‘लिविंग विद द हिमालयन मास्टर्स’ डॉ स्वामी राम ने विदेशों में भारतीय योग और आध्यात्म का डंका बजाया
डॉ स्वामी राम अपने दिल में खून के बहाव को अपनी इच्छानुसार रोक लेते थे
डॉ स्वामी राम भारतीय योग शास्त्र में प्रसिद्ध योग निद्रा में पारंगत थे
अविकल उत्तराखण्ड
डोईवाला। मुख्यमंत्री धामी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को डॉ स्वामी राम की आत्मकथा पर आधारित पुस्तक ‘लिविंग विद द हिमालयन मास्टर्स’ भेंट की। सोमवार की सुबह जॉलीग्रांट हवाई अड्डे पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) जौलीग्रांट के संस्थापक व परम् श्रद्धेय गुरुदेव डॉ.स्वामी राम की आत्मकथा पर आधारित पुस्तक ‘लिविंग विद द हिमालयन मास्टर्स’ भेंट की। स्वामी राम की गिनती भारत के ऐसे योगियों में होती है जिन्होंने पश्चिम में भारतीय संस्कृति, योग और शास्त्र का प्रचार प्रसार किया। उन्होंने योग के माध्यम से बहुत से ऐसे काम किए जिन्हें आधुनिक विज्ञान असंभव मानता है। उनकी आत्मकथा बहुत प्रसिद्ध है।
भारत में ऐसे अनगिनत योगी (Sadhus Of India) और तपस्वी हुए हैं जिन्होंने विदेशों में भारतीय योग और आध्यात्म का डंका बजाया है। ऐसे ही थे स्वामी राम (Swami Rama)। स्वामी राम ने विदेशों में भारतीय यौगिक क्रियाओं का प्रत्यक्ष प्रदर्शन करके दिखाया। वह भारतीय योग शास्त्र में प्रसिद्ध योग निद्रा में पारंगत थे। बहुत कम उम्र में ही वह करवीर पीठ के शंकराचार्य बने। उन्होंने हिमालय की गहन गुफाओं में ध्यान किया।
अनेक चमत्कारी साधु-संतों से भेंट की। उनका अपने शरीर पर इतना नियंत्रण था कि वह अपने दिमाग की तरंगों को मनचाहा आकार दे सकते थे। जब उन्होंने अपने दिल में खून के बहाव को कुछ देर तक अपनी इच्छा के अनुसार रोक लिया तो डॉक्टर और वैज्ञानिक हैरान रह गए। स्वामी राम (1925–1996) एक योगी थे, जिन्होने ‘हिमालयन इन्टरनेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ योगा सांइस एण्ड फिलासफी’ सहित अनेक संस्थानों की स्थापना की। उन्होंने लगभग 44 पुस्तकें लिखी।
मूलतः उत्तराखण्ड निवासी डॉ स्वामी राम ने देश- विदेश में योग व अध्यात्म के क्षेत्र में विशेष प्रसिद्धि हासिल की।
सामाजिक कार्यों के तहत डॉ स्वामी राम ने जॉलीग्रांट में अस्पताल की स्थापना की। (साभार)
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