मौजूदा विधानसभा सत्र में जनहित से जुड़े मुद्दों , बेरोजगारों के सवाल से लेकर विशेषाधिकार हनन मामले में विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा।

शुक्रवार को विधानसभा सत्र में विशेषाधिकार हनन के मामले में विपक्ष ने जमकर प्रहार किए। यही नहीं , भाजपा विधायकों ने भी इस मामले में खासी नाराजगी व्यक्त करते हुए दोषी अधिकारियों को दंडित करने की मांग की।

स्पीकर ऋतु खण्डूडी ने इस मामले में मुख्य सचिव मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधु को तलब कर अधिकारियों के व्यवहार को लेकर कड़े शब्दों में निर्देश जारी करने को कहा। शुक्रवार को शून्यकाल में विशेषाधिकार हनन का मामला उठाते हुए कांग्रेस सदस्य प्रीतम सिंह ने कहा कि 25 अगस्त 2023 को उन्होंने पीएमजीसवाई के मुख्य अभियंता को 5 बार फोन किए। तब जाकर उनका फोन उठा।

मुख्य अभियंता ने 26 अगस्त को सुबह 11 बजे ऑफिस में मिलने का समय बताया। 26 को जाने से पहले 11 बजकर 24 मिनट पर मुख्य अभियंता को फोन किया , किंतु फोन नहीं उठा। प्रीतम सिंह का कहना है कि 11.24 बजे से 1 बजकर 42 मिनट तक दर्जनों फोन किए।

एक बजकर 45 पर मुख्य अभियंता ने फोन उठाया और कहा कि वे ग्राम्य विकास मंत्री की मीटिंग में हैं । ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी से जब मुख्य अभियंता के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उक्त अधिकारी उनके पास नहीं आए। प्रीतम ने कहा कि उसके बाद उन्होंने सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज के ऑफिस में फोन किया तो उनके ऑफिस में राजन से बात हुई। राजन ने बताया कि मुख्य अभियंता पीएमजीएसवाईए सिंचाई मंत्री से मिलने 10.30 बजे आए थे और 10.45 बजे चले गए थे।

उन्होंने कहा कि ये वही अधिकारी है जिसकी जांच आईएएस डॉ आर राजेश कुमार ने की और 700 करोड़ का गड़बड़झाला पकड़ा। जांच रिपोर्ट देने के दूसरे दिन राजेश कुमार से विभाग हटा दिया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुख्य अभियंता के पीछे किसी ” बड़े ” का हाथ है।

उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों की पुनरावृति इसलिए हो रही है कि पीठ के निर्देश का पालन कराने में सरकार विफल हो रही है या सरकार ध्यान नहीं दे रही है।

पीठ की तरफ से कड़े निर्देश दिए जाने चाहिए जिससे अधिकारी विधायकों के प्रोटोकॉल का ख्याल रखें।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि ये गंभीर विषय हैं। जो अभी जनप्रतिनिधियों के लिए चिंता का विषय है। इसलिए दोषी अधिकारी को कड़ा दंड दिया जाए।

विपक्ष का तर्क सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कहा कि ये बहुत ही गंभीर मामला है। इस मामले में पीठ से तीन बार निर्देश दिए जाने के बाद भी शिकायत मिलने का मतलब ये है कि निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। सदन परम्पराओं और नियमों से चलता है।

विधायकों के प्रोटोकॉल का पालन तो ब्यूरोक्रेसी को करना ही होगा। उन्होंने कहा कि आज दोपहर के बाद मुख्य सचिव को उनके ऑफिस में बुलाया जाए। एलबीएस अकादमी मसूरी को पत्र लिखा जाए कि पढ़ाई के साथ साथ अधिकारियों को प्रोटोकॉल का ज्ञान भी दिया जाए।

स्पीकर ने प्रीतम सिंह द्वारा उठाए गए विशेषाधिकार हनन के मामले को विशेषाधिकार हनन समिति को जांच के लिए सौप दिया है।

भोजनावकाश के समय मुख्य सचिव ने आकर विधानसभा अध्यक्ष से भेंट की और मामले की जानकारी हासिल की। स्पीकर ने मुख्य सचिव को कहा कि इस तरह का कृत्य करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन लें।

बताया जाता है कि आरोपी मुख्य अभियंता आर पी सिंह भी विधानसभा पहुंचा। आर पी सिंह सिंचाई विभाग में अधीक्षण अभियंता है और पीएमजीएसवाई ( पीडब्ल्यूडी) में प्रतिनियुक्ति में गया है। कई वरिष्ठ अभियंताओं को दरकिनार कर आर पी सिंह को पीएमजीएसवा का चीफ बनाया गया है।

बताया जाता है कि आर पी सिंह पीएमजीएसवाईए में लंबा टिका रहने के लिए आजकल प्रोन्नति के लिए तार जोड़ने में लगा हुआ है।

गौरतलब है कि गैरसैंण सत्र में भी विशेषाधिकार हनन का मामला उठा था। उस समय भी
मुख्य सचिव को निर्देश दिए गए थे।

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सदन में राज्य आंदोलनकारियों के मुद्दे पर संसदीय कार्य मंत्री हुए भावुक
बोले मैं भी हूं राज्य आंदोलनकारी, आंदोलन के दिनों को किया याद
देहरादून
सदन में राज्य आंदोलनकारियों/आश्रितों के आरक्षण के विषय पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्यमंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल भावुक हो उठे। इस दौरान उनकी ऑखें आसूओं से नम हो गई। डॉ अग्रवाल ने राज्य आंदोलन के दौरान विकट परिस्थतियों में सक्रिय सहभागिता को याद करते हुये सदस्य विनोद चमोली एवं भुवन कापड़ी आदि की भावनाओं से स्वयं को सम्बद्ध किया तथा बहुमत होते हुये भी राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं को सम्मान करने के लिये प्रस्तावित विधेयक को प्रवर समिति को सन्दर्भित करने का अनुरोध किया।
सदन के भीतर संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि वह भी स्वयं राज्य आंदोलनकारी रहे हैं। उन्होंने आंदोलन के दिनों को याद करते हुए बताया कि उन दिनों महिलाओं के साथ जो अत्याचार हुआ, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इतिहास के पन्नों में वह दिन सबसे दर्दनाक रहा।
उन्होंने डोईवाला में स्वयं के द्वारा राज्य आंदोलन में प्रतिभाग करते हुए तत्कालीन सत्ताधारी सपा पार्टी के द्वारा किये गए अत्याचारों को भी सदन के भीतर रखा। उन्होंने बताया कि आंदोलन में प्रतिभाग करने पर उन्हें डोईवाला चौक पर घसीट कर ले जाया गया।
डॉ अग्रवाल ने सदन के भीतर कहा कि वह मुजफ्फरनगर कांड के प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं, उसे दौरान उत्तराखंड वासियों के साथ अनहोनी हो गई थी। उन्होंने कहा कि उन दिनों को याद कर आज भी आंखें नम हो जाती हैं।
डॉ अग्रवाल ने सदन के भीतर उन राज्य आंदोलनकारी को याद करते हुए उस दौरान हुए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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