पुलिस मुख्यालय ने त्रिवेंद्र-बलूनी की सुरक्षा हटाने सम्बन्धी समाचार का खंडन किया

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र व सांसद अनिल बलूनी की सुरक्षा हटाने सम्बन्धी समाचार भ्रामक व तथ्यहीन-पुलिस मुख्यालय

देखें, पुलिस मुख्यालय की ओर से सोशल मीडिया पर प्रसारित भ्रामक पोस्ट के सम्बन्ध में खण्डन

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। इलेक्ट्रॉनिक चैनल व सोशल मीडिया में पूर्व सीएम – सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत व सांसद अनिल बलूनी की वाई प्लस सुरक्षा हटाने सम्बन्धी समाचार के वॉयरल होने से सत्ता व राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया। इस खबर से एक पल को भाजपा की अंदरूनी राजनीति गर्म होती नजर आयी। 

मौजूदा समय में दोनों सांसद त्रिवेंडरव अनिल बलूनी संसद के सत्र की वजह से दिल्ली में मौजूद हैं। उनकी ओर से इस मुद्दे पर निजी प्रतिक्रिया का भी मीडिया को इंतजार हैं। 

इस समाचार के प्रसारण के बाद पुलिस मुख्यालय के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी ने खबर को बेबुनियाद बताते हुए तथ्य पेश किए। और कहा कि वर्तमान में शासन/पुलिस मुख्यालय स्तर पर उक्त महानुभावों की सुरक्षा को हटाये जाने को कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

त्रिवेंद्र ने वाई प्लस श्रेणी सुरक्षा बढ़ाने को सीएम को लिखा था पत्र

मा० मुख्यमंत्री , उत्तराखण्ड सरकार।

मुझे वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा ४ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है। आप अवगत ही है कि वर्तमान में संगठन द्वारा सौंपे गये दायित्वों के निर्वहन हेतु मुझे प्रदेश के बाहर अनेक स्थानों में चुनाव प्रचार / अन्य कार्यक्रमों हेतु जाना पड़ता है। अनेक बार बाहरी राज्यों के दूरस्थ क्षेत्र जो सुरक्षा की दृष्टि से अति संवदेनशील / संवदेनशील प्रकृति के होते हैं, से भी यात्रा करनी पड़ती है तथा ऐसे ही क्षेत्रों में जनसभाओं/कार्यक्रमों में भी प्रतिभाग करना होता है जिस कारण V+ श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था की अत्यन्त आवश्यकता प्रतीत हो रही है। स्थानीय कार्यकर्ताओं से भी समय-समय पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाये जाने के सुझाव प्राप्त हो रहे हैं।

अतः अनुरोध है कि कृपया उपर्युक्त परिस्थितियों का संज्ञान लेते हुये मुझे v+ श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराये जाने हेतु तत्काल सम्बन्धित को निर्देशित करने का कष्ट करें।

सादर।

आपका,

(त्रिवेन्द्र सिंह रावत)

प्रसारित खबर में यह भी कहा गया है कि  विवादास्पद लोगों की सुरक्षा को बरकरार रखा गया है।

देखें, सोशल मीडिया पर प्रसारित भ्रामक पोस्ट के सम्बन्ध में खण्डन

दिनांक 22-07-2024 को एक चैनल के सोशल मीडिया पृष्ठ पर त्रिवेन्द्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड/वर्तमान सांसद हरिद्वार एवं  अनिल बलूनी,  सांसद पौड़ी गढ़वाल की Y+ श्रेणी की सुरक्षा हटाये जाने सम्बन्धी पोस्ट प्रसारित की गयी है।

उक्त सम्बन्ध में स्पष्ट करना है कि गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट निर्देशों के अनुसार किसी महानुभाव/व्यक्ति को जीवन भय के आधार पर सुरक्षा श्रेणी/सुरक्षा प्रदान की जाती है। महानुभावों को प्रदत्त सुरक्षा की प्रत्येक छह माह में सुरक्षा समीक्षा कराये जाने का प्रावधान है।

वर्तमान में शासन/पुलिस मुख्यालय स्तर पर उक्त महानुभावों की सुरक्षा को हटाये जाने को कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

निकट भविष्य में विभिन्न  महानुभावों को प्रदत्त सुरक्षा के सम्बन्ध में राज्य सुरक्षा समिति (SSRC) की बैठक शासन स्तर पर प्रस्तावित है। विभिन्न महानुभावों को सुरक्षा प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में जनपदीय जीवन भय आंकलन समिति द्वारा उन्हें व्याप्त खतरों के सम्बन्ध में आंकलन कर आख्या मुख्यालय को प्रेषित की जाती है। तदोपरान्त जनपदीय समिति से  प्राप्त आख्या शासन को प्रेषित की जाती है। जनपदीय समिति की संस्तुति के आधार पर ही सुरक्षा दिये जाने अथवा हटाये जाने के सम्बन्ध में शासन स्तर पर निर्णय लिया जाता है। 

उपरोक्त पोस्ट के साथ सम्बन्धित महानुभावों की सुरक्षा हटाने सम्बन्धी किसी आदेश की प्रति प्रसारित नहीं की गयी है, जिससे प्रतीत होता है कि चैनल के पत्रकार बन्धु को सुरक्षा सम्बन्धी पुलिस प्रक्रिया प्रणाली की जानकारी का नितान्त अभाव है, जिसके फलस्वरुप उनके द्वारा सोशल मीडिया पर उक्त तथ्यहीन/भ्रामक पोस्ट को प्रसारित किया गया है।

 यदि किसी को सुरक्षा सम्बन्धी मानकों की जानकारी प्राप्त करनी है तो वह यथोचित कारण प्रस्तुत कर किसी भी कार्य दिवस में पुलिस मुख्यालय में उपस्थित होकर जानकारी प्राप्त कर सकता है।

जहां तक विवादास्पद लोगों की सुरक्षा को बरकरार रखने का सवाल है तो ऐसे व्यक्तियों की सूची को ठोस तथ्यपरक साक्ष्यों सहित सक्षम अधिकारियों/समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है।

महानुभावों के सुरक्षा सम्बन्धी संवेदनशील प्रकरण पर बिना किसी ठोस तथ्य के सोशल मीडिया पर भ्रामक पोस्ट करना विधि विरुद्ध है। झूठी सूचना/अफवाह फैलाने के फलस्वरुप सम्बन्धित के विरुद्ध नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही भी अमल में लायी जा सकती  है।

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