रामनगर में बाघ ने महिला का किया शिकार

गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम को घेरा

शव उठाने से किया इंकार

अविकल उत्तराखण्ड

रामनगर। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की ढेला रेंज के जंगल में लकड़ी बीनने गई एक महिला को शनिवार की दोपहर बाघ ने अपना निवाला बना लिया। सूचना मिलते ही वन विभाग में हड़कंप मच गया। काफी मशक्कत के बाद महिला का क्षत विक्षत शव जंगल में घटनास्थल से दो सौ मीटर की दूरी पर बरामद किया गया। घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम को घेर लिया। गुस्साए ग्रामीण मौके पर कॉर्बेट के डायरेक्टर को बुलाए जाने तथा आदमखोर बाघ को तत्काल मारे जाने की मांग कर रहे थे। ग्रामीणों ने मौके से शव को उठाने से इंकार कर दिया है। जिसके बाद वन विभाग द्वारा मौके पर बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाए जाने की कार्यवाही की जा रही है।

जानकारी के अनुसार कलावती उर्फ कला (48 वर्ष) पुत्री ध्यान सिंह निवासी पंजाबपुर ढेला गाँव की ही कुछ अन्य महिलाओं के साथ कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की ढेला रेंज के जंगल में लकड़ी बीनने गई थी। जिम जंगल रिजॉर्ट के पिछले हिस्से वाले जंगल में महिलाएं लकड़ी बीन रहीं थीं कि इसी बीच झाड़ियों में घात लगाए बैठे एक बाघ ने कलावती पर हमला बोल दिया। इससे पहले कि साथ की महिलाएं कुछ समझ पाती बाघ कला को खींचकर घने जंगल में गुम हो गया। सूचना मिलते ही ढेला रेंजर अजय सिंह ध्यानी वन विभाग की टीम लेकर जंगल में महिला को खोजने के लिए निकल गए। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद वनकर्मियोंं की टीम ने कलावती का शव जंगल से बरामद किया। घटना से ग्रामीणों में तीखा आक्रोश पनप गया। गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम को मौके पर ही घेर लिया। ग्रामीण कॉर्बेट के डायरेक्टर डॉक्टर धीरज पांडेय को मौके पर बुलाए जाने तथा आदमखोर बाघ को तत्काल गोली मारने की मांग कर रहे थे।

इस दौरान ग्रामीणों की वनकर्मियों से तीखी बहस भी हुई। गुस्साए ग्रामीणों ने बाघ के मारे जाने या पकड़े जाने तक मृत महिला के शव को उठाने से इंकार कर दिया है। जिसके बाद वन विभाग द्वारा बाघ को पकड़े जाने के लिए मौके पर पिंजरा लगाए जाने की कार्यवाही की जा रही है। गौरतलब है कि बीस दिन पूर्व सावलदे की एक और महिला दुर्गा देवी को बाघ उठाकर ले गया था। जिसको लेकर ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन कर वन विभाग को जल्द से जल्द बाघ को पकड़ने की मांग की थी। लेकिन हमलावर बाघ के अभी तक न पकड़े जाने के कारण एक और घटना घट गई।

स्थानीय लोगों ने आक्रोश जताया

मौके पर पहुंचे संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती ने कला की मौत के लिए कार्बेट प्रशासन व उत्तराखंड सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पिछले 3 महीने में आदमखोर ने चार महिलाओं को मारते हुए लगभग आधा दर्जन लोगों को घायल दिया है। परंतु सरकार व प्रशासन न तो टाइगर को पकड़ रहे हैं और न ही मार रहे हैं। महिला एकता मंच की सरस्वती जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में जंगली जानवरों का आतंक चरम पर है। उनसे सुरक्षा के सवाल को लेकर कल 18 फरवरी को ग्राम कानिया में एक जन सम्मेलन बुलाया गया है। इसमें आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। उन्होंने क्षेत्र की जनता से कल रविवार 11 बजे ग्राम कानिया पहुंचने की अपील की है। जनक महेश जोशी ने कहा कि अब पानी सर के ऊपर से गुजर गया है। सरकार बाघ बढ़ने की खुशियां मना रही है। ऐसे में अब जनता को ही अपनी सुरक्षा के लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि टाइगर तेंदुए जैसे हिंसक जानवरों की संख्या उत्तराखंड में बहुत अधिक हो गई है। अतः इन्हें वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1973 की संरक्षित अधिसूची से बाहर कर इन्हें पकड़ कर दूसरे देशों में ले जाया जाए या दक्षिण अफ्रीका की तरह इनकी बैलेंस हंटिंग करवाई जाए।

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