खनन मामले में अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल करेगा मोर्चा

रोक के बावजूद प्रतिबंधित आसन कंजर्वेशन रिजर्व में क्षेत्र में चल रहे स्टोन क्रशर्स

सुप्रीम कोर्ट/ हाई कोर्ट के आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियां

अविकल उत्तराखंड

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि विकासनगर क्षेत्रांतर्गत अति संवेदनशील क्षेत्र “आसन कंजर्वेशन रिजर्व” में 10 किलोमीटर की परिधि के भीतर नियम विरुद्ध लाइसेंस (स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग संयंत्र, खनन पट्टे) जारी करने/ खनन क्रियाएं संचालित होने के मामले में जन संघर्ष मोर्चा सचिव, औद्योगिक विकास (खनन) एवं निदेशक, भूतत्व खनिकर्म के खिलाफ मा. न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से अवमानना याचिका दायर करेगा।

नेगी ने कहा कि 24 फरवरी 2024 को आसन कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र में मा. सर्वोच्च न्यायालय ने नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड की अनुमति के बिना संवेदनशील क्षेत्र की 10 किमी. की परिधि के भीतर समस्त खनन क्रियाएं बंद करने के निर्देश दिए थे।
आदेश के तहत सुप्रीम कोर्ट ने 10 किलोमीटर की परिधि के भीतर किसी भी प्रकार की खनन क्रियाएं यथा स्टोन क्रशर, खनन पट्टे एवं स्क्रीनिंग प्लांट के संचालन पर रोक लगाने के आदेश पारित किए थे।

सर्वोच्च न्यायालय/ उच्च न्यायालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार एवं नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं,लेकिन अधिकारी जानबूझकर बेखबर बने हुए हैं ।

नेगी ने कहा कि इस अति संवेदनशील क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक स्टोन क्रशर, स्क्रीन प्लांट व खनन पट्टे नियमों की धज्जियां उड़ाकर आवंटित किए गए ।

नेगी ने कहा कि 2 जुलाई 2015 को भी उच्च न्यायालय ने सरकार को खनन क्रियाओं पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे ।
उस वक्त सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से मना कर दिया था।

तत्पश्चात सरकार ने फिर उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की, उसको भी उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। यानी वर्ष 2015 का आदेश आज तक भी प्रभावी है। पत्रकार वार्ता में  मोर्चा महासचिव आकाश पंवार व दिलबाग सिंह मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *