खुलासा- तो आयुर्वेद विवि में 84 पदों पर हुई थी अवैध नियुक्ति,अधिकारी कठघरे में

अब शासन के 84 पदों पर नियुक्ति का ताजा आदेश नहीं मान रहा आयुर्वेद विवि

देखें पत्र, आयुर्वेद विवि शासन की अनुमति के बिना हुई अवैध नियुक्ति को जारी रखने पर अड़ा और भ्रम फैला रहा

2017 से 2022 के बीच 84 पदों के पदों पर हुई थी नियम विरुद्ध नियुक्तियां

अविकल थपलियाल

देहरादून। शासन में अपर सचिव डॉ० विजय कुमार जोगदण्डे के ताजा पत्र से यह साफ हो गया है कि 2017 से 2022 के बीच शासन की अनुमति के बिना आयुर्वेद विवि में 84 कार्मिकों को नियम विरुद्ध नियुक्ति दी गयी थी। इन नियुक्तियों को लेकर तत्कालीन अधिकारी पूरी तरह संदेह के घेरे में हैं।

इस नियुक्ति घपले की विजिलेंस जांच भी चल रही है। और अब शासन इन 84 रिक्त पदों पर विवि को नियुक्ति के साफ निर्देश दे रहा है। लेकिन विवि प्रशासन पुराने कार्मिकों को ही आउटसोर्स पर रखे जाने पर अड़ा है।

नतीजतन, अपर सचिव जोगदंड ने विवि के प्रभारी कुलसचिव को 7 अगस्त बुधवार को करारा पत्र लिखा है।

पत्र में कहा गया है कि 84 पदों पर नियम विरूद्ध तरीके से शासन की अनुमति के बिना रखे गये ऐसे कार्मिकों को आउटसोर्स से रखे जाने की अनुमति मांगी जा रही है।

अपर सचिव ने दो दिन का समय देते हुए कहा है कि 21.03.2024 के द्वारा प्रदत्त अनुमति के क्रम में नियमानुसार तैनाती की कार्यवाही प्रारम्भ करते हुए कृत कार्यवाही से शासन को अवगत कराना सुनिश्चित करें। ऐसा नहीं करोगे तो 21 मार्च 2024 के शासनादेश को निरस्त कर दिया जायेगा।

गौरतलब है कि 2017 से 2022 की अवधि में हुई इन अवैध नियुक्तियों की विजिलेंस जांच अभी जारी है। इन 84 अवैध नियुक्तियों के समय तत्कालीन कुछ अधिकारी संदेह के घेरे में है।

देखें अपर सचिव विजय जोगदंड का ताजा पत्र

प्रेषक

संख्या-1220/XL-172023-1

सेवा में,

डॉ० विजय कुमार जोगदण्डे, अपर सचिव, उत्तराखण्ड शासन।

प्रभारी कुलसचिव, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, हर्रावाला, देहरादून।

आयुष एवं आयुष शिक्षा अनुभाग विषयः देहरादूनः दिनांक 7 अगस्त, 2024 उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त 84 पदों को आउटसोर्स से भरे जाने के सम्बंध में।

महोदय, उपर्युक्त विषयक शासन के पत्र संख्या-465 दिनांक 21.03.2024 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसके माध्यम से उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कार्य की आवश्यकतानुसार विश्वविद्यालय के ढांचे में चतुर्थ श्रेणी कार्मिको के स्वीकृत पदों के सापेक्ष रिक्त कुल 84 पदों पर आउटसोर्स के माध्यम से आगामी 11 माह अथवा दिनांक 28.02.2025 तक सेवायें लिये जाने की अनुमति प्रदान की गयी थी।

शासन द्वारा प्रदत्त उक्त अनुमति के उपरान्त भी विश्वविद्यालय द्वारा प्रकरण में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों को भरे जाने के सम्बंध में कोई कार्यवाही नहीं की गयी। प्रकरण में कार्यवाही किये जाने के स्थान पर विश्वविद्यालय द्वारा प्रकरण में भ्रम की स्थिति उत्पन्न की जा रही है, तथा विश्वविद्यालय द्वारा शासन को बार-बार अनावश्यक पत्राचार करते हुए उक्त रिक्त 84 पदों पर नियम विरूद्ध तरीके से शासन की अनुमति के बिना रखे गये ऐसे कार्मिकों को आउटसोर्स से रखे जाने की अनुमति मांगी जा रही है, जिनकी तैनाती वर्ष 2017 से 2022 के मध्य हुयी है जिस अवधि में विश्वविद्यालय द्वारा किये गये कार्यों की सतर्कता जाँच प्रचलित है।

2- उल्लेखनीय है कि इस सम्बंध में विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे अनुरोध के क्रम में शासन के पत्र संख्या-1085 दिनांक 31.07.2024 के द्वारा विश्वविद्यालय के गठन से पूर्व ऋषिकुल / परिसर हरिद्वार में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी/तृतीय श्रेणी के ऐसे कार्मिकों, जिनकी तैनाती सतर्कता जाँच की अवधि (वर्ष 2017 से वर्ष 2022 के मध्य) से पूर्व निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवायें द्वारा की गयी थी, की सूचना/आख्या विश्वविद्यालय से शासन को उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया गया है, किन्तु विश्वविद्यालय द्वारा उक्त के सम्बंध में शासन को आतिथि तक कोई भी सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी है।

3- यह भी उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय द्वारा गुरुकुल / ऋषिकुल एवं मुख्य परिसर में समूह ग के रिक्त 72 पदों पर भर्ती हेतु दिनांक 22.07.2021 को विज्ञप्ति प्रकाशित की गयी थी, जिस पर विश्वविद्यालय द्वारा आतिथि तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी है, जो कि अत्यन्त खेदजनक है।

4- अतः इस सम्बंध में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि यदि विश्वविद्यालय को चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों की वास्तव में आवश्यकता है तो, शासन के पत्र दिनांक 21.03.2024 के द्वारा प्रदत्त अनुमति के क्रम में नियमानुसार तैनाती की कार्यवाही प्रारम्भ करते हुए कृत कार्यवाही से शासन को अवगत कराना सुनिश्चित करें।

5- यदि विश्वविद्यालय द्वारा विषयगत प्रकरण के सम्बंध में 02 दिनों के भीतर कोई भी कार्यवाही नहीं की जाती है तो, यह मान लिया जायेगा कि विश्वविद्यालय को चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों की आवश्यकता नहीं है, जिसके दृष्टिगत शासन के उक्तवर्णित शासनोदश दिनांक 21.03.2024 को निरस्त कर दिया जायेगा।

भनदीय

(डॉ० विजय कुमार जोगदण्डे)

07/8/24

अपर सचिव।

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