मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे से जनता का आक्रोश शांत नहीं होगा-कांग्रेस

कांग्रेस व भाकपा माले ने कहा,देर से उठाया गया कदम

परिसम्पत्तियों व अवैध कटान की जांच की मांग

देखें वीडियो, इस्तीफे के बाद भी पुराने स्टैंड पर कायम हैं अग्रवाल

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। धामी मंत्रिमंडल से प्रेमचन्द अग्रवाल के इस्तीफे को कांग्रेस ने उत्तराखण्डियत की जीत बताया। कांग्रेस नेता धस्माना व गरिमा ने वीडियो बयान जारी कर
कहा कि अग्रवाल ने इस्तीफा तो दिया पर माफी नहीं मांगी। बल्कि अपने पुराने स्टैंड पर अड़े हुए हैं कि मेरी बात को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया।

इससे पूरे राज्य में फैला आक्रोश समाप्त नहीं होगा । धस्माना ने कहा कि इंसान से जाने अनजाने गलतियां हो जाती हैं किन्तु अगर उसके लिए व्यक्ति जनता से माफी मांग ले तो वो छोटा नहीं हो जाता है । बल्कि वक्त के साथ लोग गलतियों को माफ कर देते हैं और भूल भी जाते हैं।

धस्माना ने कहा कि सबसे बड़े अफसोस की बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले में कोई साफ स्टैंड नहीं लिया और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने मात्र इतना कहा कि हमने उनको तलब किया और अपना पक्ष रखने के लिए कहा।

धस्माना ने कहा कि भाजपा के इस मुद्दे को नजरअंदाज करने से पूरे राज्य में जनता में भारी आक्रोश व्याप्त है । लोगों का आक्रोश शांत होने वाला नहीं है क्योंकि जिस प्रकार से पहले प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन में असभ्य व असंसदीय भाषा का प्रयोग पर्वतीय समाज के लिए किया और उनके वक्तव्य पर अपना विरोध दर्ज करने पर कांग्रेस के विधायक लखपत बुटोला के साथ जिस प्रकार का व्यवहार पीठ पर विराजमान विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी द्वारा किया गया उसने आग में घी के कम किया।
धस्माना ने कहा कि इस पूरे प्रकरण पर अभी तक श्रीमती ऋतु खंडूरी का कोई बयान नहीं आना भी दुर्भाग्यपूर्ण है।

इस्ती़फा, जनदबाव में देर से उठाया गया कदम -भाकपा माले

विधानसभा के भीतर संसदीय कार्यमंत्री द्वारा असंसदीय भाषा के प्रयोग पर भाजपा के नेतृत्व को यदि तनिक भी पश्चाताप होता तो तुरंत कार्रवाई करते. लेकिन जिस तरह लगभग आधे महीने से अधिक इस मामले को बेवजह खींचा गया उस से साफ है कि यदि जनदबाव न होता तो भाजपा को अपने मंत्री के अशोभनीय आचरण पर कोई आपत्ति नहीं थी।

उत्तराखण्ड की जनता एवं समस्त आंदोलनकारी शक्तियां इस बात के लिए बधाई की पात्र है कि उन्होने प्रचंड बहुमत के मद में चूर इस सरकार को जनता के दबाव एवं उसके प्रति उत्तरदायित्व का आभास करवाया।

प्रेमचंद अग्रवाल को सिर्फ इस्तीफा दे कर बच निकलने नहीं देना चाहिए. उनकी तमाम परिसंपत्तियों की जांच होनी चाहिए , वन भूमि अवैध निर्माण एवं संरक्षित प्रजाति के वृक्षों के कटान के मामले में उनकी भूमिका की जांच होनी चाहिए।

विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले में उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और ऋषिकेश में सड़क पर मारपीट के मामले में जो एफआईआर दर्ज हुई है उस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।

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