….तो नौकरशाहों की जमीन से जुड़े मसले में 2020 के संशोधित भू अधिनियम से मिली लिबर्टी

उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) में जोड़ी गयी 143 ख धारा से भू उपयोग परिवर्तन का रास्ता खुला

दिशा ग्रीन फारेस्ट के बिल्डर इंद्र सिंह बिष्ट ने वकीलों के साथ पेश की सफाई

कहा, अनुसूचित जाति की जमीन अवैध ढंग से नहीं ली,केवल 25-30 पेड़ अनुमति से काटे

प्रदेश सरकार के कई अधिकारियों व रिश्तेदारों ने खरीदे हैं पौंधा ग्रीन फारेस्ट हाउसिंग सोसाइटी में प्लाट

अविकल थपलियाल


देहरादून। जिले के पौंधा इलाके में दिशा ग्रीन और फारेस्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट की जमीन को लेकर उठे विवाद के बाद डेवलपर इंद्र सिंह बिष्ट अपने वकीलों अमित वालिया व सचिन शर्मा के साथ मीडिया के सामने आए। और कहा कि सुनियोजित साजिश के तहत उनकी छवि को धूमिल किया जा रहा है।

गौरतलब है कि इस आवासीय प्रोजेक्ट्स में अनुसूचित जाति के व्यक्तियों की जमीन के लैंड यूज़, पेड़ कटान, स्टाम्प चोरी समेत अन्य मुद्दों को लेकर मीडिया में खबरें वॉयरल हो रही थी। 2021 की जुलाई में दून निवासी अजय गोयल ने बिल्डर इंद्र सिंह बिष्ट व एससी माथुर के खिलाफ आयुक्त गढ़वाल को शिकायती पत्र भेजा था। Land scam

इस दिशा फारेस्ट हाउसिंग सोसाइटी में कई आईएएस,आईपीएस अधिकारियों व उनके रिश्तेदारों के नाम प्लाट खरीदे गए हैं। जमीन के कॄषि व अकृषि स्टेटस को लेकर 2020 के संशोधित अधिनियम का हवाला दिया जा रहा है। जिसमें महा परियोजना के तहत आने वाली भूमि धारा 143 ख में अकृषि समझी जाएगी। और इस संशोधित धारा के बाद 143 के अंर्तगत भूमि को अकृषि घोषित कराने की आवश्यकता नही समझी गयी। देखें संशोधित अधिनियम

उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश. 2001) (जिसे इसमें इसके पश्चात मूल अधिनियम महा गया है) भी करा क के पश्चात निम्नलिखित धारा अन्तःस्थापित की ज
“143ख राज्य मे ऐसे विकास प्राधिकरण क्षेत्र, जहां महायोजना लागू की गयी है, ऐसे महायोजना विकास क्षेत्र में पारा 143 के अन्तर्गत भूमि को अपकीय (non-agricultural) घोषित किये जाने की आवश्यकता नहीं होगी
मूल अधिनियम की पास 16 मे परन्तुक ने बिलोगित कर दिया जायेगा।
कारण और उद्देश्य
प्रदेश में औद्योगिक, पर्यटन, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं शैक्षणिक प्रयोजन के अतिरिक्त अन्य योजनायें भी संचालित होती हैं, जिसमें सीवर ट्रीटमेन्ट प्लान्ट, कूड़ा निस्तारण केन्द्र, विद्युत संस्थान, सुलभ शौचालय, बस अडडा पार्क, बहुउद्देशीय भवन आदि के लिए भूमि को कृषि से अकृषिक घोषित करने की बाध्यतायें हैं, जो कि समयसाध्य प्रक्रियायें हैं। ऐसी दशा में विकास की गतिविधियों को गति प्रदान किये जाने के दृष्टिगत् प्रदेश में ऐसे विकास प्राधिकरण क्षेत्र, जहां मह योजना लागू की गयी हैं, ऐसे विकास प्राधिकरण क्षेत्र में उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) (अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश, 2001) की धारा 143 के अन्तर्गत भूमि को अकृषिक घोषित किये जाने की आवश्यकता नहीं होगी तथा चूंकि बहुत से लोगों द्वारा धारा 168 में वर्णित समय-सीमा के भीतर राज्य में भूमि के कय-विक्रय को विधिमान्य नहीं कराया जा सका है तथा लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए उक्त धारा में समय-सीमा का उपबंध को हटाया जाना आवश्यक है। अतः रक्त अधिनियम में संशोधन किया जाना अपरिहार्य है। 2-
प्रस्तावित विधेयक उक्त उद्देश्य की पूर्ति करता है।
त्रिवेन्द्र सिंह रावत मुख्यमंत्री

इसीलिए, पौंधा में दिशा प्रोजेक्ट को भी महा परियोजना का हिस्सा मानते हुए अनुसूचित जाति की जमीन का लैंड यूज़ परिवर्तित करने की जरूरत नहीं समझी गयी।

अगर यही संशोधित अधिनियम की धारा 143 ख को मुख्य आधार मान लिया जाय तो भविष्य में भी महा परियोजना से जुड़ी अनुसूचित जाति की जमीन के land use की जरूरत ही महसूस नहीं होगी। शासन और सरकार के लिए राजस्व हानि की दृष्टि से यह एक अहम सवाल सामने खड़ा हो चुका है।

पढ़ें, डेवेलपर इंद्र सिंह बिष्ट के वक़ीलों ने क्या कहा-

बुधवार को स्थानीय होटल में आहूत प्रेस वार्ता में बिल्डर इंद्र सिंह बिष्ट के वकीलों ने कहा कि दोनों प्रोजेक्ट्स में अनुसूचित जाति अथवा जनजाति के किसी भी व्यक्ति की भूमि अवैधानिक ढंग से नहीं ली गयी है। IAS IPS

उन्होंने कहा कि दोनों प्रोजेक्ट की कुल भूमि 147 बीघा है ना कि 300 बीघा, ये आरोप अतिशयोक्तिपूर्ण और मिथ्या है। साथ ही गोल्डन फारेस्ट की भूमि भी नहीं है।

दोनों प्रोजेक्ट शासन, MDDA और RERA द्वारा स्वीकृत हैं।

1500 पेड़ काटने की बात झूठी है । और स्टाम्प चोरी की बात बेबुनियाद है। सरकार को सर्किल रेट से ऊपर 1 करोड़ 35 लाख रुपए अधिक स्टांप राजस्व प्राप्त हुआ । Paundha green housing society, Dehradun

इन्द्र सिंह बिष्ट का कथन

सम्मानित साथियों,

मैं इन्द्र सिंह बिष्ट, उत्तराखंड के चमोली जिले के घाट क्षेत्र का मूल निवासी हूँ, यहीं पला बढ़ा हूँ और विगत 20 वर्षों से प्रॉपर्टी के व्यवसाय में हूँ, मेरा आज तक का सफर निष्कलंक और बेदाग रहा है, मेरी व्यावसायिक प्रतिबद्धता निर्विवाद रही है।

कुछ दिनों से कतिपय तत्वों द्वारा ग्राम पौधा तहसील विकास नगर, • जिला देहरादून स्थित plotted development project DISHAA GREEN और DISHAA FOREST के बारे में सनसनीखेज आरोप लगाए जा रहे हैं और मेरी व्यावसायिक छवि और साख को धूमिल करने का षड्यंत्र किया जा रहा है ।

मुझ पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं उनके विषय में मेरा बिन्दुवार निम्न कथन –

1- मेरे दोनों प्रोजेक्ट की भूमि में लेश मात्र भी सरकारी अथवा गोल्डन फॉरेस्ट की भूमि नहीं है इसकी पुष्टि हेतु राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश के आदेश दिनांकित 08-09-2000 की प्रति आपको उपलब्ध कराई जा रही है और आज तक की chronology भी संलग्न की गयी है जो साबित करती है कि मेरे द्वारा क्रीत सम्पूर्ण भूमि मेरे खरीदने से वर्षों पूर्व भी पाक साफ थी और जिसका राजस्व रेकॉर्ड, एक पब्लिक रेकॉर्ड है जिसे कोई भी देख सकता हैं।

2- मेरे दोनों प्रोजेक्ट की कुल भूमि 147 बीघा है ना कि 300 बीघा, ये आरोप अतिशयोक्तिपूर्ण और मिथ्या है।

3- मेरे दोनों प्रोजेक्ट को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया से शासन द्वारा approve कराया गया है जिनका शासनादेश, MDDA और RERA सर्टिफिकेट की प्रति आपको उपलब्ध कराई जा रही है।

4- मेरे प्रोजेक्ट्स में अनुसूचित जाति अथवा जनजाति के किसी भी व्यक्ति की भूमि अवैधानिक ढंग से अर्जित नहीं की गयी है।

5- 1500 पेड़ काटने की बात झूठ और मामले को सनसनीखेज बनाने हेतु कही गयी है जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। मेरे द्वारा जब भूमि क्रय की गयी तो उस पर लगभग 25- 30 पेड़ थे जिनको बकायदा अनुमति लेकर हटाया गया, जिसके प्रमाण public record हैं।

– स्टम्प शुल्क चोरी का आरोप हास्यास्पद है। वास्तविकता यह है कि मेरे प्रोजेक्ट DISHAA FOREST की सेल डीड्स द्वारा आज की तिथि तक सरकार को 1 करोड़ 35 लाख रुपए अधिक स्टांप राजस्व प्राप्त हुआ है, जो कि सर्कल रेट के ऊपर दिया गया है। मेरे द्वारा कभी एक रुपए के स्टम्प शुल्क की चोरी नहीं की गयी है यदि कहीं कोई कमी अधिवक्ता अथवा गणना की हुई हो तो उसकी पूर्ति के लिए मैं हमेशा प्रस्तुत हूँ और रहूँगा।

मैं अपनी विधि परामर्शी टीम के साथ निरंतर संपर्क में हूँ और आगे के विकल्पों पर विचार कर रहा हूँ जिनको मैं समय आने पर आपके साथ साझा करूंगा ।

इन्द्र सिंह बिष्ट पुत्र नारायण सिंह बिष्ट

निवासी- दिशा ग्रीन, ग्राम पोंधा

तहसील विकास नगर, देहरादून

Pls clik-“पौंधा भूमि विवाद से जुड़ी खबर

कई एकड़ जमीन की खरीद फरोख्त व रजिस्ट्री में घोटाले की सुगबुगाहट

Total Hits/users- 30,52,000

TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *