हरिद्वार जमीन घोटाला: बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई से बच रही सरकार-कांग्रेस

15 करोड़ की जमीन 54 करोड़ में खरीदी

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने हरिद्वार नगर निगम द्वारा की गई विवादित भूमि खरीद को लेकर सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि खुद को “जीरो करप्शन” की सरकार कहने वाली व्यवस्था ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में डूबी है।

आर्य ने आरोप लगाया कि हरिद्वार नगर निगम ने कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त और सस्ती कृषि भूमि को बिना आवश्यकता के 54 करोड़ रुपये में खरीद लिया। उस समय जमीन का लैंड यूज़ ‘कृषि’ था और सर्किल रेट करीब ₹6,000 प्रति वर्ग मीटर था। यदि इसे कृषि भूमि के रूप में खरीदा जाता, तो कुल कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये होती। लेकिन लैंड यूज़ बदलकर इसे व्यावसायिक घोषित किया गया और इस प्रक्रिया में नियमों को ताक पर रख दिया गया।

उन्होंने कहा कि लगभग 35 बीघा भूमि की खरीद में न तो नगर निगम अधिनियम का पालन हुआ, न ही शासन के नियमों का। पारदर्शी बोली प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, जो सरकारी खरीद नियमों का खुला उल्लंघन है।

जांच पर असर, बड़े नामों पर चुप्पी क्यों?

आर्य ने कहा कि सरकार ने केवल निचले स्तर के कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों पर कार्रवाई कर इतिश्री कर ली, जबकि सभी जानते हैं कि वे इतने बड़े घोटाले के अकेले जिम्मेदार नहीं हो सकते। असली मास्टरमाइंड अब भी जांच को प्रभावित करने में लगे हुए हैं।

उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार उन बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई से क्यों बच रही है जो सीधे तौर पर इस घोटाले में शामिल रहे हैं। क्या यह सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति का सच है?

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