सशक्त ग्राम पंचायतें ही बदल सकती हैं उत्तराखंड की तस्वीर

अविकल उत्तराखंड

अल्मोड़ा। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि प्रदेश में भाजपा- कांग्रेस की सरकारों ने पंचायती राज की संवैधानिक अवधारणा को नष्ट करने का काम किया है। पंचायती राज व्यवस्था की अवधारणा के उलट आज पंचायतें भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी और नौकरशाहों के रौबदाब का अड्ढा बनकर रह गई हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में हो रहे पंचायत चुनाव जनता के पास सबसे बड़ा मौका है इस अव्यवस्था को दूर करने के लिए लोगों को आगे आकर पहल करनी होगी।

शनिवार को आयोजित प्रेस वार्ता में पीसी तिवारी ने कहा कि संविधान के 73 वें संसोधन में पंचायतों को अधिकार संपन्न बनाने, संवैधानिक दर्जा दिए जाने और ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दिए जाने समेत 29 विभागों की शक्तियां व वित्तीय अधिकार पंचायतों के प्रावधान शामिल थे। लेकिन सालों बाद भी सरकारों द्वारा पंचायतों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है जिससे गांव में अब भी स्वशासन व ग्राम स्वराज का सपना साकार नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि सरकार एवं बड़ी राजनीतिक पार्टियां नहीं चाहती है कि ग्राम पंचायतों को उनके सभी अधिकार मिले ताकि उनका वर्चस्व बना रहे। लेकिन पंचायतों के सशक्त हुए बिना भारतीय समाज और उत्तराखंड राज्य का भला नहीं हो सकता है।

उपपा अध्यक्ष तिवारी ने कहा कि सरकारों, पूंजीपतियों व नौकरशाहों के गठजोड़ के कारण आज पंचायतों की अस्मिता खत्म हो रही है। चुनाव में शराब, पैसे व दबंगई का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है और गांवों को खत्म करने का यह सबसे बड़ा षड़यंत्र व साजिश है। आज कोई भी ग्राम पंचायत भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है। जांच होने पर कोई भी ग्राम प्रधान और संबंधित अधिकारी जेल जाने से नहीं बच सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिन राष्ट्रीय पार्टियों ने ऐसी परिस्थितियां व हालात पैदा किए है परिवर्तन पार्टी उन सबसे खिलाफ है। उपपा पंचायत चुनाव में उत्तराखंड की अवधारणा को साकार करने वाले, उसकी अस्मितां की रक्षा की लड़ाई लड़ने वाले और गांव व समाज को समृद्ध करने वाले लोगों के साथ खड़ी है और प्रदेशभर में ऐसे कई उम्मीदवारों को अपना समर्थन दे रही है। प्रेस वार्ता में मोहन चंद्र जोशी, भावना पांडे, प्रकाश, मोहम्मद वसीम आदि मौजूद रहे।

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सरकारी स्कूलों को बंद करने का फैसला तत्काल वापस लें सरकार

उपपा अध्यक्ष पीसी तिवारी ने प्रदेश में सरकारी स्कूलों को समायोजित कर बंद करने का फैसले पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाएं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार 1488 माध्यमिक स्कूलों को बंद करने जा रही है। लोगों ने अपनी खुद की जमीन दान कर यह स्कूल खुलवाएं है। जहां गरीब, मजबूर व असहाय लोगों के बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल बंद होने से हजारों शिक्षकों के पद समाप्त होने के साथ ही भोजन माताएं और अतिथि शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आखिर इन स्कूलों की करोड़ों की प्रॉपर्टी को सरकार किसके हाथों में सौंपना चाहती है? उपपा इस निर्णय के खिलाफ है और सरकार अपने इस फैसले को तत्काल वापस लें।

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