भर्ती घोटालों की परतें उधेड़ती टेली फिल्म – युक्ति

दिनेश शास्त्री

अविकल उत्तराखंड

दूरदर्शन के देहरादून केंद्र ने सामयिक विषय को संदर्भित करती एक विशिष्ट टेली फिल्म प्रस्तुत की है और इसे दर्शकों ने सराहा भी है। आज के दौर में जब टीवी चैनलों की भरमार है लेकिन कंटेंट के नाम पर ज्यादातर सास बहू के झगड़े को ही परोसा जाता है, ऐसे में दूरदर्शन ने सरकारी नौकरियों की भर्ती में गड़बड़झाले को बेहद खूबसूरत तरीके से प्रस्तुत किया है। दूरदर्शन के देहरादून केंद्र द्वारा प्रस्तुत “युक्ति” शीर्षक से बनी टेली फिल्म में भर्ती घोटालों की परतें खोलते हुए युवा वर्ग को एक संदेश देने की कोशिश की गई है कि सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं होता। शॉर्ट कट से नौकरी पाने वालों को आखिर अपने किए का दंड भुगतना ही पड़ता है।

भर्ती घोटाले जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण विषय को निर्देशक हेमंत राणा और अनुराग श्रीवास्तव ने बेहद संजीदगी से प्रस्तुत किया है। साथ ही जागरूकता के लिए सार्थक संदेश भी दिया है। इस टेली फिल्म की कथा, पटकथा और निर्देशन हेमंत राणा और अनुराग श्रीवास्तव का है।

आमतौर पर टेली फ़िल्म को वैकल्पिक रूप से टेलीविज़न मूवी के रूप में जाना जाता है। स्वाभाविक रूप से यह एक फ़ीचर फ़िल्म ही होती है जिसे मूल रूप से टेलीविज़न नेटवर्क द्वारा या उसके लिए निर्मित और प्रसारित किया जाता है। इस लिहाज से देहरादून दूरदर्शन केंद्र ने बेहद साहसिक तरीके से मुद्दे को उठा कर उसका समाधान भी सुझाया है। साथ ही सामाजिक ताने – बाने को जोड़ते हुए सरकारी नौकरी को अच्छे रिश्ते की जरूरत के रूप में रेखांकित करने की सफल कोशिश की गई है। निसंदेह विषय को इतनी गंभीरता से सहेज कर प्रस्तुत करने में दोनों निर्देशकों ने बेहतर काम किया है।

बहादराबाद थाने से शुरू होकर उसी थाने पर कहानी की समाप्ति को जिस सलीके से पेश किया गया है, वह काबिले तारीफ है। सरकारी नौकरी के लिए जद्दोजहद करते युवा किस तरह घोटालेबाजों के झांसे में आकर शॉर्ट कट के कारण संकट में घिर जाते हैं, यही इस फिल्म का संदेश भी है।

चरित्र अभिनेता के रूप में श्रीश डोभाल और मदन डुकलान ने समाज के रीति रिवाजों के अनुरूप बेटी के लिए योग्य वर की अपेक्षा में जिस लड़के को पसंद किया और शादी निश्चित की, वह आखिरी क्षण में शादी से इनकार कर भाग जाता है तो उसके मित्र को दूल्हा बनाया जाता है और दहेज में मिली रकम से। वह भी शॉर्ट कट अपना कर सरकारी नौकरी हासिल कर लेता है। बीच में कहानी में हर ताना बाना जोड़ा गया है। बहुत कम संसाधनों में जिस तरह से टेली फिल्म को बनाया गया है, वह उनके कौशल को भी दर्शाता है। निष्कर्ष रूप में कहें तो मौजूदा परिवेश का फिल्म में सटीक चित्रांकन किया गया है।

फिल्म में सोनिया गैरोला, सृष्टि रावत, निर्माता निर्देशक में हेमंत सिंह राणा एवं अनुराग श्रीवास्तव, कलाकारों में शिवम ममगाईं प्रतीक कुमार, सृष्टि रावत, रिपुल वर्मा, कनक रावत, श्रीश डोभाल, मदन डुकलान, अनुराग वर्मा, सोनिया गैरोला, कुणाल, संजय बडोनी, मुकेश उनियाल, विशाल पंत, नवीन कुमार, मानवी नौटियाल, अशोक नारंग, भारती आनंद, ध्रुव गुप्ता आदि तमाम कलाकारों ने अच्छा अभिनय किया है। कुल मिलाकर दूरदर्शन की इस प्रस्तुति से उन लोगों को ज्यादा हौसला मिलेगा जो समाज के ज्वलंत मुद्दों को सोशल मीडिया के जरिए परोसने की कोशिश कर रहे हैं। उनके लिए यह एक लैंडमार्क भी है और रास्ता भी। युक्ति फिल्म समाज को सार्थक संदेश देने का यत्न है। युक्ति को महज एक मनोरंजन नहीं माना जा सकता बल्कि इस फिक्शन को जागरूकता का सफल प्रयास माना जा सकता है।

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