हेलीकॉप्टर हादसे सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान: यशपाल

श्रद्धालुओं की जान भगवान नहीं, सिस्टम के भरोसे होनी

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखंड में लगातार हो रहे हेलीकॉप्टर हादसे चारधाम हेली सेवा की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। 2 मई को केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद से अब तक यह पांचवां हादसा है। सड़कों से लेकर आसमान तक नियोजन, शासन और जवाबदेही में गहरी खामियां हैं, जिसके कारण बार-बार आपदाएं हो रही हैं।

आर्य ने बताया कि—

8 मई को गंगोत्री जा रहा हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें छह लोगों की मृत्यु हुई।

12 मई को बद्रीनाथ में हेलीकॉप्टर का ब्लेड एक वाहन से टकरा गया।

17 मई को एम्स की हेली एम्बुलेंस केदारनाथ में गिर गई।

8 जून को बड़ासू हेलीपैड से उड़ा हेलीकॉप्टर अचानक सड़क पर आ गिरा, जिससे एक कार भी क्षतिग्रस्त हुई।

हर बार हादसे के बाद सरकार सिर्फ जांच का आदेश देती है और फिर मौन हो जाती है। यदि जांचों के बाद भी सुधार नहीं हो रहा तो यह सिर्फ औपचारिकताएं बनकर रह जाती हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि फिलहाल चारधाम यात्रा के लिए 9 कंपनियां हेलीकॉप्टर सेवाएं दे रही हैं। पहले ये हेलीकॉप्टर प्रतिदिन करीब 250 उड़ानें भरते थे। हाल ही में DGCA ने इन उड़ानों में लगभग 35 प्रतिशत की कटौती की थी और निर्देश दिया था कि एक उड़ान में सिर्फ 3-4 यात्री ले जाएं। जबकि आज दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर में 6 लोग सवार थे।

क्या अधिक मुनाफे के लिए उड़ानों में DGCA के मानकों की अनदेखी हो रही है? DGCA केवल दिशा-निर्देश जारी करके जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकता। यह सुनिश्चित कौन करेगा कि इनका पालन हो भी रहा है या नहीं?

आर्य ने प्रशासन से पूछा—

क्या मौसम की पूर्व चेतावनी थी और क्या उसका अनुपालन हुआ?

क्या पिछली दुर्घटनाओं से कोई सबक लिया गया?

क्या सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए गए?

क्या यात्रियों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है?

उन्होंने कहा कि हाल में मुख्यमंत्री ने हेली हादसों की समीक्षा के निर्देश दिए थे ताकि पुनरावृत्ति न हो, लेकिन क्या इन निर्देशों का कंपनियों पर कोई असर पड़ा है?

श्रद्धा से यात्रा पर निकले लोगों की जान भगवान के भरोसे नहीं, बल्कि सिस्टम की जिम्मेदारी पर सुरक्षित रहनी चाहिए। अब जवाबदेही तय होनी ही चाहिए।

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