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आपदा प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रयोग को बढ़ावा दें- जोशी - Avikal Uttarakhand

आपदा प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रयोग को बढ़ावा दें- जोशी

सेतु आयोग के उपाध्यक्ष ने आपदा प्रबंधन विभाग द्वार संचालित कार्यों पर चर्चा की

अविकल उत्तराखंड 

देहरादून। स्टेट इंस्टीट्यूट फार एंपावरिंग एंड ट्रांसफार्मिंग उत्तराखंड (सेतु) के  उपाध्यक्ष  राज शेखर जोशी ने गुरुवार को सचिवालय में आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग, उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र तथा यू-प्रिपेयर परियोजना के अंतर्गत संचालित विभिन्न कार्यों तथा योजनाओं पर चर्चा की और आवश्यक सुझाव दिए।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड विभिन्न आपदाओं को लेकर संवेदनशील राज्य है, ऐसे में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों का समावेश किया जाना आवश्यक है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अधिक से अधिक प्रयोग पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि मौसम का पूर्वानुमान जितना सटीक होगा, संभावित आपदाओं का सामना करने के लिए प्रभावी रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।

उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भूस्खलन अर्ली वार्निंग सिस्टम पर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि आपदाओं के प्रबंधन में डाटा एनालिसिस का बड़ा योगदान होता है, इसलिए डाटा एनालिसिस के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपदाओं का प्रभावी तौर पर सामना करने के लिए न सिर्फ तकनीकी और उपकरणों के क्षेत्र में कैपेसिटी बिल्डिंग करने की जरूरत है, बल्कि समुदायों को भी प्रशिक्षण और क्षमता वृद्धि के माध्यम से सशक्त बनाया जाना जरूरी है।

इससे पूर्व सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा संचालित विभिन्न कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मौसम के पूर्वानुमान को और सशक्त बनाने के लिए 10 डॉप्लर रडार लगाए जाने की कार्रवाई गतिमान है। आईआईटी रुड़की के साथ मिलकर भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली को और अधिक मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश भर में कुल 177 सेंसर तथा 192 सायरन लगाए गए हैं। 500 अतिरिक्त सेंसर तथा 1000 नए सायरन स्थापित करने की कार्यवाही गतिमान है।

उन्होंने बताया कि आईआईटी रुड़की के साथ मिलकर भूदेव ऐप विकसित किया गया है, जिसे फोन पर डाउनलोड कर लोग भूकंप से संबंधित अलर्ट अपने मोबाइल फोन पर प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि पांच से अधिक तीव्रता का भूकंप आने पर यह ऐप एलर्ट कर देगा। उन्होंने बताया कि स्कूलों में कक्षा एक से ही आपदा प्रबंधन विषय किसी न किसी रूप में शामिल किए जाने को लेकर यूएसडीएमए के स्तर पर एक कमेटी गठित की गई है। राज्य में 1700 प्रशिक्षित आपदा मित्र उपलब्ध हैं और एनडीएमए के सहयोग से 4310 युवा आपदा मित्रों को प्रशिक्षित किए जाने की कार्रवाई गतिमान है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 से वर्तमान तक 225 गांवों का पुनर्वास किया जा चुका है तथा पुनर्वासित किए गए परिवारों की संख्या 2575 है। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड में 13 ग्लेशियर झीलें चिन्हित की गई हैं, जिनमें से पांच अधिक संवेदनशील हैं। यूएसडीएमए तथा अन्य विभागों की टीम ने चमोली जनपद स्थित वसुंधरा ताल का गत वर्ष सर्वे कर लिया है। पिथौरागढ़ जनपद स्थित शेष चार जिलों का सर्वे इस वर्ष करने का लक्ष्य तय किया गया है।

इस अवसर पर अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, वित्त नियंत्रक अभिषेक कुमार आनंद, अपर सचिव महावीर सिंह चौहान, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो0 ओबेदुल्लाह अंसारी, यूएलएमएमसी के निदेशक  शांतनु सरकार, यू-प्रिपेयर के परियोजना निदेशक  एस के बिरला, सेतु के सलाहकार डॉ. भावना शिंदे,  हनुमंत रावत,  विशाल परासर आदि मौजूद थे।

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