गांव की सरकार में बह रही धन दौलत की ‘गंगा’..कौन बनेगा किंग मेकर ?

बोल चैतू

उत्तराखण्ड में गांव की सरकार को लेकर कवायद जारी है। पहले चरण के मतदान में लगभग 68 प्रतिशत मतदाताओं ने हिस्सा लिया। एक बार फिर महिलाएं आगे रही। दूसरे चरण का मतदान सोमवार, 28 जुलाई को होगा। और 31 जुलाई को पंचायत प्रतिनिधियों का रिजल्ट सामने आएगा।
अगस्त माह भी राजनीतिक दॄष्टि से गर्म रहेगा। जीते हुए उम्मीदवार।जिला पंचायत और ब्लाक प्रमुख के लिए गोटी बिछाएंगे। खरीद फरोख्त का बाजार गर्म रहेगा।
पंचायत चुनाव में पैसे और शराब का खुलकर खेल हो रहा है। प्रचार जुलूस में वाहनों की संख्या साफ इशारा कर रही है कि कुछ उम्मीदवारों खुल कर खर्चा कर रहे हैं।
पुलिस-प्रशासन हर दिन लाखों की अवैध शराब पकड़ रहा है।  16 करोड़ से अधिक की शराब ,नगदी व मादक पदार्थ जब्त किए जा चुके हैं।
31 जुलाई के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख के चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा, कांग्रेस व उक्रांद के अलावा कद्दावर निर्दलीय बाजी पलटने की कोशिश में रहेंगे।  गांवों के विकास के लिए केंद्र व राज्य सरकार की ओर से मोटी धनराशि भी प्रत्याशियों के जहन में रहती है।

हरिद्वार जिले में दो साल पहले हुए पंचायत चुनाव में पहली बार भाजपा ने कब्जा किया। यह जीत सीएम धामी की विशेष उपलब्धियों में शुमार की गई। हरिद्वार में भाजपा कभी भी पंचायत चुनाव में नहीं जीत पायी थी।

2024 में हुए मंगलौर व बदरीनाथ उपचुनाव कांग्रेस के लिए खुशखबरी लेकर आया। लेकिन प्रतिष्ठा का मुद्दा बने केदारनाथ उपचुनाव में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भाजपा की जीत ने कांग्रेस के हौसले पस्त किये।

कुछ महीने पूर्व हुए नगर निकाय के चुनाव में भाजपा ने श्रीनगर नगर निगम को छोड़कर अन्य सीटों पर परचम लहराया। कांग्रेस ने कुछ नगर पालिका व नगर पंचायत सीटों पर उल्लेखनीय जीत दर्ज की।

पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू होते ही दोनों जगह (शहर व गांव) के मतदाताओं के चुनाव लड़ने को लेकर टंटा झगड़ा होता रहा। यह भी तय है कि चुनाव परिणाम के बाद दोहरे मतदाता का मसला कई विजयी उम्मीदवारों को कोर्ट के चक्कर लगवाएंगे।

फिलहाल, 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले हो रहे पंचायत चुनाव में विभिन्न गुटों में बंटी कांग्रेस शुरू से ही सत्ता के दुरुपयोग का मुद्दा उठा रही है। पंचायत चुनाव के परिणाम एक सीमा तक जीतने वाले दल की फिजां बनाएंगे। इन परिणामों से आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर मतदाताओं के रुझान की भी झलक मिलेगी।

बेहद स्थानीय मुद्दों पर लड़े जा रहे पंचायत चुनाव में दलीय दिग्गज पूरा जोर लगाए हुए हैं। दलों के अंदर एक दूसरे को पटकने की सियासत भी जोरों पर चल रही है। 31 जुलाई को पता चल जाएगा कि किस दल ने गांव की सरकार में बादशाहत कायम की। फिर ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए बहेगी धन दौलत की नदियां..इस जोड़ तोड़ के बीच किस दल का नेता पंचायत चुनाव का किंगमेकर बनेगा..गुरुवार को यह भी पता चल जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *