बरेली में दिव्य श्रीमद् भागवत कथा 4 नवंबर से
विभिन्न क्षेत्रों के अहम नाम व हजारों श्रद्धालु दिव्य श्रीमद् भागवत कथा से लेंगे पुण्य लाभ
अविकल उत्तराखण्ड
बरेली। निरंजन पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द गिरि जी महाराज बरेली में दिव्य श्रीमद् भागवत कथा करेंगे।
बरेली के सिद्धपीठ स्वयंभू बाबा श्री त्रिवटी नाथ मंदिर का पवित्र प्रांगण कृष्ण कथा स्थल नाथ नगरी
में सोमवार, 4 नवम्बर से रविवार, 10 नवम्बर तक चलेगी।
धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े कई अहम नाम भागवत कथा का आशीर्वाद ग्रहण करेंगे।
महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द गिरि परमात्मा की प्रत्यक्ष कृपा का दर्शन है मनुष्य शरीर मिलना। अनन्त योनियों में भटकने के बाद भगवत्कृपा से मनुष्य जन्म मिलता है और उसमें भी धर्म परायण, सत्संग प्रेमी, संतसेवी परिवार में जन्म होना और भी सुखदायी होता है।
श्रीमद् भागवत में नवयोगेश्वर प्रसंग में श्री जनक जी महाराज ने योगेश्वरों का अभिवादन करते हुए
बड़ी अद्भुत बात कही कि (एकादश स्कन्द/अध्याय-2) दुर्लभो मानुषो देहो देहिनां क्षणभङ्गुरः। तत्रापि दुर्लभं मन्ये वैकुण्ठप्रियदर्शनम् ॥ -29
एक तो मनुष्य शरीर बड़ा दुर्लभ है यह किसी भी क्षण नष्ट हो सकता है। पल में क्या हो जाये कुछ पता नहीं। इसके बाद यदि वैकुण्ठनाथ भगवान के प्रिय भक्तों का दर्शन एवं उनके द्वारा सत्संग लाभ मिले तो इससे बड़ी आनन्ददायी बात और क्या हो सकती है।
महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द गिरि महाराज ने कहा कि इन्हीं कुछ भावों का संकल्प किये हुए श्री राधामाधव जी की कृपा से सराबोर होकर 4 नवम्बर से 10 नवम्बर तक श्रीमद् भागवत भक्ति ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन करने जा रहे हैं।
दिव्य भागवत कथा का आयोजन ब्रह्मचारी कालिकानन्द गौशाला धर्मार्थ चैरिटेबिल ट्रस्ट, हरिद्वार (उत्तराखण्ड) बरेली आश्रम : श्री पंचमुखी हनुमान गायत्री मन्दिर, धर्मकांटा, प्रेमनगर, बरेली
श्री जूना गायत्री हनुमान मन्दिर, प्रेमनगर, बरेली श्री बटकेश्वर नाथ महादेव मन्दिर, गाँधीनगर, बरेली का विशेष योगदान है।
स्वामी कैलाशानन्द एक परम साधक
वर्ष में दो बार आने वाले पवित्र नवरात्रि के पावन पर्व पर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द महाराज
माई के कृपा पात्र विश्व के सबसे बड़े साधक परम पूज्य श्री गुरूदेव जी के द्वारा श्री सिद्धपीठ दक्षिण काली मन्दिर नील धारा चण्डीघाट, हरिद्वार में विराजमान माँ काली का नित्यप्रति भव्य एवं दिव्य रात्रि पूजन, श्रृंगार एवं विशेष कार्य सिद्धि हेतु हवन सम्पूर्ण विधि-विधान से किया जाता है।
इस कलिकाल में अत्यंत कठोर एवं श्रृद्धा पूर्वक कैलाशेश्वर भगवान शिव का सम्पूर्ण विधि-विधान से मास पर्यन्त पूजन होने वाला भारत का यह पहला स्थान है।
प्रत्येक वर्ष सबसे कठोर उपासक एवं कठिन साधना करने वाले परमपूज्य गुरूदेव जी के द्वारा नित्य प्रति 20-22 घण्टे एक आसन पर बैठकर अपने देवाधिदेव महादेव का दिव्य एवं भव्य रूद्राभिषेक करते हैं।
देखें सूची- कथा में आशीर्वाद लेने वाले अहम नाम
Total Hits/users- 30,52,000
TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245