खनन नीति 2021 में संशोधन से हुआ बड़ा घोटाला
अविकल उत्तराखंड
विकासनगर । जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएनवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि धामी सरकार ने अपना पहला कार्यकाल जुलाई 2021 में संभालते ही खनन माफिया को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से मात्र तीन माह के भीतर, 21 अक्टूबर 2021 को, उत्तराखंड खनन नीति 2021 में भारी बदलाव कर दिया। सरकार ने नदी किनारे निजी नाप भूमि में समतलीकरण, रीसाइक्लिंग टैंक और मत्स्य तालाब निर्माण को खनन परिभाषा से बाहर कर दिया और जारी लाइसेंस की अवधि एक वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दी। इसके साथ ही, पर्यावरणीय अनुमति की आवश्यकता को भी नकार दिया गया।
सरकार ने माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए अन्य स्रोतों से प्राप्त रॉयल्टी ₹506 प्रति टन से घटाकर ₹70 कर दी और भारी मशीनों को नदियों में उतारने की अनुमति प्रदान की, जिससे सरकार को हजारों करोड़ रुपए के राजस्व की हानि हुई।

उच्च न्यायालय ने माना टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले जैसा मामला
खनन नीति बदलाव और घोटाले को लेकर दायर जनहित याचिका संख्या 90/2020 पर उच्च न्यायालय ने 30 मार्च 2022 को सरकार को खनन गतिविधियां रोकने के निर्देश दिए थे। इसी प्रकार, एक अन्य जनहित याचिका पर 31 मार्च 2023 को उच्च न्यायालय ने सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किया, जिसके बाद खनन नीति को रद्द कर दिया गया। और इस घोटाले को टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले के समान माना गया।
सरकार ने माफिया के हित में एसएलपी दायर की
नेगी ने कहा कि माफिया को नुकसान होता देख धामी सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर दी। लेकिन सरकार को भारी किरकिरी का सामना करना पड़ा और 11 सितंबर 2023 को अपनी एसएलपी वापस लेनी पड़ी।
सरकार को उच्च न्यायालय के निर्देशों का जनहित में पालन करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इससे सरकार और खनन माफियाओं की मिलीभगत स्पष्ट हो गई। प्रदेश में लगातार ऐसी नीतियां बनाई जा रही हैं, जो माफियाओं को सीधा लाभ पहुंचाने के लिए तैयार की जाती हैं।
जन संघर्ष मोर्चा सरकार की खनन माफियाओं से मिलीभगत का आगे भी पर्दाफाश करता रहेगा।
पत्रकार वार्ता में: दिलबाग सिंह और प्रवीण शर्मा पिन्नी मौजूद थे।





