उत्तराखण्ड से बाहर भी फैला है घोटालेबाजों का साम्राज्य

हर तरफ़ दौलत का ऐसा खेल है,
ईमान बिकता है, इंसान बिकता है।

अविकल थपलियाल

पंचायत चुनाव के शोरगुल के बीच उत्तराखण्ड में एक और घोटाले की गूंज ने  सिस्टम के भ्र्ष्टाचार की कलई खोल दी।

सफाई कर्मियों की नियुक्ति व फर्जी भुगतान का यह मामला पौड़ी जिला पंचायत से जुड़ा है। कर्मियों का दुःसाहस देखिए कि एक संविदा कर्मी उपनल कर्मी के खातों में लाखों रुपए डाल दिये गए। और फिर इस खाते से जमकर बन्दरबांट हुई।

डीएम स्वाति भदौरिया ने जांच के आदेश दे दिए हैं। पंचायत चुनाव में उलझे पौड़ी के मुख्य विकास अधिकारी गुणवंत का कहना है कि जल्द ही जांच शुरू कर दी जाएगी।


पौड़ी जिला पंचायत से ठीक पहले हरिद्वार नगर निगम का करोड़ों के भूमि घोटाले की जॉच विजिलेंस कर रही है। हरिद्वार मामले में आईएएस कर्मेन्द्र सिंह, वरुण चौधरी व एसडीएम अजयवीर सिंह समेत एक दर्जन अधिकारी व कर्मी निलंबित हो चुके हैं।
इन अधिकारियों ने इस बहुचर्चित घोटाले को किसकी शह पर अंजाम दिया। सत्ता के गलियारों में यह भी एक रहस्य बना हुआ है।

उत्तराखण्ड में नेता-अधिकारी व दलालों की घोटालेबाज त्रिवेणी ने राज्य की छवि पर कई बार कालिख पोती है। बड़े अधिकारी-कर्मी जेल भी डाले जा रहे हैं। और कुछ को क्लीन चिट भी मिल रही है।

उत्तराखंड के दर्जनों बहुचर्चित घोटालों में एक सैकड़ों करोड़ के NH 74 के विवादास्पद पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह को शासन ने क्लीन चिट दे दी थी।
ताज्जुब की बात तो यह रही कि उधमसिंहनगर के तत्कालीन डीएम उदयराज ने हल्द्वानी की कोर्ट में दस्तावेज पेश कर कहा कि शासन ने डीपी सिंह को क्लीन चिट दे दी है। लिहाजा,मुकदमा न चलाया जाए।
एक घोटालेबाज अधिकारी को बचाने में शासन-प्रशासन की इस ‘तेजी’ पर हल्द्वानी कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी कर सख्त चेतावनी दे डाली थी।


मतलब साफ है कि सिस्टम को खोखला कर चुके इन घोटालेबाजों को बचाने में भी  कुछ मास्टरमाइंड पूरी ताकत झोंक देते हैं। कुछ दिन पहले ही इसी अधिकारी डीपी सिंह व अन्य के ठिकानों पर ईडी छापा मार कर हलचल मचा चुकी है।

राज्य गठन के इन 25 साल में कमोबेश हर सरकार के दामन पर घोटाले और करप्शन का आरोप लगता रहा है। कई नेता-अधिकारी अकूत सम्पत्ति के मालिक बन चुके हैं। प्रदेश के अंदर और बाहर कई जगह निवेश की खबरें भी चर्चाओं में रहती है। कुछ बड़े मगरमच्छ सरीखे अधिकारियों की दिल्ली के गलियारे में भी जमकर चर्चा हो रही है।


साल 2022 पश्चिमी यूपी के एक भू माफिया से जुड़े करोड़ों के चिटहरा भूमि घोटाले में उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारियों का नाम सामने आया था। दर्ज एफआईआर में साफ उल्लेख था कि इन अधिकारियों के रिश्तेदारों के नाम से जमीन खरीदी गई थी।

नेता-अधिकारी और माफिया की यह तिकड़ी उत्तराखण्ड ही नहीं अन्य प्रदेशों में भी अथाह दौलत का पहाड़ खड़ा कर चुकी है। इनकी बेनामी सम्पत्ति की जांच से कई राज खुल सकते हैं।

बहरहाल, हरिद्वार नगर निगम  व पौड़ी जिला पंचायत के भ्र्ष्टाचार की जॉच में किस-किस को सजा मिलती है,,यह देखना बाकी है..क्यों भुला चैतू…



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