उत्तराखण्ड- उद्यान घोटाले और जंगल की आग की लपटों ने बढ़ाया तापमान

आग से चार वन कर्मियों की मौत के बाद किस-किस पर होगा एक्शन ?

…तो हिमाचल से उत्तराखण्ड लाये गए बवेजा किसकी छत्रछाया में खेल रहे थे ?

आग में झुलसे कर्मियों को एम्स दिल्ली पहुंचाया

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। इस बार उत्तराखण्ड की चारधाम यात्रा, उद्यान घोटाला और जंगल की आग नये रिकॉर्ड की ओर तेजी से आगे बढ़ रही है। चारधाम में उम्मीद से अधिक तीर्थयात्रियों के उमड़ने से व्यवस्थाएं चरमराई। सीएम धामी से लेकर अधिकारियों की अतिरिक्त भारी भरकम फौज कई दिन से मोर्चे पर जूझ रही है।

सम्भवतः शासन को भारी भीड़ का अंदाजा हो गया था। लिहाजा, मुख्य सचिव को शुरुआत में ही ‘ कृपया वीआईपी न आएं’ की अपील करनी पड़ी। यही नहीं, अन्य राज्यों को इस आशय के पत्र भी भेजे गए। हालांकि, मुख्य सचिव की अपील के बाद भी वीआईपी का चारधाम आने का सिलसिला जारी रहा। विपक्षी दल श्रद्धालुओं की मौत, केदारधाम में थार की सवारी, अव्यवस्था समेत कई मुद्दों पर सरकार को घेर रही है। और तीर्थयात्रियों का सैलाब रोज नये रिकार्ड बना रहा है।

जंगल की आग

फरवरी से फायर सीजन शुरू होते ही प्रदेश के जंगलों में आग पैर पसारने लगती है। गुरुवार को प्रसिद्ध बिनसर वन्य जीव विहार में आग लगने से 4 वनकर्मियों की मौत हुई। और चार बुरी तरह झुलस गए। इस साल अभी तक दस लोगों को आग लील चुकी है। ये सभी लोग जंगल की आग बुझा रहे थे। हजारों हेक्टेयर वन संपदा खाक हो गयी। जान-माल की भारी क्षति हुई।

वन विभाग जंगल की आग का कोई ठोस तोड़ तलाश नहीं कर पाया है। जंगल की आग को गम्भीर मानते हुए सुप्रीम कोर्ट भी सिस्टम को हड़काते हुए कहा चुका है कि बारिश का इंतजार मत करिए।

जंगल की आग जैसी आपदा के नियंत्रण के लिए टास्क फोर्स बनाने समेत वन पंचायत व ग्रामीणों के सहयोग की बात कही जाती रही है। लेकिन कड़े वन कानूनों की वजह से ग्रामीणों का अपने ही जंगल से हक व रखवाली का जिम्मा भी खत्म हो गया है। लिहाजा वन विभाग और स्थानीय ग्रामीणों के बीच कोई केमिस्ट्री नहीं होने पर ब्लाक स्तर पर एक टास्क फोर्स का गठन भी नहींहो सका।

जंगल की आग बुझाने में विभागीय कर्मी बेहद सीमित व अपर्याप्त उपकरणों के जरिये अपनी जान जोखिम में डाल कर मोर्चे पर डटे रहते हैं। बिनसर वन्य जीवविहार में भी बोलेरो वाहन से आग बुझाने जा रहे वनकर्मी स्वंय अग्नि की भेंट चढ़ गए।

अल्मोड़ा जिले की इस घटना से यह भी साबित हो गया कि आग को बुझाने का उच्च स्तर पर कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई गई। और भगवान भरोसे वनकर्मी व पीआरडी जवानों को आग में झोंक दिया गया।

इस दर्दनाक घटना के बाद झुलसे कर्मियों कृष्ण कुमार और कुंदन सिंह नेगी को एयरलिफ्ट कर एम्स दिल्ली पहुंचाया गया है।

धामी सरकार ने पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की है। इस पूरे मामले में घटना की गम्भीरता नहीं समझने वालों पर एक्शन को लेकर भी सुगबुगाहटों का दौर शुरू हो गया है। कब तक किन अधिकारियों को दोषी ठहराया जाता है,यह भी जांच का प्रमुख विषय है।

गौरतलब है कि सरकार ने चीड़ की पत्ती पिरूल को आग का अहम कारण मानते हुए इसके दाम तक बढ़ दिए। अब सरकार ग्रामीणों से 50 रुपए किलो केभाव से पिरूल खरीदेगी। राज्य गठन के बाद से ही पिरूल की पत्तियों से कोयला बनाने व बिजली उत्पादन की खबरें छपती रही हैं। पिरूल के दाम बढ़ा दिए गए हैं। लेकिन जंगल की विकराल व जानलेवा आग को सिस्टम कब और कैसे काबू करेगा ….

उत्तराखण्ड का उद्यान घोटाला

प्रदेश का यह हफ्ता जंगल की जानलेवा आग के साथ उद्यान घोटाले की सीबीआई जांच के लिए भी चर्चा में है। उद्यान विभाग में नर्सरी व कार्यक्रमों में बेतहाशा खर्च को लेकर सीबीआई गुरुवार को तीन दर्जन लोगों पर विभिन्न धाराओं में मुकदमे कर चुकी है।

उद्यान विभाग के घोटालों की कहानी से इतर एक और मुद्दे पर सुई घूम गयी है कि हिमाचल के हरमिंदर सिंह बवेजा को उद्यान विभाग का निदेशक किसने बनवाया। गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के काल में 2021 फरवरी में बवेजा को उत्तराखण्ड में उद्यान विभाग के निदेशक की जिम्मेदारी दी गई थी। जबकि हिमाचल में भी बवेजा पर गड़बड़ी के आरोप थे। और बाद में उन्हें चार्जशीट भी दी गयी।

उस समय सुबोध उनियाल वन व उद्यान मंत्री थे। हालांकि, बाद में धामी कार्यकाल में सुबोध उनियाल से उद्यान वापस ले लिया गया। इस मुद्दे पर उनियाल का कहना है कि शासन की कमेटी ने ही बवेजा का चयन किया। इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है।

बवेजा किसके वरदहस्त के बाद खुलकर खेल रहे थे यह सीबीआई जांच में सामने आने की उम्मीद है। बवेजा ने विभिन्न फ्रूट व अन्य महोत्सव में लगभग 70 करोड़ खर्च कर दिए। अर्निका ट्रेडर्स को सवा तीन करोड़ का भुगतान, घर की साज सज्जा व पौध खरीद पर लाखों खर्च की जांच सीबीआई कर रही है। पूर्व में घोटाला सामने आने पर बवेजा को निलंबित कर दिया गया था। इस उद्यान घोटाले के तार हिमाचल व जम्मू-कश्मीर तक जुड़े हैं।

मौजूदा उद्यान मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि बवेजा ने तथ्य छुपाए हैं। जांच में सब साफ हो जाएगा। जबकि कांग्रेस का कहना है कि सीबीआई जांच रोकने के लिए विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल की थी।

उद्यान घोटाले के खिलाफ रानीखेत के दीपक करगेती ने भूख हड़ताल समेत कोर्ट में जंग लड़ी। इस घोटाले में भाजपा विधायक के भाई के अलावा कई अन्य सफेदपोश का नाम भी सामने आ रहा है। सीबीआई जल्द ही कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर सकती है।

इन पर हुआ मुकदमा

01 : हरमिंदर सिंह बवेजा, पूर्व निदेशक उद्यान विभाग, अनिल कुमार मिश्रा, तत्कालीन मुख्य उद्यान अधिकारी, उत्तरकाशी, नितिन कुमार शर्मा, प्रोपराइटर, अनिका ट्रेडर्स, रायवाला, हरजीत सिंह, निवासी देहरादून।

मुकदमा (2): हरमिंदर सिंह बवेजा, पूर्व निदेशक उद्यान विभाग, त्रिलोकी राय, तत्कालीन नर्सरी विकास अधिकारी,

वर्तमान में मुख्य उद्यान अधिकारी पिथौरागढ़। राजेंद्र कुमार सिंह, तत्कालीन आलू विकास अधिकारी ऊधमसिंहनगर, वर्तमान में मुख्य उद्यान अधिकारी ‘नैनीताल। नारायण सिंह बिष्ट, वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक, निवासी देहरादून। भोपाल राम, मुख्य उद्यान अधिकारी नैनीताल का सहायक विकास अधिकारी। सुनील सिंह निवासी बाजपुर, मो फारूख, कुलगाम, जम्मू कश्मीर, साजाद अहमद डार, कुलगाम, जम्मू कश्मीर, सामी उल्ला बट्ट, पुलवामा, जम्मू- कश्मीर, विनोद शर्मा निवासी राजगढ़, सिरमौर, हिमाचल।

मुकदमा (3) : हरमिंदर सिंह बवेजा, पूर्व निदेशक उद्यान विभाग, मीनाक्षी जोशी, तत्कालीन मुख्य उद्यान अधिकारी देहरादून, वर्तमान में डिप्टी डायरेक्टर वॉटर शेड मैनेजमेंट। अनिल रावत निवासी देहरादून।

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