दो दर्जन बकरियों को बनाया निशाना, पशुपालकों में दहशत
अविकल उत्तराखंड
पौड़ी। गढ़वाल के ग्रामीण इलाकों में वन्यजीवों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। पौड़ी तहसील की मनियारस्यूँ पश्चिमी पट्टी के गांवों में गुलदार और अज्ञात जंगली जानवरों द्वारा लगातार हो रहे हमलों ने पशुपालकों की नींद उड़ा दी है। बीती रात धारी और ओलना गांव में दो अलग-अलग घटनाओं में कुल 23 बकरियों को मौत के घाट उतार दिया गया। गांवों में दहशत का माहौल है।
धारी गांव में दोबारा हमला, एक ही पशुपालक की 14 बकरियां मारी गईं
धारी गांव में दरवान सिंह पुत्र सोहनलाल की बकरीशाला में गुलदार ने धावा बोलकर 14 बकरियों को मार डाला। गौर करने वाली बात यह है कि इसी वर्ष 6 जनवरी को भी गुलदार ने उनकी 12 बकरियों को मार डाला था। पशुपालक दरवान सिंह की आजीविका का एकमात्र साधन बकरी पालन है और बार-बार हो रहे इन हमलों से उनका जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
ओलना गांव में गौशाला का दरवाज़ा तोड़कर तीन बकरियां मरीं, तीन लापता
दूसरी घटना, ओलना गांव की है, जहां अज्ञात जंगली जानवर ने त्रिलोक सिंह की गौशाला का दरवाज़ा तोड़कर भीतर मौजूद बकरियों पर हमला किया। इस हमले में तीन बकरियां मौके पर ही मारी गईं, जबकि तीन अन्य का अभी तक कोई पता नहीं चला है। ग्राम प्रधान मोहन सिंह रावत ने बताया कि त्रिलोक सिंह इस घटना से बेहद आहत हैं, क्योंकि उनका परिवार पूरी तरह से बकरी पालन पर निर्भर है।
सिर्फ चार दिन पहले ही दिउसी गांव के पास देवीदार में अर्जुन सिंह नेगी की तीन बकरियों को भी गुलदार ने मार डाला था। इस प्रकार केवल कुछ दिनों में तीन अलग-अलग हमलों में 29 से अधिक बकरियां मारी जा चुकी हैं।
स्थानीय प्रशासन और वन विभाग से मदद की गुहार
लगातार हो रहे हमलों से परेशान ग्रामीणों ने गढ़वाल वन प्रभाग से तुरंत हस्तक्षेप और सुरक्षा व्यवस्था की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते पिंजरा लगाने, निगरानी और उचित मुआवजा जैसी कार्यवाही नहीं की गई, तो पशुपालकों का यह एकमात्र स्वरोजगार भी समाप्त हो जाएगा।
वन विभाग द्वारा अब तक इन घटनाओं पर क्या कार्रवाई की गई है, इस पर गांव वाले जवाब चाहते हैं। वर्तमान हालातों को देखते हुए वन्यजीवों पर नियंत्रण और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए ठोस रणनीति की आवश्यकता है। (जगमोहन डांगी)

