गुडग़ांव के हॉस्पिटल ने 35 लाख वसूलने के बाद सौंपा दारोगा का शव
अविकल उत्तराखंड
गुडग़ांव/देहरादून। उत्तराखंड पुलिस में कार्यरत उप निरीक्षक प्रदीप नेगी, जो पिथौरागढ़ जनपद की स्थाई अभिसूचना इकाई में नियुक्त थे, का 12 मई की सुबह गुडग़ांव स्थित पारस हॉस्पिटल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वे लीवर फेल्योर से पीडि़त थे और डॉक्टरों ने तत्काल लीवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी थी। परिवार ने इलाज में लापरवाही और पारस हॉस्पिटल द्वारा आर्थिक रूप से शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं।
जानकारी के अनुसार, प्रदीप नेगी 17 अक्टूबर 2024 से पिथौरागढ़ में तैनात थे। स्वास्थ्य खराब होने पर उन्होंने 21 फरवरी 2025 से 10 दिनों का आकस्मिक अवकाश लिया। इसी दौरान उन्हें पीलिया की शिकायत हुई, जिसके बाद उन्होंने देहरादून के मैक्स हॉस्पिटल में उपचार कराया। जांच में लीवर फेल्योर की पुष्टि हुई और उन्हें 15 मार्च को पारस हॉस्पिटल गुडग़ांव रेफर किया गया, जहां उनका इलाज चल रहा था।
मूल रूप से ग्राम रणस्वा, थाना सतपुली, जिला पौड़ी निवासी प्रदीप नेगी वर्ष 2001 में उत्तराखंड पुलिस में आरक्षी पद पर भर्ती हुए थे। वर्ष 2008 में रैंकर परीक्षा उत्तीर्ण कर उप निरीक्षक बने। वे एक कर्तव्यनिष्ठ और अनुशासित अधिकारी के रूप में पहचाने जाते थे।
परिजनों के अनुसार, इलाज के नाम पर पहले ही पारस हॉस्पिटल गुडग़ांव में 22 लाख रुपये जमा कराए गए थे, लेकिन मृत्यु के बाद अस्पताल ने 45 लाख रुपये का बिल थमा दिया और कहा कि पूरा भुगतान होने पर ही शव सौंपा जाएगा।
किसी तरह परिजनों ने 13 लाख रुपये और जुटाए, जिसके बाद 35 लाख के कुल भुगतान पर शव को सौंपा गया।
मृतक प्रदीप नेगी के भाई दीपेंद्र नेगी ने बताया कि, भाई के इलाज के लिए हमने पहले ही 22 लाख रुपये पारस अस्पताल में जमा कर दिए थे। इलाज के दौरान डॉक्टरों का पूरा सहयोग भी मिला, लेकिन जब प्रदीप की मौत हुई और अस्पताल ने 45 लाख रुपये का अंतिम बिल दिया, तो उसमें कई विसंगतियां थीं।
प्रबंधन ने स्पष्ट रूप से कहा कि पूरे पैसे देने पर ही शव सौंपा जाएगा। इस दबाव में हमने किसी तरह 13 लाख रुपये और जमा किए, इस तरह कुल 35 लाख रुपये हम दे चुके हैं, तब जाकर शव हमें सौंपा गया।
हालांकि , अस्पताल प्रबंधन अब भी कह रहा है कि बाकी की राशि बाद में जमा करानी होगी। इस घटना ने न सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था, बल्कि निजी अस्पतालों की संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। नेगी परिवार ने हरियाणा सरकार और उत्तराखंड सरकार से न्याय की मांग की है।

