ICCON 2025- भारत का सबसे बड़ा वन्यजीव संरक्षण सम्मेलन संपन्न

तकनीक, शोध और नीति निर्माताओं का संगम बना भारतीय वन्यजीव संस्थान

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून में आयोजित भारतीय संरक्षण सम्मेलन (ICCON 2025) का तीन दिवसीय आयोजन आज सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

इस राष्ट्रीय स्तर के आयोजन में देश-विदेश से 500 से अधिक वन्यजीव शोधकर्ता, संरक्षण वैज्ञानिक, वन अधिकारी और नीति निर्माता शामिल हुए। सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया।

संवेदनशील प्रजातियों पर फोकस, युवाओं को मिला मंच
समापन दिवस पर डॉ. महेश शंकरन (NCBS) ने ‘सवाना पारिस्थितिकी तंत्र में जलवायु-जैव विविधता संबंधों’ पर व्याख्यान दिया, जिसमें पर्यावरणीय शोध को स्थानीय और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में समझने की आवश्यकता पर बल दिया गया। इसके बाद आनुवंशिकी, संरक्षण संघर्ष, परिदृश्य पारिस्थितिकी और प्रजातियों की निगरानी पर अनेक प्रस्तुतियाँ हुईं। पोस्टर सत्र में शहरी जैव विविधता और युवाओं की नागरिक विज्ञान पहलों को प्रमुखता मिली।

डॉ. आकांक्षा राठौर ने “सेंसिंग द वाइल्ड: एआई टूल्स फॉर ट्रैकिंग, अंडरस्टैंडिंग एंड कंजर्विंग नेचर” विषय पर व्याख्यान में बताया कि कैसे तकनीक वन्यजीव अनुसंधान में क्रांति ला रही है। डॉ. मनोज नायर (सीसीएफ, ओडिशा) ने भारत की संरक्षण प्राथमिकताओं और शासन में तकनीक के समावेशन पर जानकारी साझा की।

टेकब्रिज सत्र में नवाचारों की प्रस्तुति

शाम को आयोजित टेकब्रिज सत्र में A&S क्रिएशंस, पार्डस वाइल्ड-टेक एलएलपी और IIT रुड़की जैसे संस्थानों ने अपने नवाचार प्रस्तुत किए। A&S क्रिएशंस को उपकरण अनुदान के प्रायोजक के रूप में सम्मानित किया गया, जिसने 8 युवा शोधकर्ताओं को 25,000 रुपये के उपकरण अनुदान प्रदान किए। अरुणाचल प्रदेश में भूटान ग्लोरी तितली पर काम करने वाली सारिका बैद्य ने बताया कि यह अनुदान जैसे दुर्लभ समर्थन युवाओं को प्रोत्साहित करते हैं।

सारांश और भविष्य की दिशा
डॉ. बिलाल हबीब ने धन्यवाद ज्ञापन में कहा, “ICCON अब विचारों और विज्ञान का जीवंत मंच बन चुका है।”
डीन डॉ. रुचि बडोला ने कहा, “इस मंच ने शोध और नीति के बीच की दूरी को पाटा है।”
WII के निदेशक वीरेंद्र तिवारी ने कहा, “500 से अधिक प्रतिभागियों के साथ यह सम्मेलन देश में संरक्षण संवाद का सबसे बड़ा आयोजन बन गया है।”

सम्मेलन ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि भारत में संरक्षण का भविष्य तकनीक, नवाचार और युवाओं की भागीदारी से तय होगा।

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