…बोल चैतू
अविकल थपलियाल
राज्य गठन के 25 साल। कई विभागीय उपलब्धियों को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार की शाबाशी भी मिल रही और चमचमाती ट्राफी भी। केंद्र से पैसे की कोई कमी नहीं। अपनी पीठ थपथपाने का सिलसिला जारी। लेकिन जनता से जुड़े कई सेक्टर में अभी भी हम मीलों पीछे खड़े हैं।
हाल ही में सीमांत पिथौरागढ़ के मुन्स्यारी इलाके में जंगली मशरूम खाने से नानी और नातिन की दर्दनाक मौत हो गयी। ये खबर झकझोरती भी है और स्वास्थ्य सेवाओं की कलई भी खोलती है। कुछ दिन पहले ही दीया मर्तोलिया अपने ननिहाल गयी थी।
बीते 11 जुलाई को मुनस्यारी से 25 किलोमीटर दूर धापा गांव में 70 वर्षीय कुंती देवी और नातिन दीया मर्तोलिया ने शुक्रवार को जंगली मशरूम की सब्जी खायी।
दोनों की हालत बिगड़ी तो 12 जुलाई की सुबह गांव से 25 किमी दूर मुन्स्यारी के सीएचसी में इलाज चला।अन्य गांवों की तरह इस गांव में भी जीरो स्वास्थ्य सुविधाएं।
कोई फायदा नहीं हुआ तो सीमांत मुन्स्यारी से 128 किमी दूर जिला अस्पताल पिथौरागढ़ के लिए रेफर किया गया।
यहां भी तबियत में कोई सुधार नहीं हुआ तो कागज पर हायर सेंटर हल्द्वानी लिख दिया गया। ब्लड प्रेशर कम हुआ तो ड्रिप लगाकर 250 किमी दूर हल्द्वानी के लिए रवाना कर दिया गया। 6 घण्टे का पहाड़ी व मैदानी सफर।
इस बीच, हेली एयर एम्बुलेन्स की भी कोशिश की गई। लेकिन मिली नहीं या मौसम खराब की बात कही गयी। यह साफ नहीं हुआ।
13 जुलाई को पिथौरागढ़ से हल्द्वानी लाते वक्त दीया मर्तोलिया ने सितारगंज के पास दम तोड़ दिया। उम्र मात्र 28 साल। इसी दिन, नानी कुंती देवी को हल्द्वानी में भर्ती किया गया। लेकिन नानी भी चल बसी।
थापा गांव से हल्द्वानी तक लगभग 400 किमी के रास्ते में कहीं भी ऐसी चिकित्सकीय सुविधा नहीं थी कि जंगली मशरून खाने से बीमार की जान बचाई जा सके।
उत्तराखण्ड में ततैयों के काटने से भी दर्दनाक मौतें हुई है। ततैया के काटे का भी इलाज नहीं। पहाड़ में सुरक्षित प्रसव भी एक चुनौती बना हुआ है। बीते साल मंडल मुख्यालय पौड़ी के हॉस्पिटल में दुर्घटना के घायलों का टार्च की रोशनी में इलाज हुआ।
बड़े बड़े मेडिकल कालेज व अस्पताल बन रहे। पीपीपी मोड़ में इलाज की व्यवस्था की जा रही है। ड्रोन से दवाई पहुंचाने के वीडियो चल रहे। चिकित्सक ढूंढे नहीं मिल रहे। मामूली बीमारी भी जिला अस्पताल में ठीक नहीं हो रही।
शोर मचने के बाद लोकगायक गणेश मर्तोलिया की बहन व नानी की मौत के जॉच के आदेश हो गए है। 17 जुलाई को तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी। स्वास्थ्य विभाग जानना चाह रहा है कि जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ में क्यों नहीं इलाज हो सका। लीपापोती होगी।
बहरहाल, जंगली मशरूम खाने से हुई नानी व नातिन को सही इलाज नहीं मिलने से हुई मौत से हम सब शर्मिंदा हैं..

