धार्मिक स्थलों के भीड़ प्रबंधन पर समिति का होगा गठन

दोनों मण्डलायुक्तों की अध्यक्षता में समिति गठित होगी

मनसा देवी मंदिर हादसे के कारकों का इंतजार

श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा प्राथमिकता

अनिवार्य होगा पंजीकरण

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। सफल कांवड़ यात्रा के समापन के बाद मनसा देवी मंदिर में हुए दर्दनाक हादसे के बाद शासन-प्रशासन में हलचल है।
रविवार को हुए हादसे में आठ श्रद्धालुओं की मौत हो गयी थी। और तीन दर्जन से अधिक घायल हो गए थे।
इस हादसे में स्थानीय पुलिस-प्रशासन की किस स्तर पर चूक रही। यह तो मजिस्ट्रीयल जांच के बाद सामने आएगा। लेकिन इस हादसे ने यह सबक अवश्य दे दिया है कि कांवड़ यात्रा के सम्पन्न होने के बाद भी हरिद्वार व आसपास के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं हुई है। कांवड़ यात्रा के बाद भी पुलिस-प्रशासन को अलर्ट मोड में रहना होगा।

बहरहाल, घायलों से मिलने के बाद सीएम धामी, पूर्व सीएम हरीश रावत, निशंक व त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भीड़ के असफल प्रबंधन को दुर्घटना की मुख्य वजह बताया।

सोमवार को सीएम धामी ने एक उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों—हरिद्वार स्थित मनसा देवी व चंडी देवी मंदिर, टनकपुर स्थित पूर्णागिरि धाम, नैनीताल के कैंची धाम, अल्मोड़ा के जागेश्वर मंदिर और पौड़ी स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर सहित अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।

मुख्यमंत्री ने इन स्थलों पर भीड़ प्रबंधन, श्रद्धालु पंजीकरण, पैदल मार्गों व सीढ़ियों के चौड़ीकरण, अतिक्रमण हटाने और मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता को सर्वोच्च प्राथमिकता देने को कहा। उन्होंने निर्देश दिए कि दर्शन की व्यवस्था सुगम, सुव्यवस्थित और सुरक्षित होनी चाहिए।

धामी ने कहा कि कुमाऊं और अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाए, जिसमें संबंधित जिलों के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष और कार्यदायी संस्थाओं के प्रतिनिधि सदस्य होंगे।

मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से मनसा देवी मंदिर परिसर सहित प्रमुख मंदिर परिसरों के सुनियोजित विकास, धारणा क्षमता में वृद्धि, दुकानों के व्यवस्थित प्रबंधन, और चरणबद्ध दर्शन व्यवस्था को सुदृढ़ करने के निर्देश दिए।


उन्होंने श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य करने और दर्शन संख्या सीमित रखने की व्यवस्था लागू करने को कहा, ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो और श्रद्धालुओं को सुगमता से दर्शन का अवसर मिल सके।

बैठक में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, एस.एन. पाण्डेय, गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पाण्डेय, अपर पुलिस महानिदेशक ए.पी. अंशुमन, विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते और अपर सचिव बंशीधर तिवारी उपस्थित थे।

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