“कड़ा कानून होते हुए भी अपराध बेलगाम, सरकार असहाय” — कांग्रेस
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण के मामलों में बीते ढाई वर्षों में चौंकाने वाली वृद्धि हुई है। 2020 से 2022 तक जहाँ केवल 11 मामले दर्ज हुए, वहीं 2023 से जुलाई 2025 तक यह संख्या बढ़कर 42 हो गई । यानी चार गुना से भी अधिक।
कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने इसे राज्य सरकार की निष्क्रियता और कानून-व्यवस्था की नाकामी बताया।
दसौनी ने सोमवार को प्रदेश मुख्यालय में कहा कि “मुख्य विपक्षी दल होने के नाते हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि जब सरकार की नाक के नीचे जबरन धर्मांतरण के मामले इतनी तेज़ी से बढ़ जाएँ, तो यह साफ संकेत है कि अपराधियों और कट्टरपंथी ताक़तों को न आपकी सरकार का डर है और न ही आपके कानून का।”
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा कड़ा कानून बनाने के बावजूद उसे लागू करने में पूरी तरह नाकामी हाथ लगी। “देहरादून जैसे संवेदनशील जिले में ही 18 से अधिक मामले दर्ज होना यह दिखाता है कि यह सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि प्रशासनिक ढिलाई और राजनीतिक संरक्षण का भी नतीजा है।
उन्होंने सवाल किया कि जब सरकार ही धर्मांतरण रोकने में असहाय नज़र आ रही है, तो क्या कानून सिर्फ दिखावे के लिए बनाए गए थे? क्या पूरी सरकारी मशीनरी इन मामलों पर आँख मूँदकर बैठी है? क्या सरकार अपराधियों को ‘फ्री पास’ दे रही है?
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की जनता जानना चाहती है कि जब सरकार हर मंच से सांप्रदायिक बातें करती है, तो उसके शासन में धर्मांतरण जैसे गंभीर अपराध बेलगाम कैसे हो गए? क्या ये आँकड़े सरकार की नाकामी और उसके शासन का सच बयां करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं?

