एसआरएचयू जौलीग्रांट को मिला सीआईआई- गोल्ड अवॉर्ड 2023

-सीआईआई की ओर से ‘ग्रीन प्रैक्टिसेस अवॉर्ड’ की सर्विस कैटेगरी में एसआरएचयू को मिला ‘गोल्ड पुरस्कार’

-एसआरएचयू यह कीर्तिमान स्थापित करने वाला उत्तर भारत का पहला संस्थान बना

-हरित क्रांति व पर्यावरण संरक्षण के मॉडल विश्वविद्यालय के रुप में संस्थापित है एसआरएचयू

-कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने टीम को दी शुभकामनाएं

अविकल उत्तराखण्ड

डोईवाला। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जॉलीग्रांट ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से आयोजित कार्यक्रम में ‘ग्रीन प्रैक्टिसेस अवॉर्ड’ की सर्विस कैटेगरी में ‘गोल्ड अवॉर्ड’ पुरस्कार जीता है। हरियाणा के गुरुग्राम में आयोजित कार्यक्रम में एसआरएचयू ने इस कैटेगेरी में उत्तर भारत का पहला व एकमात्र संस्थान होने का गौरव भी हासिल किया है। कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने ‘गोल्ड अवॉर्ड’ मिलना विश्वविद्यालय के लिए बड़ी उपलब्धि है। यह अवॉर्ड एक स्थायी भविष्य बनाने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। डॉ.धस्माना ने इस क्षेत्र में काम कर रही संस्थान की टीम के सभी सदस्यों को शुभकामनाएं दी।

ग्रीन प्रैक्टिसेस में एक मॉडल विश्वविद्यालय के रुप में संस्थापित है एसआरएचयू
शिक्षा, स्वास्थ्य व सामाजिक विकास के क्षेत्र में आयाम स्थापित कर चुका हरित गतिविधियों, उर्जा संरक्षण, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी एक मॉडल विश्वविद्यालय के रुप में संस्थापित हो चुका है। करीब 200 एकड़ के हरे-भरे विश्वविद्यालय कैंपस में जल व ऊर्जा संरक्षण सहित सभी प्रकारों के कूड़ा निस्तारण जैसे प्लास्टिक व ई-वेस्ट इत्यादि हेतु विभिन् योजनाएं संचालित हैं। विश्वविद्यालय में समय-समय पर वृहद पौधरोपण अभियान भी संचालित किया जाता है।

एसआरएचयू में प्लास्टिक बैंक की स्थापना
कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि सिंगल लेअर प्लास्टिक के रीसाइक्लिंग की तरफ कदम बढ़ाते हुए एसआरएचयू में प्लास्टिक बैंक बनाया गया है। सिंगल लेअर प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक के लिए विश्वविद्लाय में पहले से ही अभियान चलाया जा रहा है। निश्चित समय अंतराल पर इस संबंध में छात्र-छात्राओं सहित स्टाफकर्मियों को जागरूक भी किया जाता है। प्लास्टिक वेस्ट को रिसाइकिल कर डीजल बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। प्लास्टिक बैंक से प्लास्टिक कचरे को निस्तारण के लिए आईआईपी भेजा जाता है। प्लास्टिक वेस्ट का 70 फीसदी रिसाइकिल कर डीजल बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

वृहद पौधरोपण अभियान के जरिये जागरुकता
कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि विश्वविद्यालय में समय-समय पर ‘गो ग्रीन कैंपस’ अभियान के तहत वृहद पौधरोपण अभियान चलाया जाता है। पौधरोपण अभियान में विभिन्न स्टाफ सहित छात्र-छात्राओं को भी शामिल किया जाता है। ताकि पर्यावरण संरक्षण के प्रति भावी पीढ़ी सजग हो सके।

इलेक्ट्रिक वाहनों का संचालन
कैंपस परिसर में आधिकारिक कार्यों के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का संचालन शुरू किया गया है। वाहनों का संचालन कैंपस के भीतर ही अधिकारिक कार्यों के लिए किया जाता है। इससे ईंधन के बचाव के साथ पर्यावरण भी संरक्षित रहेगा।

वेस्ट पेपर रिसाइकलिंग यूनिट
कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि बिना पेड़ काटे अगर कागज व बाकी स्टेशनरी की मांग पूरी हो जाए, तो इससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता। विश्वविद्यालय में पेपरलेस कार्य प्रणाली को अपनाया गया है, लेकिन इसके बावजूद कई ऐसे काम में हैं, जिनमें कागज का इस्तेमाल अनिवार्य हो जाता है। इसलिए विश्वविद्यालय में यूज्ड पेपर (रद्दी) को रिसाइकिल करने का प्लांट लगाया गया है। इस यूनिट में रद्दी से लिफाफे, कार्ड और फाइल कवर भी तैयार किए जा सकेंगे।

ई-वेस्ट स्टोर स्थापित
कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक कचरे की समस्या दुनियाभर के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है। इस समस्या से निपटने के लिए देश-दुनिया की तमाम सरकारों द्वारा कवायद की जा रही है। इसी क्रम में एसआरएचयू परिसर में ई-वेस्ट स्टोर बनाया गया है।

ऊर्जा संरक्षण में रिकॉर्ड, सौर ऊर्जा से बिजली की 16 फीसदी मांग पूरी
कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि ऊर्जा संरक्षण के महत्व को समझते हुए वर्ष 2007 में पहला कदम बढ़ाया था। तब हिमालयन हॉस्पिटल, कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट सहित सभी हॉस्टल में सोलर वाटर हीटर पैनल लगाए गए थे। इससे, विगत तीन वर्षों में 11,25,000 यूनिट बिजली की बचत की गई है। इसी कड़ी में, संस्थान वर्ष 2017 में राष्ट्रीय सौर मिशन से जुड़ा। इसके तहत नर्सिंग और मेडिकल कॉलेज में 500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल लगाए गए। वर्तमान में विश्वविद्यालय के विभिन्न भवनों की छतों में 1500 किलोवॉट का सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। इससे अब तक एसआरएचयू करीब 61,15,332 यूनिट बिजली की बचत कर चुका है। बीते तीन वर्षों में संस्थान अपनी बिजली की 16 फीसदी मांग सोलर पावर प्लांट से पूरा कर रहा है। दूसरा फायदा यह हुआ कि इससे करीब 1455 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। उत्तराखंड के किसी भी संस्थान की तुलना में यह एक रिकॉर्ड है।

जल संरक्षण के लिए 26 राज्यों के 7000 लोगों को दिया प्रशिक्षण
कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि यह अच्छा संकेत है कि पानी की महत्ता को आज कई संस्थान समझ रहे हैं। लेकिन हमारे संस्थान में वर्ष 1998 में ही करीब 25 वर्ष पहले ही जल आपूर्ति व संरक्षण के लिए एक अलग वाटसन (वाटर एंड सैनिटेशन) विभाग का गठन किया जा चुका है। तब से लेकर अब तक वाटसन की टीम द्वारा उत्तराखंड के सुदूरवर्ती सैकड़ों गांवों में पेयजल पहुंचाया गया है। इसके साथ ही संस्थान द्वारा जल जीवन मिशन के अंतर्गत 26 राज्यों में 7000 से अधिक लोगों को जल संरक्षण के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया है।

जल शक्ति मंत्रालय के साथ सेक्टर पार्टनर एवं मुख्य संसाधन केंद्र (केआरसी)
कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने हमारे संस्थान को राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के ‘हर घर जल योजना’ के सेक्टर पार्टनर एवं मुख्य संसाधन केंद्र (केआरसी) के तौर पर नामित किया है। यह एक दिन या महीने भर की मेहनत का नतीजा नहीं है, बल्कि सालों से जल संरक्षण के क्षेत्र में संस्थान की टीम के द्वारा किए गए बेहतरीन प्रयास की सफलता है। संस्थान इस क्षेत्र में नई अभिनव तकनीकी हेतु अनुसंधान भी कर रही है।

रोजाना 07 लाख लीटर पानी रिसाइकल
कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि एसआरएचयू कैंपस में करीब 1.25 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाया गया है। इस प्लांट के माध्यम से 07 लाख लीटर पानी को रोजाना शोधित किया जाता है। शोधित पानी को पुनः कैंपस में सिंचाई व बागवानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भविष्य में इस प्लांट की क्षमता बढ़ाकर इसी शोधित पानी को शौचालय में भी इस्तेमाल को लेकर हम कार्य कर रहे हैं।

सीआईआई गोल्ड अवॉर्ड के मानक बेहद कठिन
एसआरएचयू की ओर से हेड इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल इं.गिरीश उनियाल व कम्युनिटी आउटरीच प्रोग्राम के उपनिदेशक नितेश कौशिक ने सीआआई के कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। उन्होंने बताया कि सीआईआई गोल्ड अवॉर्ड के मानक बेहद कठिन होते हैं। जल संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण आदि मे विभिन्न गुणवत्ता के मानक पूरे करने के बाद ही एसआरएचयू को यह अवॉर्ड मिला है।

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