सालों बाद टिहरी विस्थापितों को नहीं मिला भूमिधरी अधिकार- पूर्व सीएम हरीश
प्रधानों ने कहा चुनाव का करेंगे बहिष्कार
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। भारी बारिश के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने टिहरी बांध विस्थापितों के मुद्दे पर गांधी पार्क में उपवास किया। उनके साथ टिहरी डैम के विस्थापित क्षेत्रों के कई ग्राम प्रधान व नेता गण भी उपवास स्थल पर बैठे। इस अवसर पर पूर्व सीएम ने कहा कि टिहरी की महान जनता की अभूतपूर्व त्याग के परिणाम स्वरूप टिहरी डैम का निर्माण संभव हो पाया। सैकड़ों परिवार इस डैम के निर्माण के कारण विस्थापित हुये। सुंदर घर, उपजाऊ खेती,अप्रतिम संस्कृति को राष्ट्र के लिए बलिदान कर टिहरी के भाई-बहनों ने अन्यत्र विस्थापित होना स्वीकार किया। एक बड़ी संख्या में टिहरी के भाई-बहन हरिद्वार जिले के पथरी वन भूखंड में बसाई गये। पानी भराव वाले इस क्षेत्र में जटिलतम परिस्थितियों का सामना करते हुये इन लोगों ने आवंटित भूमि को आबाद किया । और अपने घर बनाए। आज 42-43 साल बाद भी इन लोगों को इस भूमि का भूमिधरी अधिकार प्रदान नहीं किया गया है। वर्ष 2016 के दिसंबर में तत्कालीन सरकार द्वारा भूमि धरी अधिकार देने का निर्णय घोषित हुआ, जिसका अनुपालन नहीं हो पाया।
पिछले विधानसभा सत्र में यह मामला विधानसभा में उठा और सरकार द्वारा सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया गया। हरिद्वार के विधायकों के साथ हुई एक बैठक में माननीय मुख्यमंत्री ने भी इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए। जिस पर आज 9 महीने व्यतीत होने के बावजूद भी कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। वन विभाग द्वारा इस मामले को उलझाने के लिए एक सर्वेक्षण किया गया है। जिसमें विस्थापितों के पास आवंटित भूमि के अतिरिक्त 23 हैक्टेयर भूमि अतिरिक्त बताई जा रही है। ज्ञातव्य है कि इस आवंटित भूमि पर बसाने का काम भी विभाग और सरकार ने ही किया है और इस भूमि को जल भराव से रोकने के लिए दीवाल बनाने का काम भी सरकार द्वारा ही करवाया गया है। सरकार के सारे रिकॉर्ड और वन विभाग के रिकॉर्ड, इस आवंटित क्षेत्रफल को 912 एकड़ बताते हैं और आज अचानक यह क्षेत्रफल 23 हेक्टेयर अधिक बताया जा रहा है। उद्देश्य भूमि धरी अधिकार देने की सारी प्रक्रिया को उलझाना है। पथरी के भाग-1, 2, 3, 4 में वन विभाग के इस कदम से व्यापक असंतोष व चिंता व्याप्त है।वही देहरादून में भी भानियावाला ,देहरा ख़ास ,बंजारावाला ,कारग़ी आदि में भी बसाये गये थे ।
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि
(1) मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर 15 दिन के अंदर भूमि धरी अधिकार देने का फैसला किया जाए।
(2) वन विभाग द्वारा करवाए जा रहे सर्वेक्षण व उसके निष्कर्षों को वापस लिया जाए।
(3) विस्थापितों से किए गए वादों के पुनर्विक्षण हेतु मंत्री महोदयान के साथ टीएचडीसी एवं पुनर्वास निदेशक की एक संयुक्त कमेटी गठित हो।
(4) वर्ष 2013 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश सहित विस्थापितों, विस्थापित क्षेत्रों एवं डूब क्षेत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिए गए सभी निर्णयों और निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
(5) बंजारावाला, भानियावाला, पशुलोक, देहरा खास सहित टिहरी के विस्थापित जहां कहीं बसे हैं उनसे किए गए वादों को पूरा किया जाए।हनुमंत राय कमेटी की रिपोर्ट पर भी कारवाही की जाये।
उपवास स्थल पर आये कई जनप्रतिनिधियों व ग्राम प्रधानों ने भूमिधरी अधिकार शीघ्र प्राप्त ना होने पर लोकसभा चुनाव के बहिष्कार तक की घोषणा की । भारी बारिस के बाऊजूड पथरी ,पशुलोक ,बंजारावाला देहराख़ास ,कारग़ी से काफ़ी संख्या में विस्थापित क्षेत्रों से आये लोगों ने भाग लिया ।इस अवसर पर राजपाल खरोला, महावीर रावत ,पूरण रावत, वीरेंद्र रावत, विक्रम ख़रोला ,महेंद्र नेगी गुरुजी ,राम विलास रावत ,पूनम कंडारी ,प्रकाश नौटियाल, ख़ुशीदास, प्रमोद नौटियाल ,विशाल डोभाल ,ख़ुशाल सिंह पवार, विशाल सिंह ,चक्रधर प्रसाद रतूड़ी, आनंद स्वरूप, वीरेंद्र पोखरियाल, मोहन काला,सहित भारी संख्या में लोगो ने भाग लिया। संचालन पूरन रावत व महावीर रावत ने संयुक्त रूप से किया ।
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