डीजीपी ने वैज्ञानिक साक्ष्यों, समयबद्धता और जवाबदेही पर दिया जोर

विवेचना की गुणवत्ता सुधार पर डीजीपी की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। गंभीर अपराधों की विवेचना में पारदर्शिता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दीपम सेठ की अध्यक्षता में मंगलवार को उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित हुई। बैठक में गढ़वाल-कुमाऊं के सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और मुख्यालय के अधिकारियों ने भाग लिया।

डीजीपी ने निर्देश दिए कि जांच में वैज्ञानिक साक्ष्य, वीडियोग्राफी, इन्वेस्टिगेशन प्लान और अभियोजन अधिकारियों से समन्वय अनिवार्य रूप से हो। उन्होंने कहा कि थानों से लेकर कप्तानों तक विवेचना की नियमित मॉनिटरिंग और जवाबदेही तय की जाए। विवेचना की समीक्षा क्षेत्राधिकारी और अपर पुलिस अधीक्षक स्तर तक नियमित की जाए तथा न्यायालय के निर्देशों को जनपद की क्राइम मीटिंग में साझा किया जाए।

बैठक में नई आपराधिक धाराओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर 3000 विवेचकों के प्रशिक्षण की योजना बनाई गई। साथ ही वर्कलोड का आकलन और इन-हाउस प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। डीजीपी ने कहा कि सीमित संसाधनों के बीच पेशेवर दक्षता और जवाबदेही से कार्य करना ही असली चुनौती है। बैठक में एडीजी, आईजी, डीआईजी समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

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