रिवरबेड माइनिंग का काम बाहरी कम्पनियों को सौंपा
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। राज्य सरकार पुलिस व्यवस्था, टैक्स लेना और पर्यावरण संरक्षण जैसे राज्य के कामकाज को निजी कंपनियों को दे रही हैं?
उत्तराखण्ड में सरकार ने रिवरबेड माइनिंग (नदी के तल में खनन) करने वालों से रॉयल्टी और दूसरे टैक्स वसूलने और अवैध खनन पर लगाम लगाने का कार्य और शक्तियां निजी हाथों में सौंप दी हैं।
बल्कि सरकार खनन के मामले में एक कदम और आगे बड़ गई है सरकार ने नियम बनाया है कि, जो निजी कंपनी रिवरबेड माइनिंग से टैक्स वसूलेगी उसे नदियों में खनन करने के लिए दूसरी कंपनियों की तुलना में प्राथमिकता दी जाएगी।
खनन रॉयल्टी संग्रह का काम के लिए हैदराबाद स्थित निजी कंपनी पावर मेक प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को आउटसोर्स किया गया है।
ये कंपनी ने चार बड़े जिलों – नैनीताल, हरिद्वार, उधम सिंह नगर और देहरादून में पांच सालों तक रॉयल्टी इकट्ठा करेगी। कंपनी राज्य को इस काम के बदले 303.52 करोड़ रुपए देगी। बाकी लाभ का सारा पैसा कंपनी के खाते में जायेगा।
निजी कंपनी स्थानीय माइनरों और ट्रांसपोर्टरों से रॉयल्टी वसूल करेगी। क्या इससे अत्यधिक खनन नहीं होगा ? क्योंकि निजी कंपनी सरकार को दी गई धनराशि वसूलने के साथ ऊपर से बड़ा मुनाफा भी कमाना चाहेगी ।
इस कार्य को निजी हाथों में देना वैसा ही है जैसे एक पुलिस स्टेशन के काम के लिए निजी कंपनी को आउटसोर्स करना। यदि यही गति रही तो सरकार थाने भी ठेके पर दे देगी ।
पेपर लीक माफिया,खनन माफिया, भू माफिया… इन सब पर तो सरकार ने ध्यान देना ही बंद कर दिया है। आज राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के आकर्षक व्यापार पर दूसरे राज्यों से आए लोग कब्जा कर रहे हैं और उत्तराखंड का मूल निवासी अपने जल जंगल ज़मीन को दोनों हाथो से लूटते देख रहा है ।

