विशेषज्ञों ने मानसिक स्वास्थ्य पर साझा की महत्वपूर्णं जानकारियां
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के स्कूल आफ एजुकेशन द्वारा उच्च शिक्षा में छात्र-छात्राओं के कल्याण के संबंध में मार्गदर्शन और परामर्श का महत्वश् विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सेमिनार में मुख्य वक्ता श्री गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. शोभित गर्ग, प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. पवन शर्मा, नैदानिक एवं पुनर्वास मनोविज्ञान एवं अनुसंधान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र धालवाल रहे।
सेमिनार का शुभारंभ श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर डाॅ अजय कुमार खंडूड़ी, विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर संजय शर्मा, डीन स्कूल ऑफ एजुकेशन प्रोफेसर डाॅ मालविका कांडपाल, रिसर्च डीन प्रोफेसर डाॅ. लोकेश गंभीर द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने सेमिनार की सफलता के लिए आयोजकों को शुभकामनाएं प्रेषित की। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डाॅ यशबीर दीवान ने कहा कि जब कोई छात्र या छात्रा उच्च स्तर के तनाव का अनुभव करता है, तो यह उसकी सीखने, याद रखने और बेहतरीन प्रदर्शन करने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसके परिणामस्वरूप शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। इसलिए छात्रों, उनके माता-पिता को उन कारकों के बारे में पता होना चाहिए जो तनाव पैदा कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि एक शिक्षक का दायित्व अपने छात्र का सर्वांगीण विकास करना है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर अजय कुमार खंडूरी ने उपस्थित छात्रों और शोधार्थियों के समक्ष अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि चुनौतीपूर्ण वातावरण में भी एक छात्र किस प्रकार अपने मानसिक संतुलन को बनाए रख सकता है और अपने जीवन में सफल हो सकता है। साथ ही उन्होंने छात्रों मानसिक तनाव से बचने की प्रेरणा दी।
सेमिनार के मुख्य वक्ता डॉ शोभित गर्ग ने छात्रों को रचनात्मक तरीके से मानसिक तनाव से बचने के उपाय बताएं। साथ ही उन्हें तनाव के प्रकार और उसकी नकारात्मकता के साथ उनको दूर करने के विभिन्न तरीकों का भी ज्ञान दिया
सेमिनार के दूसरे वक्ता मनोचिकित्सक डॉ पवन शर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में तनाव हर व्यक्ति को है, जिसके कारकों के बारे में पता होना चाहिए जो तनाव पैदा कर सकते हैं। साथ ही उन्हें इलाज के उपायों के बारे में भी पता होना चाहिए जो एक छात्र के मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित करता है। इस अवसर पर तीसरे वक्ता डॉ सुरेंद्र ढलवाल ने कहा कि आज के समय में युवा तनाव से सबसे अधिक ग्रसित हैं, जिन्हें उचित परामर्श के द्वारा तनाव से बचने और उसे दूर करने के उपाय सिखाए जा सकते हैं।
इस अवसर पर सेमिनार की समन्वयक डीन स्कूल आफ एजुकेशन प्रोफेसर डाॅ. मालविका कांडपाल ने बताया कि इस एक दिवसीय सेमिनार में उत्तराखंड ,हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली हरियाणा ,पंजाब के अलावा दूसरे कई प्रदेशों के उच्च शिक्षा संस्थानों से आए शोधार्थी प्रतिभाग कर रहे हैं। सेमिनार में प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न विषयों पर शोध पत्र भी प्रस्तुत किए गए।
इस अवसर पर सेमिनार की उपसमन्वय डॉक्टर रेखा ध्यानी ,डॉ रितु सिंह, के साथ प्रोफेसर आनंद कुमार, डॉ बलबीर कौर, लतिका भारद्वाज, राखी चैहान, प्राची बंसल, डॉ प्रियंका उपाध्याय के साथ ही डॉ मनोज गहलोत, राजेश रयाल के साथ सभी स्कूलों के डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण और छात्र मौजूद रहे।
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