पहाड़ की बेटी को मिला अधूरा न्याय -कांग्रेस
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अभी तक वीवीआईपी की पहचान ना होना विवेचना की कमी
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखंड के इतिहास में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के सबसे जघन्य अपराध अंकिता भंडारी हत्याकांड में आज सत्र न्यायालय द्वारा हत्या कांड के तीन प्रमुख दोषियों का अपराध सिद्ध होने व तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास व अर्थदंड के फैसले का स्वागत करते हुए उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने दोषियों को फांसी की सज़ा के लिए अभियोजन पक्ष को उच्च न्यायालय जाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा निर्देशित किए जाने की मांग की है ।
शुक्रवार को न्यायालय का फैसला आने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन व प्रशासन सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड ने पूरे राज्य के लोगों को उद्वेलित किया हुआ है और लोग दोषियों को फांसी से कम सज़ा पर राजी नहीं हैं।
धस्माना ने कहा कि इस जघन्य कांड के पीछे किसी वीवीआईपी के होने की चर्चा है जिसके बारे में स्वयं अंकिता ने अपने मित्र को चैट में बताया किंतु आज तक उस वीवीआईपी तक विवेचना करने वाली पुलिस टीम नहीं पहुंच पाई जो विवेचना पर सवाल खड़ा करती है ।
धस्माना ने कहा कि इस पूरे कांड के मुख्य अभियुक्त जो अब अपराधी सिद्ध हो चुके हैं सत्ता धारी दल से सीधे जुड़े हुए रहे और इनका पूरा परिवार भाजपा और आरएसएस में पदाधिकारी व सरकार में दायित्वधारियों रहे जिसके कारण न केवल विवेचना को बल्कि अभियोजन पक्ष पर भी दोषियों को बचाने का भरी दबाव बनाया गया।
न्यायालय में अपराधियों का दोष सिद्ध हुआ और आज दोषियों को सजा सुनाई गई जिसका कांग्रेस स्वागत करती है व दोषियों को और सख्त सज़ा के लिए अभियोजन पक्ष के उच्च न्यायालय में अपील की मांग करती है।
पहाड़ की बेटी को मिला अधूरा न्याय , साक्ष्यों के साथ की गई छेड़ छाड़ :डॉ प्रतिमा सिंह
आज पहाड़ की उस बेटी को अधूरा न्याय न्याय मिला जिसके सपने चूर चूर कर उसको मौत के घाट उतार दिया गया था, आज उन दरिंदगों को सजा मिली है ।
आज पहाड़ का हर वो शख्स जिसने हमारी बेटी की न्याय की लड़ाई लड़ी उसके दिल को कुछ हद तक सुकून मिला होगा। ये एक नजीर की तरह पेश होगा उन लोगों के लिए जो इस तरह का घिनौना कृत्य करने के बारे में सोच भी रहे होंगे।
आज पूरा प्रदेश दुखी भी है और खुश भी दुखी इसलिए कि उन्होंने अपनी एक होनहार बेटी को खो दिया जो अपने माता पिता के सपनों को पूरा करने के लिए ऋषिकेश आयी थी।
कोर्ट से हमे फाँसी की उम्मीद थी पर कोर्ट ने अपने समक्ष प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर निर्णय लिया ।
कई सवाल आज भी मन को व्यथित कर रही है कि आख़िर किसके बोलने पर यमकेश्वर विधायक रेणु बिष्ट ने रिसॉर्ट को आनन फानन में तुड़वा दिया। अंकिता भंडारी का कमरा तोड़ दिया उसका सामान जला दिया।
अंकिता की माता अपने हर बयान में उस वी आई पी का जिक्र करती हैं पर उसके खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई।
उनका नाम तक एफ आर आई में दर्ज नहीं किया गया। अंकिता हत्याकांड से पूरा देश स्तब्ध था, सरकार के रवैये पर कई सवाल थे जिनके जवाब अब तक नहीं मिले हैं।
अंकिता के माता पिता ने उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने की बात की है जो उनका अधिकार है उन्होंने अपनी बच्ची खोयी है उन्हें न्याय मिलना बाक़ी है, भाजपा राज में महिलाओं के प्रति बढ़ता अपराध भाजपा की बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के नारे की पोल खोलने का कार्य करता है, आज देश की बेटियां भाजपा के नेताओ से अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं कर रही है।
सरकार से हमारी ये माँग है कि ऐसे रिसॉर्टऔर होटल जो पर्यटन को बढ़ावा ना देकर अय्याशी का अड्डा बने हुए हैं उन पर नकेल कसने का काम करे।
कांग्रेस पार्टी अपनी बेटियों की अस्मिता के साथ खिलवाड़ को बर्दाश्त नहीं करेगी। अंकिता की न्याय की लड़ाई में कांग्रेस पार्टी शुरू से साथ थी आगे भी हम उसके माता पिता के साथ खड़े हैं।
इन्द्रेश मैखुरी, राज्य सचिव, भाकपा (माले) की प्रतिक्रिया
अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्याय का एक चरण पूरा हुआ. तीनों हत्यारोपियों को दोषी करार दिया जाना और आजीवन कारावास की सजा होना तात्कालिक राहत है. लेकिन इससे निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता क्योंकि न्याय पाने की इस लड़ाई को हत्यारे करार दिये गए रसूखदार, अगले चरण में ले जा कर अपने पक्ष में करने की कोशिश करेंगे. इसलिए अंकिता भंडारी के न्याय के आकांक्षी तमाम लोगों को सचेत और सतर्क हो कर, इस मामले आगे होने वाली हर गतिविधि पर नज़र बनाए रखनी होगी.
हत्यारों को सजा होना न्याय की जीत है. लेकिन इस मामले में जिस वीआईपी का जिक्र शुरू से होता रहा, उसकाे कानून के कठघरे में न ला पाना उत्तराखंड सरकार और पुलिस की नाकामी है. यह सवाल मन में उठता है कि क्या सरकार और पुलिस ने खुद ही यह नाकामी अंगीकार कर ली. यह संदेह इसलिए पैदा होता है क्योंकि हत्यारे करार दिये गये पुलकित आर्य का पूरा परिवार भाजपा से संबद्ध है. यह संदेह लगातार व्यक्त किया जाता रहा है कि उक्त वीआईपी की पृष्ठभूमि भी क्या वही है ?
यह आश्चर्य की बात है कि जब पूरा उत्तराखंड अंकिता भंडारी के लिए न्याय की मांग कर रहा था तो आज हत्यारे करार दिये गए लोगों के पक्ष में आरएसएस पृष्ठभूमि के लोग वकील के तौर पर खड़े हुए. हत्यारे भाजपाई पृष्ठभूमि के थे और वकील आरएसएस पृष्ठभूमि के, ये “बेटी बचाओ” के नारे की हकीकत काफी हद तक बयान कर देता है.
जिस तरह से अंकिता भंडारी के मामले में पहले कमजोर सरकारी वकील रखा गया और अंकिता के माता- पिता के धरने पर बैठने के बाद ही सरकारी वकील बदला गया, वनंतरा रिज़ॉर्ट को जेसीबी से ढहाने के लिए जिम्मेदार बताई गयी यमकेश्वर की विधायक रेणु बिष्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उससे उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार की पक्षधारता का भी खुलासा हो गया. पौड़ी जिले में डोभ श्रीकोट स्थित नर्सिंग कॉलेज का नाम अंकिता भंडारी के नाम पर करने की मुख्यमंत्री की घोषणा आज भी पूरी नहीं हुई है।
अंकिता भंडारी कांड में अपराधियों को सजा नाकाफी -धीरेंद्र प्रताप
उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने अंकिता भंडारी कांड में अभियुक्तों को दी गई सजा को “नाकाफी” बताया है ।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि सारा राज्य यह सोच रहा था कि इस कांड में लिप्त भाजपाइयों नेताओं को फांसी की सजा मिलेगी परंतु जिस तरह से उन्हें आजीवन कारावास देकर छोड़ दिया गया। उससे लोगों में असंतोष है ।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मामले को लेकर आगे जाएगी और बड़ी अदालत में अंकिता के परिवार के साथ अभियुक्तों को सजा दिलाने के लिए पूरी ताकत के साथ खड़ी होगी ।
उन्होंने कहा यह जो जघन्य अपराध हुआ है उससे उत्तराखंड का सर सारी दुनिया में झुक गया है और जिस तरह से एक राजनीतिक दल के लोगों का चेहरा बहुत ही गैर जिम्मेदाराना ढंग से सामने आया उसके बाद भी आज के फैसले के बाद जिस तरह से भाजपाइयों ने मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए जगह-जगह पोस्टर चिपकाए हैं उससे साफ जाहिर होता है की भाजपाई बेशर्मी से इस कानूनी फैसले पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आए हैं।
उन्होंने कहा ऐसा लगता नहीं की सरकारी दल के लोग अंकिता भंडारी के परिवार के लोगों के आंसू पोछना चाहते हैं बल्कि उनकी खुशी इसमें है की भाजपाई इस मामले में फांसी के फंदे पर झूलने से बच गए और एक तरह से जिस असली सजा के वह हकदार थे । उस सजा से वह बच गए।
उन्होंने कानून के इस फैसले पैर दुख जताया और कहा कि इस पर और बडी पैरवी की जाएगी और अभियुक्तों को फांसी की सजा दिलाए जाने तक यह संघर्ष जारी रहेगा।

