समळौण आन्दोलन की 25वीं वर्षगांठ पर पर्यावरण संरक्षण का संदेश

संस्कारों से जुड़ी वृक्षारोपण की प्रेरक पहल

जगमोहन डांगी

अविकल उत्तराखंड

पौड़ी गढ़वाल। विकासखंड पौड़ी के पट्टी पैडुलस्यूं के ग्राम कमेड़ा में समळौण आन्दोलन की 25वीं वर्षगांठ पर समळौण वन में अमरूद, संतरा, आंवला सहित विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन का संदेश दिया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवन्त ने कहा कि समळौण गढ़वाली भाषा का शब्द होने के साथ दिल से जुड़ने वाली पहल है, जिसमें जीवन के हर संस्कार को वृक्षारोपण से याद करना प्रेरक है। उन्होंने सभी से वृक्षों के प्रति जागरूक होने और उनके संरक्षण पर बल दिया।

मुख्य विकास अधिकारी ने ढाई दशक से लगातार काम कर रही सामाजिक संस्था समळौण के संस्थापक और पूरी टीम को बधाई दी और जनपद से लेकर पूरे राज्य में चल रहे कार्यक्रम की सराहना की। कार्यक्रम की संयोजक और राज्य संयोजिका सावित्री देवी ममगाईं ने कहा कि पेड़ों के प्रति प्रेरणा उन्हें आन्दोलन के संस्थापक बीरेंद्र दत्त गोदियाल से मिली। उन्होंने बताया कि 30 जुलाई 2022 को वृक्ष संरक्षण दिवस पर 180 फलदार पौधे रोपे गए, जिनका संरक्षण उन्होंने स्वयं किया और आज वे वृक्ष फल दे रहे हैं। भविष्य में यह वन स्वरोजगार का स्रोत बनेगा। उन्होंने 30 जुलाई को वृक्ष संरक्षण दिवस घोषित करने और संस्कारों के अवसर पर पौधारोपण करने की अपील की।

कार्यक्रम में तीन साल पहले रोपे गए वृक्षों पर रक्षा सूत्र बांधकर पर्यावरण जागरूकता का संदेश भी दिया गया। इस अवसर पर उप प्रभागीय वनाधिकारी सिविल सोयम राखी जुयाल, वन क्षेत्राधिकारी भूपेन्द्र सिंह रावत, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार जगमोहन सिंह डांगी, वन दरोगा बी.एस. रावत, परविन्द्र रावत, राजस्व विभाग के कर्मचारी और कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। संचालन समळौण आन्दोलन के जिला संयोजक और पत्रकार पवन पटवाल ने किया।

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