LUCC और सोशल बेनिफिट घोटाले में दोहरा मापदंड क्यों?

धामी सरकार की कार्यप्रणाली पर बलूनी गुट को भी भरोसा नहीं: कांग्रेस

अविकल उत्तराखंड

उत्तराखंड कांग्रेस ने राज्य में लगातार सामने आ रहे आर्थिक घोटालों को लेकर भाजपा सरकार पर सीधा हमला बोला है।
कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी LUCC घोटाले की सीबीआई जांच की संस्तुति करते हैं, वहीं दूसरी ओर सांसद अनिल बलूनी समेत चार वर्तमान सांसद गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर उसी घोटाले की जांच की मांग कर रहे हैं।
इससे साफ है कि भाजपा के भीतर ही धामी सरकार की कार्यवाही पर भरोसा नहीं है और अंदरूनी नूरा कुश्ती चल रही है।

दसौनी ने आरोप लगाया कि जिस प्रकार LUCC घोटाले में कार्रवाई की गई, ठीक उसी तरह सोशल बेनिफिट म्यूचुअल फंड लिमिटेड नामक कंपनी ने भी हजारों निवेशकों की मेहनत की कमाई को ठगा है।
इस कंपनी में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के औद्योगिक सलाहकार के.एस. पंवार की पत्नी निदेशक के रूप में शामिल थीं। शुरुआती जांच में 200 करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग की पुष्टि हो चुकी है। मामला सामने आते ही पंवार द्वारा पत्नी से इस्तीफा दिलवाया गया, लेकिन यह कदम मात्र लीपापोती था।

गरिमा दसौनी ने भाजपा की ‘चुनिंदा नैतिकता’ पर सवाल उठाए:

  1. जब LUCC घोटाले में सीबीआई जांच की संस्तुति हुई, तो सोशल बेनिफिट घोटाले को सिर्फ EOW को क्यों सौंपा गया? क्या सत्ता से जुड़े लोगों को बचाने की कोशिश हो रही है?
  2. 40 से 50 हजार निवेशकों के नाम पर खोले गए फर्जी एफडी-आरडी खाते — भाजपा बताए कि कितने नामों पर फर्जीवाड़ा हुआ और किसने काला धन सफेद किया?
  3. क्या यह महज़ संयोग है कि दो बार जांच होने के बावजूद कार्रवाई शून्य रही? या भाजपा की छत्रछाया में इस घोटाले को दबाया गया?
  4. मृत व्यक्तियों और अनजान नामों पर हुए निवेश क्या हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े हैं?

कांग्रेस की मांगें:

LUCC और सोशल बेनिफिट दोनों घोटालों की संयुक्त जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से कराई जाए।

के.एस. पंवार और उनकी पत्नी की संपत्ति की जांच ED और आयकर विभाग से कराई जाए।

जांच पूरी होने तक उनकी सभी संपत्तियां फ्रीज की जाएं।

LUCC की तरह सोशल बेनिफिट घोटाले के पीड़ितों को भी मुआवजा व राहत पैकेज दिया जाए।

दसौनी ने कहा कि भाजपा सरकार का रवैया यह दर्शाता है कि वह सिर्फ उन्हीं मामलों में कार्रवाई करती है जहां आम लोग शामिल हों, लेकिन जहां सत्ता पक्ष या उसके परिजन संलिप्त हों, वहां जांच को कमजोर करने की नीति अपनाई जाती है।

कांग्रेस ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो पार्टी इस मुद्दे को जन-जन तक लेकर जाएगी और 2027 के विधानसभा चुनाव में जनता भाजपा को करारा जवाब देगी।

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