संवेदनशील क्षेत्र में स्टोन क्रशर, स्क्रीन प्लांट व खनन पट्टे आवंटित-मोर्चा
खनन जारी- सुप्रीम कोर्ट/ हाई कोर्ट व वन पर्यावरण मंत्रालय के आदेश की अवहेलना
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खनन मामले में उड़ रही धज्जियां- मोर्चा
नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड भी बना तमाशबीन
शायद सरकार को है इंटरनेशनल कोर्ट के आदेश का इंतजार
अविकल उत्तराखंड
विकासनगर। पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील इलाके में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर खनन गतिविधियां जोरों पर चल रही है। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि विकासनगर क्षेत्रांतर्गत आसन कंजर्वेशन रिजर्व की अति संवेदनशीलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 14 फरवरी के आदेश में 10 किलोमीटर की परिधि के भीतर किसी भी प्रकार की खनन गतिविधि- स्टोन क्रशर, खनन पट्टे एवं स्क्रीनिंग प्लांट के संचालक पर रोक लगाने के आदेश पारित किए थे।
लेकिन अधिकारियों ने उन आदेशों की धज्जियां उड़ा कर रख दी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का इस कदर अनादर देश के इतिहास में शायद पहला मामला हो । उक्त आदेशों के क्रम में प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव) ने मुख्य वन संरक्षक, गढ़वाल एवं डीएफओ, चकराता को 22 जून के द्वारा कार्रवाई के निर्देश दिए थे। लेकिन उन आदेशों का आज तक कोई अता-पता नहीं है।

मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि सिर्फ कागजी जमा- खर्च किया गया । आलम यह है कि इस अति संवेदनशील क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक स्टोन क्रशर, स्क्रीन प्लांट व खनन पट्टे नियमों की धज्जियां उड़ाकर आवंटित किए गए । नेगी ने कहा कि पूर्व में 2 जुलाईं 2015 को नैनीताल उच्च न्यायालय ने भी सरकार को खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए थे । उस वक्त सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से मना कर दिया था। इसके बाद सरकार ने फिर उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने यह याचिका खारिज कर दी थी।
वर्ष 2015 का आदेश आज तक भी प्रभावी है । लेकिन इन तमाम आदेशों का भी सरकार पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि हैरान करने वाली बात यह है कि भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय एवं नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड भी इस मामले में नाकाम हो चुका है । मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, वन एवं पर्यावरण के आदेशों का भी अधिकारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है । नेगी ने कहा कि शायद सरकार एवं उसके अधिकारियों को इंटरनेशनल कोर्ट के आदेशों का इंतजार है। मोर्चा शीघ्र ही अधिकारियों की मनमानी एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना के मामले में कंटेंप्ट (अवमानना) दाखिल करेगा। पत्रकार वार्ता में विजय राम शर्मा व सुशील भारद्वाज मौजूद थे।








