राज्य सूचना आयोग ने किया डिग्री फर्जीवाड़े का खुलासा

महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री पर आयोग तल्ख

फर्जी डिग्री पर विश्वविद्यालय को भेजा कारण बताओ नोटिस

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखंड सूचना आयोग ने महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय, पौड़ी में डिग्री फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। ये खुलासा राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट द्वारा एक मामले की सुनवाई में हुआ है। मामले की सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल उठाते हुए लोक सूचना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है।

पूरा मामला क्या है ?
मेरठ स्थित एक इंटर कालेज के प्रधानाचार्य ने अपने विद्यालय में नियुक्त एक अध्यापक की डिग्री और अंकपत्र के सत्यापन के लिए पौड़ी जिले के पोखड़ा में स्थित महाराजा अग्रसेन हिमालयन विश्वविद्यालय में आवेदन भेजा था लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने निश्चित समयावधि तक उस पर कोई जवाब नहीं दिया जिसके बाद उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील की। इस अपील की सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने पाया कि विश्वविद्यालय द्वारा अपीलार्थी द्वारा भेजे गए नामांकन संख्या पर जारी अंकपत्र का न तो सत्यापन किया गया और ना ही मांगी गई सूचना निर्धारित समयसीमा तक अपीलार्थी को दी गई।

आयोग द्वारा प्रथम सुनवाई के लिए बुलाए जाने पर विश्वविद्यालय के लोकसूचना अधिकारी सुनवाई के लिए नहीं पहुंचे, जिस पर आयोग ने अगली तिथि तय की। अगली तिथि, 16 जनवरी को लोक सूचना अधिकारी आयोग में उपस्थित हुए तो सूचना आयुक्त भट्ट ने उनसे अपीलार्थी द्वारा मांगे गए नामांकन संख्या पर जारी अंकपत्र और डिग्री पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा, जिसके बाद खुलासा हुआ कि इस नामांकन संख्या से संबंधित कोई भी रिकॉर्ड विश्वविद्याल के पास नहीं है।

सुनवाई के दौरान उक्त नामांकन संख्या पर जारी हुए अंकपत्र को जब विश्वविद्यालय के अपीलीय अधिकारी को दिखाया गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि यह नामांकन संख्या विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में नहीं है। अपीलीय अधिकारी के इस बयान से साफ हो गया कि विश्वविद्यालय द्वारा संबंधित नामांकन संख्या पर जारी किया गया अंकपत्र फर्जी है। इस खुलासे को गंभीर प्रकरण मानते हुए सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अपने आदेश में कड़ी टिप्पणियां की हैं। उन्होंने इस प्रकरण को विश्वविद्यालय के स्तर पर हुई बड़ी गड़बड़ी करार देते हुए विश्वविद्यालय के फर्जी अंकपत्रों और अन्य प्रमाण पत्रों के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की आशंका भी जताई।

सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अपीलीय अधिकारी को कारण बताओ नेटिस जारी करने के साथ ही अगली सुनवाई में उक्त फर्जी अंकपत्र के संबंध में की जाने वाली विधिक कार्यवाही की सूचना भी प्रस्तुत करने के आदेश दिए। मामले की गंभीरता के देखते हुए सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने इस आदेश की प्रति कुलपति एवं उप कुलपति को भी अलग के प्रेशित करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 1 मार्च को होगी।

यह है घपला

पौड़ी के महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट पकड़ में आई है। इस मार्कशीट को एक अभ्यर्थी ने प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन के साथ लगाया था। मार्कशीट की सत्यता जांचने के लिए जब संबंधित कॉलेज के प्रधानाचार्य ने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा तो उप कुलसचिव और कुलसचिव ने चुप्पी साध ली। सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई एक्ट) में भी मार्कशीट (अंक पत्र) की सत्यता स्पष्ट नहीं की गई। सूचना आयोग पहुंचे इस प्रकरण में जब राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने कड़ा रुख अपनाया तो विश्वविद्यालय की ओर से स्पष्ट किया गया कि ऐसी कोई मार्कशीट उनके रिकॉर्ड में नहीं है। इसे बेहद गंभीर मानते हुए सूचना आयोग ने आदेश की प्रति विश्वविद्यालय के कुलपति व उप कुलपति को भी भेजी है।

राष्ट्रीय इंटर कॉलेज लावड़ा (मेरठ) में एलटी के एक शिक्षक ने प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। आवेदन के साथ उन्होंने महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढवाल विश्वविद्यालय (पूर्व नाम हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय), घैडगांव, पोखड़ा (पौड़ी) की मार्कशीट लगाई थी। संदेह होने पर इंटर कालेज के प्रधानाचार्य देवेंद्र कुमार ने महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर मार्कशीट (A-201932898) की सत्यता स्पष्ट करने का आग्रह किया था। जब इस पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो उन्होंने आरटीआई में जानकारी मांगी।

इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य के आरटीआई में जानकारी मांगे जाने के बाद भी वहां के लोक सूचना अधिकारी/उप कुल सचिव अनुभव कुमार ने मांगी गई सूचना नहीं दी। इसके साथ ही प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी के रूप में कुलसचिव स्तर से भी वाजिब जवाब नहीं दिया गया। थक हारकर राष्ट्रीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य देवेंद्र कुमार ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। प्रकरण पर सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने विश्वविद्यालय के लोक सूचना अधिकारी व अपीलीय अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया।

कुल सचिव और उप कुल सचिव की भूमिका पर संदेह

सूचना आयोग ने जो नोटिस लोक सूचनाधिकारी/उप कुल सचिव व विभागीय अपीलीय अधिकारी/कुल सचिव को जारी किया था, उन्होंने उसका कोई जवाब नहीं दिया। लिहाजा, राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने कहा कि इस स्थिति में दोनों अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है। साथ ही सूचना उपलब्ध न कराया जाना सूचना का अधिकार अधिनियम की मूल भावना के विपरीत है। उप कुल सचिव को इस आशय का नोटिस जारी किया गया कि उन पर सूचना में बाधा उत्पन्न करने पर क्यों न सुसंगत कार्रवाई की संस्तुति कर दी जाए। साथ ही आदेश दिया गया कि वह अगली सुनवाई में जवाब के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहेंगे। अपील का निस्तारण न करने पर यही नोटिस कुल सचिव को भी जारी किया गया।

मार्कशीट/डिग्री जैसे दस्तावेजों की सत्यता के लिए आरटीआई का प्रयोग खेदजनक

सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि मार्कशीट/डिग्री जैसे संवेदनशील दस्तावेजों की सत्यता के लिए भी यदि किसी प्रधानाचार्य को आरटीआई का सहारा लेना पड़े तो यह खेद की स्थिति है। क्योंकि, मार्कशीट और डिग्री जैसे दस्तावेज सरकारी सेवाओं के लिए अनिवार्य प्रक्रिया का भाग हैं। ऐसे में यदि विश्वविद्यालय समय पर उनका सत्यापन नहीं करता है तो इससे अनेक सवाल जन्म लेते हैं।

बिना रिकॉर्ड के पहुंचे अधिकारी, आयोग ने मौके से ही कराया सत्यापन
नोटिस और कड़ा रुख अपनाने के बाद लोक सूचना अधिकारी/ कुल सचिव अनुभव कुमार सूचना आयोग की अगली सुनवाई में उपस्थित तो हुए, लेकिन वह बिना रिकॉर्ड के पहुंचे। इस पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने सुनवाई स्थल से ही संबंधित मार्कशीट की सत्यता स्पष्ट कराने को कहा। जिसमें बताया गया कि ऐसी किसी मार्कशीट की जानकारी विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। हालांकि, मार्कशीट विश्वविद्यालय की ही प्रतीत हो रही थी।

मार्कशीट विश्वविद्यालय से जारी नहीं तो क्यों चुप रहे अधिकारी

सूचना आयोग में यह सवाल भी उठाया गया कि मार्कशीट फर्जी है तो अधिकारी क्यों अब तक चुप रहे। उन्हें तो आगे आकर बताना चाहिए था कि विश्वविद्यालय से कोई भी डिग्री/डिप्लोमा बिना प्रवेश, पढ़ाई व परीक्षा के जारी नहीं की जाती है। साथ ही यह भी बताना चाहिए था कि विश्वविद्यालय के नाम पर कोई भी दस्तावेज अवैध तरीके से प्राप्त न किया जाए। फर्जी मार्कशीट का यह प्रश्न सिर्फ संबंधित विश्वविद्यालय की साख का नहीं है, बल्कि उत्तराखंड राज्य और इसके नीति निर्धारकों की साख का भी है।

उत्तराखंड, हिमालय, गढ़वाल और गढ़वाल विश्वविद्यालय के नाम से साख हो रही खराब?

राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय के नाम में उत्तराखंड के साथ ही हिमालय, गढ़वाल और गढ़वाल विश्वविद्यालय का नाम भी जुड़ा है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि इस नाम के साथ गलत कार्य किए जाने से किसी गरिमा प्रभावित होगी? साथ ही कहा कि राज्य अधिनियम से गठित हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय को फर्जी मार्कशीट के प्रकरण में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। ताकि प्रदेश की उच्च शिक्षा नीति और राज्य के अंतर्गत उच्च शिक्षण संस्थानों पर भरोसा बना रहे।

मुद्दा संवेदनशील और गहन जांच का विषय

उत्तराखंड सूचना आयोग के राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने कहा कि फर्जी मार्कशीट का यह प्रकरण संवेदनशील का गहन जांच का विषय है। क्योंकि कम से कम यह तो स्पष्ट हो गया है कि विश्वविद्यालय के नाम पर फर्जी प्रमाण पात्र जारी किए जा रहे हैं। लोक सूचना अधिकारी को निर्देश दिए गए कि वह आगामी सुनवाई में यह सपष्ट करेंगे कि प्रकरण के संज्ञान में आने के बाद क्या कार्रवाई की गई है। आदेश की प्रति इस आशय के साथ कुलपति व उपकुलपति को भेजी गई कि वह फर्जी मार्कशीट के मद्देनजर विश्वविद्यालय की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

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