बीआरपी- सीआरपी के पदों को भरने की जिम्मेदारी अयोग्य बाहरी कम्पनी को सौंपी

शिक्षा विभाग के कुछ आलाधिकारी “वसूली एजेंट” के रूप में कार्य कर रहे- बॉबी पंवार

बड़े विभागीय अधिकारी के प्रमोशन पर सवाल उठाए

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने शिक्षा विभाग एवं शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। बॉबी पंवार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर बिष्ट पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और हाईकोर्ट में उनकी जनहित याचिका के बाद हाईकोर्ट द्वारा शिक्षा निदेशक पर लगी फटकार का भी उल्लेख किया।

बॉबी पंवार ने कहा महावीर बिष्ट पर अपर निदेशक रहते हुए भ्रष्ट्राचार के 3-4 आरोप सिद्ध होने के बाद तथा शिक्षा सचिव रविनाथ रमन को अवगत कराने के बाद भी उन्हें माध्यमिक शिक्षा का निदेशक बनाकर प्रोन्नत किया गया।

बॉबी पंवार ने कहा शिक्षा विभाग के कुछ आलाधिकारी “वसूली एजेंट” के रूप में कार्य कर रहे हैं। बीआरपी एवं सीआरपी के 955 पदों को भरने के लिए एक बाहरी कंपनी को बुलाकर यहां के पढ़े लिखे युवाओं के भविष्य को बेचा जा रहा है।

शिक्षा विभाग ने बीआरपी & सीआरपी के 955 पदों को भरने के लिए जिस बाहरी कंपनी….. का चयन किया है वह मानक भी पूरे नहीं करती जबकि उत्तराखंड की एक अन्य स्थानीय कंपनी जो मानक पूरे करती है उसे बाहर किया गया। जब इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाया गया तो हाईकोर्ट की डबल बेंच ने भी चयन को गलत करार दिया।

इसके बावजूद बाहरी कंपनियों से करोड़ों की वसूली कर गैर मानक पूर्ण कंपनी को ही शिक्षा विभाग में बीआरपी एवं सीआरपी के 955 पदों को भरने की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है।

बॉबी पंवार ने कहा कि जो कंपनी स्वयं मानक पूरे नहीं कर रही है वह पढ़े लिखे युवाओं से कई तरह के प्रमाणपत्र मांग रही है। बॉबी पंवार ने प्रदेश के भ्रष्ट अधिकारियों को सुधर जाने की भी नसीहत दी और कहा कि यदि भ्रष्ट अधिकारी अपने पुराने ढर्रे पर ही चलते रहे तो अभी तक जो लड़ाई लोकतांत्रिक तरीके से ही लड़ी जा रही थी उसमे परिवर्तन करते हुए भ्रष्ट अधिकारियों को उन्ही की भाषा में जवाब दिया जाएगा।

बॉबी पंवार ने आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से होने वाली नियुक्तियों का विरोध किया और कहा कि यदि कामचलाउ व्यवस्था के तहत मजबूरन नियुक्तियां की जा रही हैं तो ऐसी व्यवस्था को पूर्णतः पारदर्शी बनाया जाना चाहिए ।

इस मौके पर उत्तराखंड बेरोजगार संघ के उपाध्यक्ष राम कंडवाल, सह संयोजक सुशील कैंतूरा, संरक्षक यशपाल रावत, जसपाल चौहान इत्यादि मौजूद रहे।

सेवा में

A.0 आइत वा प्रति રે લીવે છે. dif

राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा उत्तराखंड देहरादून

विषय-बीआरपी एवं सीआरपी की निविदा में अनियमितता के समबन्ध में

22/00/00개 ASPO

महोदय

महोदय आपके संज्ञान में लाना है कि आपके कार्यालय द्वारा बीआरपी एवं सीआरपी के पदों की आउटसोर्सिंग के माध्यम से निविदा निकाली गई थी जिसमें निविदा कमेटी द्वारा ना ही पारदर्शिता रखी गई व साथ ही बहुत सारी अनियमितता की गई जो कि निम्न है

(1) निविदा की शर्त संख्या 36 के अनुसार निविदादाताओं से एक ऐसा प्रमाण पत्र मांगा गया था जिससे यह सिद्ध हो कि निविदादाता द्वारा तीन वर्षों में निविदा मूल्य का 50% का एक या तो 25 परसेंट के दो या 15% के तीन मैनपॉवर सप्लाई का कार्य पूर्ण किया हो।

इस प्रकार बी०आर०पी० सी०आर०पी० हेतु निविदा का कुल मूल्य 22.92.00000.00 (रु० बाईस करोड बयानवे लाख मात्र) है। निविदा की शर्त संख्या 36 के अनुसार निविदा में अर्ह होने के लिये फर्म के पास विगत 03 वित्तीय वर्षों में निम्न विवरणानुसार मानव संसाधन आपूर्ति से सम्बन्धित आदेश होने चाहिए

A. एकल कार्य पूर्ण आदेश रु 11,46,00000.00 (रु० ग्यारह करोड़ छियालीस हजार मात्र)

B. दो अलग-अलग कार्य पूर्ण आदेश रु० 5,73,00000.00 (रु० पांच करोड़ तिहतार लाख मात्र)

८. तीन अलग-अलग कार्य पूर्ण आदेश रु 3,43,80,000.00 (रु० तीन करोड़ तिरालीस लाख अस्सी हजार के

मास मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सांख्यिकी मंत्रालय का अनुभव प्रमाण पत्र निविदा में दिया गया था जिसमें स्पष्ट लिखा स्पष्ट लिखा हुआ है एग्जीक्यूटेड कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू रु 20,47,42,335/-जो की निविदा की शर्त संख्या 36 में मांगे गए एकल कार्य पूर्ण आदेश से अधिक है फिर भी कमेटी द्वारा मास मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट

(2) माननीय उच्च न्यायालय की डबल बेंच द्वारा आदेश में मास मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को उक्त निविदा मैं पूर्णतः अर्ह घोषित किया गया लेकिन विभाग द्वारा मान्य उच्च न्यायालय के आदेश का भी अनुपालन नहीं किया गया जिससे प्रतीत होता है विभाग द्वारा निविदा में किन्ही विशेष कंपनियां को लाभ पहुंचे जाने की मंशा है।

(3) विभाग से सूचना के अधिकार में दी गई सूचनाओं के आधार पर पाया गया अंलकृत लिमिटेड की निविदा को बिना ई एम डी (धरोहर राशि) के स्वीकार कर लिया गया जबकि अलंकृत लिमिटेड मध्यम उद्यम कंपनी है जबकि ईएमडी (धरोहर राशि) मैं छूट केवल सूक्ष्म एवं लघु उद्यम कंपनियां को है।

(4) विभाग से सूचना के अधिकार में दी गई सूचना के आधार पर यह भी पाया गया अलंकृत लिमिटेड को को निविदा

की शर्त संख्या 36 को पूर्ण नहीं करता है क्योंकि जी आदेश पर उसे अर्ह घोषित किया गया है वह कार्य 2025 में पूर्ण

होना है महोदय किसी कार्य या आदेश को पूर्ण किए बिना उसका अनुभव प्राप्त नहीं किया जा सकता ।

(5) मास मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा होटल अशोक लिमिटेड का कार्य पूर्ण आदेश भी निविदा में लगा है जो कि 40 करोड़ से भी अधिक का है इसके उपरांत भी उक्त कंपनी को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के उपरांत भी निविदा से बाहर रखा गया।

अत महोदय से निवेदन है कि उक्त सभी बिंदुओं पर नियमानुसार जांच कर कार्यवाही करने की कृपया करें जिससे निविदाओं में पारदर्शिता बनी रहे। महोदयुक्त बिंदुओं पर यदि नियमानुसार कार्यवाही नहीं की गई मजबूरन हमें विभाग में धरना प्रदर्शन होगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी विभाग की होगी।

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